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एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

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By Mayapuri Desk
एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता
New Update

जब

मैं

13

साल

का

था

,

तब

तक

मैं

दिलीप

कुमार

,

देव

आनंद

,

राज

कपूर

,

प्राण

और

यहां

तक

कि

दारा

सिंह

और

हाजी

मस्तान

के

बारे

में

अधिक

जानता

था

,

जितना

कि

मैं

उस

समय

पोप

,

नेहरू

,

कैनेडी

,

और

हिटलर

के

बारे

में

जानता

था।

और

मैं

एक

ऐसे

माहौल

में

पैदा

हुआ

था

,

जहां

पहले

कुछ

नाम

मायने

रखते

थे।

अली

पीटर

जॉन

ग्रेट

राज

कपूर

खुद

नार्थ

मुंबई

हाउसिंग

सोसाईटी

की

एक

बिल्डिंग

की

पांच

मंजिल

तक

खुद

सीढ़ियाँ

चढ़

के

ऊपर

आए

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

एक

अभिनेता

जिसने

मुझे

इन

कारणों

के

लिए

सबसे

ज्यादा

मोहित

किया

,

जिनके

बारे

में

मैं

अभी

भी

नहीं

बता

पा

रहा

हूं

,

कि

वह

राज

कपूर

हैं।

उन

में

कुछ

ऐसी बातें

या

ऐसी

चीजे

थी

जिसने

उन्हें

अन्य

सितारों

से

अलग

रखा

था।

और

मुझे

इस

बात

पर

बहुत

अधिक

विश्वास

था

कि

एक

दिन

मैं

उन्हें

देख सकूंगा

उन्हें

छू सकूंगा

उनसे

कई

सारी

बातें

कर

सकूंगा।

वे

भी

दिन

थे

जब

मैं

एक

पादरी

,

एक

बस

कंडक्टर

या

फिर

एक

थर्ड

क्लास

होटल

के

एक

मैनेजर

होने

का

सपना

देखता

था

और

मैं

कभी

सोच

भी

नहीं

सकता

था

कि

मेरा

जीवन

एक

प्रसिद्ध

लेखक

और

फिल्म

निर्माता

ख्वाजा

अहमद

अब्बास

के

साथ

एक

चमत्कारी

मुलाकात

के

बाद

पूरी

तरह

से

बदल

जाएगा

,

जिन्हें

राज

कपूर

की

कुछ

सर्वश्रेष्ठ

फिल्मों

के

लेखक

के

रूप

में

भी

जाना

जाता

है।

श्री

.

अब्बास

की

सराहना

का

एक

पोस्ट

कार्ड

एक

आर्टिकल

के

लिए

,

जो

उन्होंने

अपने

कॉलम

में

लिखा

था

, ‘

लास्ट

पेज

’ ‘

ब्लिट्ज

में

जिसने

मुझे

100

रुपये

महीने

के

वेतन

पर

मिस्टर

अब्बास

के

असिस्टेंट

के

रूप

में

नौकरी

दी

थी।

और

वहाँ

हर

सुबह

मुझे

एक

कप

चाय

और

एक

केला

मिला

करता

था।

जब

मैं

मिस्टर

अब्बास

के

साथ

काम

कर

रहा

था

तब

मुझे

इस

बात

पर

विश्वास

था

कि

मेरे

सारे

सपने

सच

होंगे।

एक

दोपहर

,

ग्रेट

राज

कपूर

खुद

नार्थ

मुंबई

हाउसिंग

सोसाईटी

की

एक

बिल्डिंग

की

पांच

मंजिल

तक

खुद

सीढ़ियाँ

चढ़

के

ऊपर

आए।

पूरे

परिसर

में

एक

उत्साह

नजर

रहा

था

,

लेकिन

मिस्टर

.

