80 के दशक में, एक यंग और डायनामिक होटेलीअर, जो साउथ मुबई में कुछ बहुत पुराने थिएटरों के भी मालिक थे, जिन्होंने एक निर्माता के रूप में अपनी शुरुआत करने का फैसला किया था और इस बिज़नस सर्कल्स में उन्होंने बी ग्रेड और सी ग्रेड फिल्मों को बनाया था, आगे उनकी किस्मत तब बेहतर हुई और जब उन्होंने अपनी अधिकांश फिल्मों में एक्टर-डांसर गोविंदा को कास्ट किया और गोविंदा उनके लिए भाग्यशाली साबित हुए थे और गोविंदा और डेविड धवन के साथ निर्देशक के रूप में उन्होंने जो भी फिल्में कीं, वे बड़ी हिट साबित हुई थी और जल्द ही पहलाज निहलानी एक सफल निर्माता के रूप में स्थापित हो गए थे, साथ ही वह एक चालाक बिजनेसमैन भी थे जिन्होंने अपने होटल या थिएटर बिज़नस को नहीं छोड़ा था। भायखला में उनका होटल, 'नगीना' मुंबई के सर्वश्रेष्ठ होटलों में से एक था। अली पीटर जॉन
उन्होंने तब गोविंदा और दो नई लड़कियों के साथ मुख्य भूमिका में 'आँखें' नामक एक फिल्म बनाई थी। डेविड धवन के निर्देशन में बनी यह फिल्म भी काफी हिट रही और पहलाज को भगवान की तरह माना गया। मैं हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर उन दृश्यों का गवाह रहा हूं, जहां सैकड़ों लोग उनके पैर छूने के लिए उनका इंतजार करते थे, क्योंकि वह उनके लिए भगवान जैसे थे और आश्चर्य की बात यह थी कि वह लोग यह भी मानते थे कि वह भगवान से कम नहीं है और उनके भक्तों की एक बड़ी भीड़ थी जो बांद्रा में पाली नाका में 'टू रोज़' में उनके ऑफिस के बहार उनके दर्शन के लिए उनका इंतजार कर रही थी और सभी निर्देशकों, लेखकों, रचनाकारों और तकनीशियनों के अलावा, युवा पुरुष और महिलाएं थीं, जो वास्तव में पहलाज के साथ काम करने का अवसर पाने के लिए मर रहे थे पहलाज जो जादू के स्पर्श (मैजिक टच) वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे।
मैं काफी समय से पहलाज को जानता था और उनके साथ मैंने उनके घर के बार में कई शामें बिताई थी, यह बार उनकी पत्नी नीता ने बड़े ही शानदार अंदाज़ में बनवाया था। वह मुझे ‘अली’ और मैं उन्हें पहलाज जी कहा करता था।
मैंने नियमित रूप से उनके ऑफिस का दौरा भी किया और एक सुबह मैंने उनके ऑफिस के बाहर एक बड़ी लकड़ी की बेंच (बांकडा) देखी। मैंने उनसे पूछा कि यह बांकडा किस लिए थी और उन्होंने कहा, “इतने सारे स्ट्रगलर आते है मेरे से मिलने के लिए, मेरे पास टाइम किदर है उनके साथ बात करने के लिए? मैंने चुगामल (उनका सिन्धी प्रोडक्शन मैनेजर) से कह दिया है उनका ख़याल रखने के लिए और चाय पिलाने के लिए।
मैं वहा एक ऐसे युवक को देखा था जो डार्क रंग का था, लेकिन उसकी फिज़ीक बहुत अच्छी थी और जिसने मुझे बताया कि वह मूल रूप से मंगलौर का था और उसके पिता के पास मुंबई में सेकंड क्लास और थ्री स्टार उदीपी होटलों की एक चैन थी। और वह सेंट्रल मुबई में एक बुटीक का मालिक था। वह पहलाज निहलानी के साथ एक फिल्म में काम करने के लिए बहुत उत्सुक थे।
