मैं हर किसी की तरह काफ़ी हैरान था, जब मैंने 9 फरवरी को जीवन से भरे राजीव कपूर के निधन कि ख़बर सुनी थी, हालांकि अपने जीवन में मैंने अनगिनत मौतों को देखा है जिसके बाद, मुझे इस कड़वे सच का एहसास हुआ है कि अगर जीवन है, तो मृत्यु भी निश्चित है। यह एक अनरिटेन लॉ है और जिसे कोई भी नहीं बदल सकता यहाँ तक वह भी जिसने इस कानून को बनाया हैं। हम सभी मनुष्यों को इस कानून का पालन करना ही है चाहे हम इसे पसंद करें या न करें लेकिन जीवन और मृत्यु दोनों को हमें स्वीकार करना ही होगा और इसलिए हमें अपने जीवन को पूरी तरह से जीना चाहिए और मृत्यु को जीवन का एक तरीका ही मानना चाहिए।
- अली पीटर जाॅन
कपूर खानदान के अनमोल सदस्य चिम्पू कपूर की अचानक मृत्यु की बात कर रहा हूं
मैं फिर से प्रोफाउन्ड और फिलसाफिकल क्यों हो रहा हूँ? जब से मैंने अपना होश संभाला हैं, तब से मैं वही आदमी हूं और मुझे नहीं लगता कि अब मैं कभी बदल सकता हूं, इसलिए मुझे आप तब तक स्वीकार करो जब तक मैं जीवित हूं और मौत को गले नहीं लगा लेता हूं। यह प्रयास मैं अपने एक करीबी दोस्त और कपूर खानदान के अनमोल सदस्य चिम्पू कपूर की अचानक मृत्यु की बात कर रहा हूँ, इससे पहले कि वह वास्तव में जीवित होने का अर्थ जान पाते और अपनी योजनाए बनाते और उन्हें देख पाते, अपने महत्वाकांक्षाएं, सपने और इच्छाओं को पूरा कर पाते, चिम्पू कपूर की नींद में ही अचानक मृत्यु हो गई थी। लेकिन, कई अन्य युवा ऐसे भी है जो बहुत अधिक प्रतिभाशाली थे जो जीवन से भरपूर थे यंग ऐज में ही मर गए थे, लेकिन क्या उनके जाने से दुनिया रुक गई? क्या दुनिया उसके साथ ही ख़तम हो गई? और क्या उसके करीबी और प्रियजन जीवन जीना बंद कर देते हैं? क्योंकि वह चला गया है जो कभी लौट कर नहीं आयेगा? यहां और कई अन्य सवाल हैं जो कुछ समय तक या लंबे समय तक हमें झकझोरते रहते हैं, लेकिन फिर जीवन ऐसे ही चलता है जैसे एक शो चलता रहता है चाहे कुछ भी हो जाए।
हम एक अहम सत्य को भूल जाते हैं कि ज़िन्दगी गुलज़ार है
मैंने एक प्रेमी को अपनी प्रेमिका की कब्र पर देखा है जो चीखते चिल्लाते रोते हुए कह रहा है कि क्या अब वह अपनी प्रेमिका के बिना ज़ी नहीं पाएगा और फिर मैंने उसी प्रेमी को अपनी ज़िंदगी को वापस से जीते देखा जो दुबारा से एक और प्रेमिका के साथ प्यार में पड़ गया था और पहली प्रेमिका की मृत्यु के कुछ महीनों के बाद ही उसने अपनी दूसरी प्रेमिका से शादी कर ली थी, और जीवन नामक यह शो उसके लिए फिर से शुरू हो गया है और अब उसे लगता है कि अपने पिछले प्रिय को याद करना समय और भावनाओं दोनों की बर्बादी है। यह एक ऐसी कहानी है जो बार-बार कई लोगों के साथ हुई है, लेकिन हम जीवित लोगों को मृतकों के शोक की आदत हो गई है और हम एक महान सत्य को भूल जाते हैं कि ज़िन्दगी गुलज़ार है। मृत्यु के कारण हम जीवन को दंड क्यों देते हैं?
इन परेशान करने वाले सवालों ने मेरे दिमाग को तब ओर ख़राब कर दिया जब कपूर परिवार ने रणधीर के घर पर एक छोटे से गेट-टूगेदर के साथ रणधीर कपूर का जन्मदिन (15 फ़रवरी) को मनाने की पुरजोर कोशिश की, क्योंकि कुछ ही दिनों पहले राजीव की मौत हो गई थी। वे राजीव को वापस तो नहीं ला सकते थे, लेकिन उनके पास उन्हें कंपनी देने के लिए उनकी यादों से भरा एक बगीचा था। वे उस सबसे बड़े शोमैन के परिवार के सच्चे सदस्य थे, जिन्होंने कहा था, “जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहां” जिनका विश्वास शो (लाइफ) को जारी रखना था चाहे कुछ भी हो मृत्यु ही क्यों न बीच में आ जाए, लेकिन ‘शो मस्ट गो ओन
इस सचाई को जानने के लिए हमें कोई संतों और मसीहों को सुनने की ज़रुरत नहीं है
डब्बू को और क्या चाहिए, जब उनके पास उनके सभी प्रियजन थे जैसे की उनकी पत्नी बबिता और उनकी बेटियों, करिश्मा और करीना और उनके परिवारों और उनके कुछ सबसे अच्छे दोस्त जिन सब ने मिलकर उन्हें खुश करने कि कौशिश की और उनके चेहरे पर और उनकी आँखों में से सभी उदासी को मिटा दिया। मेरा मानना है कि डब्बू के परिवार ने उनके जन्मदिन पर जो किया वह एक सबक था जिसे हमें सभी को गंभीरता से सिखना चाहिए, क्योंकि जिंदगी है तो मौत भी होगी, इस सच को हम स्वीकार करे तो जिंदगी और मौत दोनों शानदार हो सकती है। इस सचाई को जानने के लिए हमें कोई ज्ञान की किताब पढ़ने या गुरु, संतों और मसीहों को सुनने की ज़रुरत नहीं है। हम अगर सिर्फ जिंदगी और मौत का सामना हिम्मत और शांति से करे तो न जीने में मुश्किल होगी न मौत का गम।
तो जियो जी भरके मेरे दोस्त, मौत को जब गले लगाने का वक़्त आएगा, तो मौत से भी हम उतनी ही मोहब्बत करेगे जितनी हम जिंदगी से कभी करते थे।