अब्बास

के

ऑफिस

में

और

उनके

लोगों

के

बीच

यह

उत्साह

बिल्कुल

चरम

पर

था

,

अब्दुल

रहमान

,

अथर

सिराज

और

जाफर

पूरे

ऑफिस

में

इधर

से

उधर

भाग

रहे

थे

,

लेकिन

एकमात्र

व्यक्ति

जो

अपनी

स्टील

की

कुर्सी

पर

बिल्कुल

शांति

से

बैठा

हुआ

था

और

कुछ

लिखे

जा

रहा

था

,

वह

महान

लेखक

अब्बास

साहब

थे।

मैंने

उस

समय

ऑफिस

में

अपने

काम

करने

का

केवल

एक

महीना

पूरा

किया

था

और

मैंने

अपने

आप

को

अपने

ऑफिस

के

एक

भव्य

पुस्तकालय

(

लाइब्रेरी

)

में

इस

तरह

से

छिपा

लिया

था

कि

मैं

बस

यह

देख

सकूँ

कि

राज

कपूर

के

ऑफिस

में

एंट्री

करने

पर

क्या

होता

हैं।

'राज

कपूर

अपने

जीवन

के

सबसे

अधिक

परेशानी

से

भरे

समय

का

सामना

कर

रहे

थे' अली पीटर जॉन

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

राज

कपूर

अपने

जीवन

के

सबसे

अधिक

परेशानी

से

भरे

समय

का

सामना

कर

रहे

थे

,

जब

उनकी

फिल्म

मेरा

नाम

जोकर

ने

इस

इंडस्ट्री

को

बुरी

तरह

से

हिला

दिया

था

,

जब

यह

फिल्म

एक

बड़ी

फ्लॉप

साबित

हुई

थी।

राज

कपूर

,

शोमैन

नहीं

रहे

थे

,

उनके

पुराने

आर

.

के

.

स्टूडियो

को

गिरवी

रख

दिया

गया

था

और

वह

नहीं

जानते

थे

कि

आगे

क्या

करना

है

,

कुछ

सबसे

अच्छे

लोग

थे

जो

कभी

यह

मानते

थे

कि

वह

भगवान

है

उन्होंने

भी

उनसे

किनारा

कर

लिया

था

क्योंकि

इंडस्ट्री

के

अलिखित

कानून

के

अनुसार

,

एक

आदमी

जिसने

फ्लॉप

फिल्म

बनाई

हो

,

उसका

इंडस्ट्री

में

कोई

काम

नहीं

होता।

मिस्टर

.

अब्बास

के

ऑफिस

में

तनाव

बढ़ता

जा

रहा

था

और

एक

गाँव

के

लड़के

यानि

कि

मेरे

दिल

में

उत्तेजना

भी

बढ़ती

जा

रही

थी।

राज

कपूर

ने

मिस्टर

.

अब्बास

के

ऑफिस

में

प्रवेश

किया

और

उनके

चरणों

में

गिर

गए

और

रोने

लगे।

मिस्टर

.

अब्बास

को

अच्छे

से

पता

था

कि

राज

कपूर

एक

घायल

बच्चे

की

तरह

क्यों

व्यवहार

कर

रहे

थे

क्योंकि

वह

मेरा

नाम

जोकर

के

एक

लेखक

थे।

राज

मिस्टर

.

अब्बास

से

कहते

रहे

कि

यह

केवल

एक

मात्र

वह

चीज

थी

जो

उन्हें

और

उनके

आर

.

के

.

स्टूडियो

को

बचा

सकती

थी।

उन्होंने

मिस्टर

अब्बास

को

उनके

लिए

एक

नई

स्क्रिप्ट

लिखने

के

लिए

कहा

जिसमें

दो

अलग

-

अलग

समुदायों

के

एक

युवा

लड़का

और

एक

युवा

लड़की

थी

,

जो

एक

दूसरे

के

प्यार

में

पागल

थे

और

इसके

बाद

के

उनके

परिणाम

भी

लिखे

हो।

मिस्टर

.

अब्बास

ने

राज

कपूर

को

शांति

से

घर

जाने

के

लिए

कहा

और

उनसे

पंद्रह

दिनों

में

एक

स्क्रिप्ट

लिख

लेने

का

वादा

किया।

उस

दौरान

राज

कपूर

ने

कई

बार

मिस्टर

.

