सिनेमा का बाजार बिगाड़ रहे हैं‘टिकटॉक’ जैसे बेफिक्रे ऐप

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By Mayapuri Desk
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सिनेमा का बाजार बिगाड़ रहे हैं‘टिकटॉक’ जैसे बेफिक्रे ऐप

मद्रास हाईकोर्ट ने ‘टिकटॉक’ ऐप पर लगे प्रतिबंध पर ढील दे दी है, कंपनी की इस गुजारिश पर कि वह ‘पोर्न कांटेंट’ (अश्लील सामाग्री) को अपनी साइट पर अपलोड नहीं करेंगे। ‘टिकटॉक’ एक शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप है जिसे चीन की कंपनी बाइट डांस चलाती है। ‘टिकटॉक’ या उसके जैसे कई ऐप हैं, जिनके बारे में भारत के युवा वर्ग को बताने की जरूरत नहीं है। हर युवा जिनके पास स्मार्ट फोन है, उनको देखिये, वे ‘टिकटॉक’, ‘यू-ट्यूब’, ‘इंस्टाग्राम’, ‘बिगो लाइव’ जैसे ऐप पर कुछ विशेष देखने में मशगूल होते हैं।

  टिकटॉक, बिगो लाइव, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम और बिगो वीडियोज कंपनियों की मंशा भले ही खराब नहीं रही हो, इनके यूजर जो प्रायः देश के जवान लड़के-लड़कियां होते हैं, वे स्वयं के वीडियो तैयार करके इन ऐप्स के जरिये लोगों तक पहुँचाने शेयरिंग करने की होड़ में हैं। जिसके जरिये वे कुछ पैसे भी कमा लेते हैं। जाहिर है इन वीडियो- शेयरिंग में ‘सेक्स कांटेंट’ की बहुतायत होती है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ नग्नावस्था में होने की वीडियोग्रॉफी दिखाने के लिए शर्त रखता है कि बशर्ते उसे ‘गिफ्ट’ मिले, तो एक तरूणी नाममात्र के कपड़े में है और बैलेडांस पेश करने के लिए प्रस्ताव मांग रही है। एक लड़की शीशे के सामने खड़ी रहकर किस करती है और प्यासी दिखती है। यह सब क्या है? टेक्नोलॉजी के सहारे नंगई पेश करने का प्लेटफॉर्म बहुत तेजी से भीड़ जुटाता जा रहा है। जिनको देखने के लिए व्यूअर्स की संख्या मिलियन (लाखों) में होती है और बदले में क्रिएटर-पब्लिशर पैसे कमाते हैं। अब यह क्रियेशन संक्रामक रूप ले चुका है। हमारे आस पड़ोस के बच्चे कॉलेज के विद्यार्थी अब इन्हीं ऐप्प को देखने में मस्त होते हैं और पिछली पीढ़ी के बुजुर्ग समझते हैं- बच्चे पढ़ रहे हैं। बेशक कम्युनिटी स्टेन्डर्ड और उम्र की शर्ते हर देश में लागू की जाने की सिफारिशें भी चालू हैं। जैसे- बिगो लाइव के लिए 12  की उम्र गूगल प्ले स्टोर में रखा गया है और 17 की उम्र IOS ऐप स्टोर भारत में लागू है। सवाल यह है कि उम्रों के लिए कोई वेरिफिकेशन तो है नहीं। जिसे 8 साल का बच्चा भी देख सकता है।

 और, सवाल यह भी है कि अगर इन ऐप कांटेंट को नियंत्रित नहीं किया जाएगा तो सिनेमा का क्या होगा? सिनेमा का बाजार धीरे-धीरे बिगड़ता जा रहा है, जिसके कारणों में एक ‘टिकटॉक’ जैसे ऐपस का होना भी है। अच्छा होगा सिनेमा-इंडस्ट्री से चुनकर आने वाले प्रतिनिधि अभी से इस बात को ध्यान में रखना शुरू कर दें।

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