क्या टीवी या फिल्म का पर्दा किताबों से पढ़ाई करने का विकल्प बन सकता है? By Mayapuri Desk 09 Jul 2019 | एडिट 09 Jul 2019 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर यह एक बौद्धिक विषय है जो शिक्षा-शास्त्रियों के मन में उठा है। गत दिनों सीबीएसई की दसवीं बोर्ड परीक्षा-परिणाम ने छात्रों की याचिका के रूप में यह सवाल उठाया है। छात्रों से पूछा गया था ऑप्शनल-विकल्प ‘टीवी और किताब’ को लेकर। कौन किसका विकल्प है? छात्रों ने दोनों जवाब दिये थे। सवाल यह खड़ा हो गया कि सही जवाब तय कौन करेगा? हालात के हिसाब से जवाब दोनों सही हैं। परंपरागत, हम किताबों से जुड़े रहे हैं- जिसका विकल्प अभी तक नहीं आया है। अब विकल्प खड़ा हो रहा है कि तकनीकि युग में पढ़ने का अच्छा विकल्प श्रव्य और दृश्य माध्यम यानी टीवी या फिल्म के पर्दे को बनाया जा सकता है! और क्यों नहीं हो सकता? जब बच्चे माता-पिता के साथ रात-दिन टीवी और सिनेमा देख रहे हैं। तब उस माध्यम का उपयोग क्यों न हो? विरोध में तर्क यही होगा कि गंदे धारावाहिक या कथानक वाली फिल्में देखकर बच्चे बिगड़ते हैं। अरे भाई, माध्यम गलत नहीं है, प्रस्तुति गलत है तो उसे सुधारा जा सकता है। टीन-ऐज बच्चे कोर्स की किताबों से छुपकर वीडियो फिल्में भी तो देखते हुए पकड़े जाते हैं या वे ‘डेबोनियर’ जैसी चित्रावली में छुपकर नजर गड़ाते हैं। हम उन्हें रोकते हैं कि नहीं? वैसे ही, सिनेमा या टीवी के पर्दे पर पढ़ने के कार्यक्रम को बनाये जाने वालों पर कानून का सख्त शिकंजा रहे। टीवी के कुछ प्रोग्राम, डॉक्यूमेंट्री या बड़े पर्दे पर शिक्षाप्रद फिल्में भी तो आती हैं। ‘गांधी’, ‘नायक’ या ‘उरी’ जैसी फिल्में भी तो बनती हैं, जो हम बच्चों के साथ देखते हैं। फिर पर्दे को त्याज्य कैसे कर सकते हैं? जरूरत है शिक्षान्मुखी कार्यक्रम बनाये जाने कीं समय सीमा तय किये जाने की। किताब और पर्दा दोनों एक दूसरे का विकल्प है। #bollywood #Uri #gandhi #Nayak हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article