अब्बास

के

पैर

छुए

और

ऑफिस

से

चले

गए।

मिस्टर

अब्बास

परेशान

थे

लेकिन

उनके

चेहरे

पर

दृढ़

निश्चय

(

डिटर्मनेशन

)

की

एक

अलग

ही

झलक

थी।

ठीक

पंद्रह

दिन

बाद

,

मिस्टर

अब्बास

ने

फिल्म

बॉबी

की

स्क्रिप्ट

तैयार

की

थी

और

राज

कपूर

जुहू

स्थित

अब्बास

साहब

के

ऑफिस

वापस

आए।

उन्होंने

एक

बार

स्क्रिप्ट

को

पढ़ा

और

फिर

से

श्री

.

अब्बास

के

चरणों

में

गिर

गए।

उन्होंने वहां

अपने

युवा

बेटे

ऋषि

कपूर

को

एक

रोमांटिक

हीरो

के

रूप

में

और

अपने

दोस्त

चुन्नीभाई

कपाड़िया

की

सोलह

वर्षीय

खूबसूरत

बेटी

,

डिंपल

कपाड़िया

को

फिल्म

बॉबी

में

साइन

करने

का

फैसला

किया।

उन्होंने

मिस्टर

अब्बास

को

बताया

अन्य

भूमिकांए

प्राण

,

प्रेमनाथ

और

प्रेम

चोपड़ा

द्वारा

निभाई

जाएगी।

उन्होंने

म्यूजिक

डायरेक्टर्स

की

एक

नई

टीम

,

लक्ष्मीकांत

-

प्यारेलाल

और

गीतकार

के

रूप

में

आनंद

बख्शी

के

साथ

काम

करने

का

फैसला

किया।

'जब

बॉबी

रिलीज

हुई

,

तो

इसने

बॉक्स

ऑफिस

पर

सनसनी

मचा

दी'

अली पीटर जॉन

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

फिल्म

को

गोवा

,

कश्मीर

और

मुंबई

में

शूट

किया

गया

था।

बॉबी

कम

से

कम

समय

में

पूरी

तरह

से

तैयार

हो

गई

थी

,

और

जब

बॉबी

रिलीज

हुई

,

तो

इसने

बॉक्स

ऑफिस

पर

सनसनी

मचा

दी

और

ऋषि

और

डिंपल

को

रातों

रात

सुपर

स्टार

बना

दिया

था।

रिलीज

के

कुछ

दिनों

बाद

,

राज

कपूर

और

उनके

करीबी

कर्मचारी

मिस्टर

अब्बास

के

ऑफिस

आए।

वह

दिन

के

समय

नशे

में

थे

और

मिस्टर

अब्बास

उन

पर

चिल्ला

रहे

थे

और

कह

रहे

थे

, “

निकल

जाओ

मेरे

ऑफिस

से

अभी

,

मेरे

ऑफिस

में

पीने

वालो

की

ना

कोई

जगह

है

,

ना

कोई

इज्जत

”,

राज

कपूर

हाथ

जोड़कर

उनसे

माफी

मागते

रहे

,

लेकिन

मिस्टर

अब्बास

के

पास

कहने

या

करने

के

लिए

कुछ

नहीं

था।

राज

कपूर

ने

अंत

में

मिस्टर

अब्बास

को

अपने

साथ

आने

के

लिए

कहा

और

मिस्टर

अब्बास

बिना

मन

के

सहमत

हो

गए।

मिस्टर

अब्बास

की

बिल्डिंग

के

नीचे

एक

बिल्कुल

नई

एम्बेसडर

कार

खड़ी

थी

,

जो

वास्तव

में

इंदर

राज

आनंद

द्वारा

उन्हें

दिया

गया

एक

उपहार

थी

,

इंदर

राज

आनंद

इंडस्ट्री

में

सबसे

ज्यादा

पैसे

लेने

वाले

लेखकों

में

से

एक

थे

जिनके

एक

ही

समय

में

मुंबई

के

अंदर

पंद्रह

आलीशान

अपार्टमेंट

थे।

राज

कपूर

ने

फिर

से

मिस्टर

अब्बास

के

पैर

छुए

और

उन्हें

चाबियों

का

एक

गुच्छा

सौंपा

और

कहा

कि

वह

अब

इस

कार

के

मालिक

हैं

और

अशफाक

नामक

उनके

द्वारा

लाया

गया

ड्राइवर

का

वेतन

और

पेट्रोल

बिल्स

आर

.