मैं मैंगलोर के इस लड़के को उस बांकडा में बैठा देखता रहा था जो पहलाज से मिलने के लिए उनका बेसब्री से इंतजार कर रहा था, जो शायद ही उस युवक से मिलने का समय निकाल पाते जिसने मुझे बताया था कि उसका नाम सुनील शेट्टी था।
मैं सुनील शेट्टी के बारे में बहुत चिंतित था जो अपना सारा समय उस आदमी के इंतजार में बिता रहे थे जिसके पास उनके लिए कोई समय या सहानुभूति नहीं थी।
मुझे पहलाज पर थोड़ा गुस्सा आया और मैंने उसने उससे पूछा कि वह सुनील का अनादर क्यों कर रहे है और पहलाज ने आखिरकार मेरी बात पर ध्यान दिया और जब वह फ्री हुए तो उन्होंने सुनील को उनसे मिलने के लिए बुलाया।
मुझे वास्तव में यह नहीं पता है था कि पहलाज और सुनील के बीच क्या संबंध था और क्या बात हुई थी, लेकिन एक शुक्रवार को, मैंने स्क्रीन मैगज़ीन पर एक फुल पेज ऐड देखा जिसमें पहलाज ने सुनील शेट्टी नामक एक न्यूकमर के साथ 'बलवान' नामक फिल्म की घोषणा की हुई थी। सुनील मुहूर्त शॉट के दिन एक स्टार थे जिसमें उन्हें ईंटों की दीवार से विथआउट शर्ट टकराना था। यह 'इस काले हीरो' के करियर की बड़ी पारी थी, जो अपनी ही क्लास में एक स्टार है और वह अब दो स्टार-चिल्ड्रन अथिया और अहान के पिता भी है और वह अपनी पत्नी मना और अपने बच्चों के साथ एक संतुष्ट जीवन ज़ी रहे है।
एक दूसरा लड़का भी था, जो उस बांकडा पर पहलाज का इंतजार कर रहा था। और उसका नाम चंकी पांडे था और जो प्रसिद्ध हृदय विशेषज्ञ डॉ.शरद पांडे और सोशलाइट स्नेहलता पांडे के बेटे थे।
सुनील की तरह, चंकी भी एक ब्रेक के लिए पहलाज पर निर्भर थे और मैं कोई डींगे नहीं मार रहा हूँ, बल्कि इस बार भी, मैंने बिना किसी उम्मीद या वादे के चंकी को इंतजार कराने के लिए पहलाज को लगभग फटकार लगाई थी।
और मैं अभी भी नहीं जानता कि क्या मैं इसके लिए जिम्मेदार था, लेकिन चंकी पांडे को फिल्मस्टाग स्टूडियो में 'आग ही आग' नामक फिल्म में लॉन्च किया गया था। चंकी ने इसे उतना बड़ा नहीं बनाया, जितना वह इसके लायक थे, लेकिन वह अभी भी एक अच्छे कलाकार है और एक स्टारलेट अनन्या पांडे के पिता हैं।
निपेन मक्कार नाम का एक और सुंदर नौजवान था, जो एयर इंडिया में युवा कमांडर था। मैंने उन्हें पहलाज से मिलवाया था, जो उनके साथ भी वही खेल खेल रहे थे जो बाकि लोगों के साथ खेलते आ रहे थे और उसे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ महीनों से उसी बांकडा पर बैठे रहने और उनसे मिलने का इंतजार करते आ रहे थे। यह कमांडर पहलाज के लिए ‘ब्लू लेबल व्हिस्की’ उपहार में लेकर आया था जिन्होंने उन्हें ब्रेक देने का वादा किया था, इसके बाद एक और ब्रेक और फिर भी जब तक कमांडर ने हार नहीं मानी तब तक वह उन्होंने उस बांकडा पर बैठना बंद नहीं किया था और वह मेरे साथ यश चोपड़ा, मनोज कुमार, देव आनंद और सुभाष घई जैसे फिल्म निर्माताओं से मिलते रहे, लेकिन अंततः उन्हें एयर इंडिया में एक वरिष्ठ कमांडर के रूप में अपनी बहुत ही कम्फ़र्टेबल जॉब पर वापस जाना पड़ा।
ऐसे तो मैं बहुत प्रोडूसर लोगों को जानता हूँ जो नए कलाकारों के साथ खिलवाड़ करते है लेकिन पहलाज जी ऐसे कयों करते थे, मुझे आज भी समझ में नहीं आता है।
अनु- छवि शर्मा