के

.

प्रोडक्शंस

द्वारा

अदा

किया

जाएगा।

मिस्टर

अब्बास

ने

तुरंत

उनके

हाथ

से

चाबी

लेने

से

इनकार

कर

दिया

,

लेकिन

उनके

जोर

देने

पर

आखिरकार

उन्हें

ले

लिया

और

उन्हें

अपने

सेक्रेटरी

अब्दुल

रहमान

को

दे

दी

,

लेकिन

राज

कपूर

ने

वहा

से

जाने

से

पहले

,

मिस्टर

अब्बास

से

एक

वादा

लिया

कि

वह

किसी

भी

गंभीर

या

खराब

परिस्थिति

में

भी

इस

कार

को

कभी

नहीं

बेचेंगे।

'जब

बॉबी

को

एक

बड़ी

सफल

फिल्म

घोषित

किया

गया

था'

अली पीटर जॉन

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

क्योंकि

राज

कपूर

यह

बात

अच्छी

तरह

से

जानते

थे

कि

जिस

क्षण

मिस्टर

अब्बास

ने

अपनी

किताबों

के

माध्यम

से

या

किसी

अन्य

फिल्म

निर्माता

के

लिए

डायलाॅग

या

स्क्रीनप्ले

लिख

के

जितने

पैसे

कमाए

थे

,

उन्हें

तुरंत

अपनी

फिल्मो

के

निर्माण

में

लगा

दिया

था

,

जिसमें

से

अधिकांश

फिल्मे

फ्लॉप

हो

गईं

थी।

जब

बॉबी

को

एक

बड़ी

सफल

फिल्म

घोषित

किया

गया

था

,

तो

मिस्टर

अब्बास

ने

कहा

, “

अगर

मैंने

इस

फिल्म

का

निर्देशन

किया

होता

,

तो

यह

निश्चित

रूप

से

एक

फ्लॉप

फिल्म

होती

,

यह

तो

राज

कपूर

जैसे

शोमैन

का

जादू

है

,

जिसने

बॉबी

को

एक

सुपर

हिट

फिल्म

बना

दिया

है।

यह

एक

जाना

-

माना

फैक्ट

था

कि

राज

कपूर

ने

अपनी

टीम

के

सभी

प्रमुख

सदस्यों

को

एम्बेसडर

कार

और

अपने

सभी

कार्यकर्ताओं

जैसे

स्पॉट

बॉय

को

हरक्यूलिस

साइकिल

गिफ्ट

की

थी।

मैं

मिस्टर

अब्बास

की

सिफारिश

पर

स्क्रीन

में

शामिल

हुआ

था

और

सपनों

की

दुनिया

की

वास्तविकताओं

का

सामना

करने

के

लिए

पूरी

तरह

से

तैयार

था।

मेरी

एक

बड़ी

महत्वाकांक्षाओं

में

से

एक

राज

कपूर

की

पार्टी

में

शामिल

होना

था

जिसके

बारे

में

मैंने

हर

जगह

सुना

और

पढ़ा

था।

यह

मौका

लगभग

मेरे

हाथ

में

था

जब

मुझे

पता

चला

कि

वह

मुंबई

में

आयोजित

होने

वाले

इंटरनेशनल

फिल्म

फेस्टिवल

के

सभी

प्रतिनिधियों

के

लिए

एक

पार्टी

की

मेजबानी

कर

रहे

थे।

मुझे

लगा

कि

यही

सबसे

अच्छा

मौका

है।

पार्टी

2

बजे

आर

.

के

.

स्टूडियो

में

शशि

कपूर

और

सुलक्षणा

पंडित

अभिनीत

फांसी

नामक

फिल्म

की

शूटिंग

को

कवर

करने

के

बहाने

से

आया

जिसे

हरमेश

मल्होत्रा

निर्देशित

कर

रहे

थे।

5

30

बजे

करीब

,

मैं

स्टूडियो

के

आसपास

घूमने

लगा

और

यह

इंतजार

करने

लगा

और

यह

देखने

लगा

कि

मेरी

किस्मत

में

क्या

लिखा

था।

मैंने

सुना

था

कि

राज

कपूर

गेटक्रैशरों

(

बुलावे

के

बिना

आनेवाले

)

से

कैसे

नफरत

करते

थे

और

कैसे

उन्हें

कंपाउंड

से

बाहर

निकलवा

दिया

करते

थे।

हालाँकि

मैं

सबसे

खराब

व्यवहार

के

लिए

भी

तैयार

था।

6:

30

बजे

राज

कपूर

ने

एक

एम्बेसडर

कार

में

गेट

से

इंटर

किया

,

और

वह

काला

सूट

पहने

हुए

थे

जिसमे

वह

और

ज्यादा

हैण्डसम

लग

रहे

थे।

आवाज

आई

, “

अली

पीटर

जॉन

जहा

भी

हो

,

राज

साहब

के

पास

जाए

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

उनकी

चारों

तरफ

नजर

थी

और

फिर

उनकी

नजरें

सिर्फ

मेरी

तरफ

थी

और

मैंने

साधारण

सी

जींस

,

टी

-

शर्ट

और

चप्पल

पहनी

हुई

थी।

उन्होंने

अपनी

उंगली

उठाई

और

मुझे

इशारे

से

अपने

पास

बुलाया।

मुझे

लगा

कि

यंही

मेरी

दुनिया

का

अंत

है

,

लेकिन

मेरी

सिक्स्थ

सेंस

ने

अंतिम

समय

पर

काम

किया

और

मैंने

सिर्फ

इतना

कहा

कि

मैं

कुम्ताकर

का

असिस्टेंट

हूँ

,

वह

कुछ

ही

मिनटों

में

यहाँ

आने

वाले

हैं।

मुझे

पता

था

कि

वह

कुम्ताकर

के

बहुत

अच्छे

दोस्त

थे

और

इससे

पहले

कि

मैं

कुछ

और

कह

पाता

,

उन्होंने

कहा

, ‘

जाओ

,

यंग

मैन

और

एंजॉय

करो

लेकिन

मुझे

याद

नहीं

की

क्या

मैंने

एंजॉय

किया

?

पर

मैं

अगली

सुबह

नशे

में

घर

आया

था।

कोलाबा

के

आर्मी

ग्राउंड

में

शम्मी

कपूर

की

बेटी

कंचन

और

मनमोहन

देसाई

के

बेटे

केतन

की

शादी

का

जश्न

मनाने

के

लिए

यह

मेरी

दूसरी

बड़ी

पार्टी

का

मौका

था।

इम्पोर्टेड

शराब

के

ट्रक्स

और

सभी

लीडिंग

स्टार्स

एक

साथ

आए

और

उत्सव

पूरे

जोरों

पर

था

जब

मैंने

अचानक

साउंड

सिस्टम

पर

अपना

नाम

सुना

था।

आवाज

आई

, “

अली

पीटर

जॉन

जहा

भी

हो

,

राज

साहब

के

पास

जाए

”,

घोषणा

तब

तक

की

गई

थी

जब

तक

तीन

लोग

मुझे

राज

कपूर

तक

ले

गए

,

जो

एक

सम्राट

की

तरह

बैठे

हुए

थे।

उन्होंने

मुझे

देखा

और

कहा

, “

सुना

है

तुम

कल

ये

शादी

की

खबर

इंडियन

एक्सप्रेस

में

छापने

वाले

हो

और

ये

भी

छापने

वाले

हो

की

आर्मी

ग्राउंड

पर

शराब

बह

रही

थी

”।

इससे

पहले

कि

मैं

कुछ

बोल

पाता

,

उन्होंने

फिर

तुरंत

कहा

, “

स्क्रीन

तो

बंद

करवा

ही

दूंगा

,

साथ

ही

इंडियन

एक्सप्रेस

भी

बंद

करा

दूंगा

”,

मैंने

उन्हें

शांत

करने

की

कोशिश

की

लेकिन

वह

मुझे

धमकी

देते

रहे

जब

तक

कि

मैंने

हार

नहीं

मानी

और

वह

अपनी

ड्रिंक

करने

के

लिए

वापस

चले

गए

और

मैं

अपने

आप वहां

से

चला

गया

था।

मिस्टर

कपूर

और

मेरे

बीच

किसी

तरह

का

झगड़ा

हुआ

था।

आनंद

बख्शी

ने

अपने

घर

में

जन्मदिन

की

पार्टी

रखी

थी

जहाँ

राज

कपूर

आए

थे

,

बख्शी

साहब

मुझे

मिस्टर

कपूर

के

पास

ले

गए

और

मेरा

परिचय

कराया।

और

उन्होंने

कहा

, “

हम

लोगो

का

सामना

कई

बार

हो

चुका

है

उन्होंने

उस

तरफ

देखा

जहा

मैंने

अपना

दाहिना

हाथ

रखा

था

और

क्रोधित

हुए

और

कहा

, “

लड़के

,

तुम्हारा

हाथ कहाँ

है

?”

मैंने

एक

बहाना

बनाया

और

कहा

कि

मुझे

अपनी

छाती

के

बाएं

हिस्से

में

कुछ

दर्द

महसूस

हो

रहा

है

और

उन्होंने

मुझे

बहुत

ही

बेरहम

तरीके

से

जवाब

दिया

कि

तुम

ज्यादा

दिन

रहोंगे

नहीं

मैंने

उन्हें

अकेला

छोड़

दिया

और

फिर

से

उनसे

मिलने

का

फैसला

किया।

लेकिन

जब

मैंने

उनसे

प्रेम

रोग

के

सेट

पर

मुलाकात

की

तो

सभी

चीजें

काफी

अच्छी

थीं।

उनके

पास

वर्षों

से

उनके

साथ

काम

करने

वाले

लोगों

की

अपनी

टीम

थी।

उन्होंने

पहला

ब्रेक

शंकर

रघुवंशी

और

जयकिशन

पांचाल

को

दिया

था

,

जो

बाद

में

शंकर

-

जयकिशन

के

नाम

से

प्रसिद्ध

हुए।

उनके

पास

अपनी

सभी

नायिकाओं

के

लिए

एक

सॉफ्ट

कॉर्नर

था

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

उन्होंने

एक

सेंट्रल

रेलवे

वर्कर

को

चुना

था

,

जो

शैलेन्द्र

नामक

एक

कवि

भी

थे

और

हसरत

जयपुरी

नामक

एक

बस

कंडक्टर

था

,

जिसने

42

साल

की

उम्र

में

जयकिशन

के

निधन

तक

उनकी

फिल्मों

के

संगीत

पर

काम

किया

था

और

शंकर

जयकिशन

के

बिना

अपने

काम

में

पहले

जैसा

इम्पैक्ट

नहीं

डाल

पा

रहे

थे

और

फिर

राज

कपूर

को

पहले

लक्ष्मीकांत

-

प्यारेलाल

और

फिर

रवींद्र

जैन

के

पास

जाना

पड़ा

था।

उनकी

अपनी

पर्सनल

टीम

भी

थी।

जिसमे

हरीश

बीबरा

उनके

जनरल

मैनेजर

थे

,

वीवीएस

रमन

उनके

एकाउंटेंट

थे

और

उनके

सबसे

पसंदीदा

व्यक्ति

उनके

कुक

जॉन

थे।

उनके

पास

अपनी

सभी

नायिकाओं

के

लिए

एक

सॉफ्ट

कॉर्नर

था

और

उनके

पास

नरगिस

,

वैजयंतीमाला

,

पद्मिनी

और

जीनत

अमान

की

तस्वीरें

थीं

जो

आर

.

के

.

स्टूडियो

के

सभी

फ्लोर्स

पर

लगी

हुई

थीं।

वह

अपनी

अभिनेत्रियों

के

साथ

बातचीत

में

बहुत

ओपन

नेचर

के

थे

और

उन्होंने

कहा

था

, “

अगर

मैं

इनके

साथ

प्यार

में

नहीं

पड़ता

,

तो

मैं

इन्हें

डायरेक्ट

नहीं

कर

पाता

वैजयंतीमाला

के

साथ

उनके

अफेयर

ने

उस

परिवार

में

दरार

पैदा

कर

दी

जो

लंबे

समय

तक

मुंबई

के

नटराज

होटल

में

रहे।

सत्यम

शिवम

सुंदरम

में

जीनत

अमान

के

बारे

में

बात

करते

हुए

उन्होंने

कहा

, ‘

लोग

जीनत

को

देखने

आएंगे

और

मेरी

फिल्म

की

आत्मा

से

प्यार

करके

जाएगे।

हालांकि

वह

कपूर

खानदान

की

लड़कियों

या

औरतों

में

से

किसी

के

भी

फिल्मों

में

शामिल

होने

और

खासतौर

पर

एक

एक्ट्रेस

बनने

के

खिलाफ

थे।

हालांकि

,

वह

अपने

बेटों

रणधीर

कपूर

और

ऋषि

कपूर

को

अपने

रूल

को

तोड़ते

हुए

देख

रहे

थे

,

जब

रणधीर

ने

बबीता

से

शादी

की

और

ऋषि

ने

नीतू

सिंह

से

शादी

की

,

जो

उनकी

नायिकाएँ

थीं।

मुझे

आश्चर्य

है

कि

अगर

वह

जीवित

होते

तो

उनकी

पोतियों

करिश्मा

और

करीना

के

बारे

में

उनका

क्या

कहना

होता।

राम

तेरी

गंगा

मैली

के

निर्माण

के

दौरान

वह

गंभीर

रूप

से

बीमार

पड़

गए

थे

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

राम

तेरी

गंगा

मैली

के

निर्माण

के

दौरान

वह

गंभीर

रूप

से

बीमार

पड़

गए

थे

,

लेकिन

यह

सुनिश्चित

किया

था

कि

उन्होंने

इस

फिल्म

को

पूरा

किया।

वह

मिस्टर

अब्बास

की

एक

स्क्रिप्ट

पर

आधारित

एक

और

फिल्म

हिना

शुरू

करने

के

लिए

तैयार

थे।

उन्होंने

सुरेश

वाडकर

की

आवाज

में

पहला

गाना

भी

रिकॉर्ड

कर

लिया

था

,

जिसकी

रिकॉर्डिंग

में

वह

मौजूद

थे।

उन्हें

दादासाहेब

फाल्के

पुरस्कार

का

विजेता

घोषित

किया

गया

था

और

नई

दिल्ली

पहुंचने

पर

वह

गंभीर

रूप

से

बीमार

हो

गए

थे

और

जब

राष्ट्रपति

आर

.

वेंकटरमण

से

उनका

पुरस्कार

प्राप्त

करने

का

समय

आया

,

तो

वह

अपनी

सीट

पर

ही

बेहोश

हो

कर

गिर

गए

और

पहली

बार

राष्ट्रपति

इस

पुरस्कार

को

शोमैन

को

देने

के

लिए

मंच

से

नीचे

आए

और

राज

कपूर

तब

तक

बेहोश

हो

चुके

थे

और

उन्हें

एस्कॉर्ट्स

हॉस्पिटल

ले

जाया

गया

,

जहाँ

से

वह

फिर

कभी

वापस

नहीं

सके

और

2

जून

, 1989

को

उनकी

मृत्यु

हो

गई

थी।

उनके

अंतिम

संस्कार

में

,

जिसमें

लाखों

लोगों

ने

भाग

लिया

था

,

वही

उनके

बेटों

,

रणधीर

,

ऋषि

और

राजीव

ने

एक

प्रण

लिया

था

कि

वे

एक

के

बाद

एक

फिल्म

का

निर्देशन

करेंगे।

रणधीर

ने

हिना

पूरी

की

,

ऋषि

ने

अब

लौट

चले

का

निर्देशन

किया

,

जो

एक

फ्लॉप

थी

और

उन्होंने

फिर

कभी

किसी

फिल्म

का

निर्देशन

करने

का

फैसला

नहीं

किया

और

राजीव

ने

प्रेम

ग्रंथ

का

निर्देशन

अपने

भाई

ऋषि

और

माधुरी

दीक्षित

के

साथ

किया

,

वो

भी

एक

फ्लॉप

थी।

और

अब

लगता

है

की

इन

भाइयों

ने

जो

प्रण

लिया

था

वह

उसे

भूल

गए

हैं।

अजंता

नामक

फिल्म

को

बनाना

उनकी

एक

बड़ी

महत्वाकांक्षा

थी।

चीन

में

,

उनके

कुछ

म्यूजिकल

ग्रुप

भी

हैं

जो

आरके

के

सभी

लोकप्रिय

गाने

बजाने

में

माहिर

और

मशहूर

हैं

एक महान शोमैन के साथ मेरा अनोखा रिश्ता

उन्होंने

के

.

.

अब्बास

के

साथ

स्क्रिप्ट

के

एक

रफ

वर्शन

पर

भी

काम

किया

था

,

लेकिन

उनका

इस

फिल्म

को

बनाने

का

यह

सपना

अधूरा

रह

गया।

राजीव

ने

संजय

दत्त

और

माधुरी

दीक्षित

के

साथ

अजंता

बनाने

की

कोशिश

की

,

लेकिन

उनकी

महत्वाकांक्षा

खंडाला

में

संजय

और

माधुरी

के

साथ

एक

शानदार

फोटो

सेशन

करने

के

बाद

आगे

नहीं

बढ़ी।

रूस

में

,

वह

अब

भी

अमिताभ

बच्चन

और

मिथुन

चक्रवर्ती

से

बड़े

स्टार

हैं।

चीन

में

,

उनके

कुछ

म्यूजिकल

ग्रुप

भी

हैं

जो

आरके

के

सभी

लोकप्रिय

गाने

बजाने

में

माहिर

और

मशहूर

हैं

और

इनमे

अधिकांश

गायक

और

संगीतकार

तीस

साल

से

कम

उम्र

के

हैं

जो

दर्शाता

है

कि

साठ

साल

बाद

भी

भारतीय

शोमैन

कितना

लोकप्रिय

है।

उनकी

मृत्यु

के

बाद

मुझे

उनका

प्यारा

भूत

सताने

लगा

था।

जिस

दिन

उनकी

मृत्यु

हुई

,

मैं

आर

.

के

.

स्टूडियो

पहुँच

गया

,

जहाँ

उनके

शरीर

को

एक

फूलो

से

सजे

ट्रक

में

रखा

गया

था।

अंतिम

संस्कार

के

जुलूस

से

पहले

मैंने

ड्रिंक

की

और

फिर

भीड़

में

शामिल

हो

गया।

मैं

श्मशान

के

पास

था

जब

दो

कांस्टेबल

मेरे

पास

आए

और

मुझे

बाहर

निकाला

और

उनमें

से

एक

ने

मुझसे

पूछा

, “

साला

फालतू

,

तेरे

को

यहाँ

आने

किसने

दिया

,

चल

निकल

यहाँ

से

”,

मैं

उनके

साथ

बहस

करने

के

मूड

में

नहीं

था।

सौभाग्य

से

वहाँ

एक

ऑटो

रुका

और

मैंने

ड्राइवर

को

वहाँ

से

चलने

को

कहा

,

इससे

पहले

कि

मैं

राज

कपूर

की

वजह

से

किसी

और

समस्या

का

सामना

कर

सकूं

,

जिसे

मैंने

खूब

सराहा

और

प्यार

किया

है

,

लेकिन

कुछ

ऐसा

था

जो

मुझे

कभी

समझ

नहीं

आया

था

कि

आखिर

क्यों

उनको

मेरे

साथ

हमेशा

कोई

कोई

प्रॉब्लम

रही

हैं।

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