उस एक शाम जब देव साहब का जादू पूरे गोवा पर छा गया और वो आजतक कायम है By Mayapuri Desk 26 Jan 2021 | एडिट 26 Jan 2021 23:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर उस एक शाम जब देव साहब का जादू पूरे गोवा पर छा गया था और वो जादू आज तक कायम है जैसे कि अब इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल गोवा में ख़त्म होने पर आ गया है, मैं ख़ुद को उस फ्लैशबैक में जाने से रोक नहीं पा रहा हूँ जब देव आनंद, जिन्हें सब प्यार से देव साहब कहा करते थे; ऐसे ही गोवा के एक फेस्टिवल में चीफ गेस्ट थे। - Ali Peter John मुझे याद है कि जब देव साहब को गोवा फेस्टिवल की कुछ पॉवरफुल हस्तियों ने चीफ गेस्ट बनने के लिए आग्रह किया तो देव साहब मना नहीं कर पाए और चीफ गेस्ट बनने को राज़ी हो गए। मानों जैसे कोई परंपरा बंधी थी उनके मेरे बीच कि वो चाहते थे मैं उनके साथ ही गोवा चलूं, पर मैं उनके सुबह की फ्लाइट नहीं ले सकता था इसलिए उन्होंने मुझसे कहा कि मैं दोपहर दो बजे की फ्लाइट से गोवा पहुँच जाऊं। जब न मेरे पास कोई सामान था और न पैसे, हाँ मेरे पास उनका नंबर था मैंने अपने साथ कोई सामान नहीं रखा था क्योंकि मुझसे देव साहब ने कहा था कि हम अगले ही दिन सुबह वापसी कर लेंगे। मैं डबोलिम एयरपोर्ट पहुंचकर पैनिक हो गया, कारण? मुझे रिसीव करने के लिए वहाँ देव साहब की टीम में से कोई मौजूद नहीं था जबकि उन्होंने कहा था कि कोई न कोई उनकी कम्पनी से मुझे लेने ज़रूर आएगा। देव साहब को पंजिम के गोवा कला अकादमी में प्रेस कॉन्फ्रेंस को 3 बजे सम्बोधित करना था। मुझे उस वक़्त कुछ न मिला तो ज़िन्दगी में पहली बार मैं सिर्फ देव साहब से मुहब्बत की ख़ातिर 'टेक्सी बाइक' में बैठ गया और सीधा अकादमी पहुंचा। वहाँ देव साहब की एक झलक भर पाने के लिए बेतहाशा भीड़ थी और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानों मैं पीछे अकेला रह गया हूँ। मैंने पंजिम की मार्किट में एक सस्ते से होटल में चेक-इन किया। मैं जानता था कि मैं उस रूम का किराया देने की भी पोजीशन में नहीं हूँ और जब मुझे कोई रास्ता न नज़र आया तो मैंने देव साहब को फोन किया जबकि मैं जानता था कि वो कभी फोन नहीं उठाते हैं क्योंकि उनके बेटे सुनील का उन पर ज़ोर बना रहता है। मुझे आज भी उनका नंबर याद है, मैंने जब उनको फोन किया तो उधर से पहली जो आवाज़ आई वो फ़िक्रमंद थी 'अली, कहाँ हो तुम? मुझे तुम्हारी बहुत फ़िक्र हो रही थी' मैंने उन्हें सारी स्थिति शॉर्ट में बताई और बताया कि क्यों मैं इस छोटे से होटल में हूँ, जो मुझे अगली आवाज़ सुनने को मिली वो थी 'तुम उस होटल में एक घंटा भी नहीं रुकने वाले हो, मैं अभी किसी को तुम्हारे पास तुम्हें ताज में पहुँचाने के लिए भेज रहा हूँ' देव साहब के आदमी की कार जब आई और मैं उसमें बैठा तो कुछ ही मिनट्स बाद मैं होटल ताज में खड़ा था। लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती है, जब मैं ताज पहुँचा तो पता चला कि उसमें एक भी कमरा खाली नहीं है। और फिर कभी देव साहब को दोबारा गोवा फेस्टिवल में देखना नसीब न हुआ इसके बाद जो हुआ उसपर मैं एक पल को तो भरोसा ही न कर पाया, देव साहब ने मुझे अपने सुइट में बुलाया और फिर अपने बेटे सुनील को भी बुलाया जो ताज के ही एक आलिशान कॉटेज में रुका था। अगले ही मिनट देव साहब ने सुनील से कहा 'तुम मेरे साथ यहाँ मेरे सुइट में रहो और कॉटेज अली को दे दो' मैं हैरान हो गया और तुरंत कई बार देव साहब को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की लेकिन वो देव साहब थे, उन्होंने अगर कोई फैसला ले लिया तो उसे कोई नहीं बदल सकता था, ख़ुद देव साहब भी नहीं। मुझे शुरुआत में उस कॉटेज में बहुत असहजता महसूस हुई पर जब मैंने देव साहब की दरियादिली के बारे में सोचा तो मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्होंने एक बार फिर जता दिया कि वो मुझसे कितना प्यार करते हैं, मेरा कितना मान रखते हैं। और यकीन जानिए, मेरी इस ज़िन्दगी में मेरे लिए यही सबसे बड़ा ख़जाना है। शाम को ताज में ही एक पार्टी थी जिसमें दुनिया के अलग-अलग कोने से गेस्ट्स आये थे और ये देखना बहुत सुखद था कि सब कैसे देव साहब की पर्सनालिटी से अट्रेक्टेड थे। देव साहब, जो अपने चार्म के बेस्ट दौर में थे और पार्टी में शामिल हर शख्स को बराबर इम्पोर्टेंस दे रहे थे। ख़ैर, ये देव साहब की गोवा में आख़िरी विज़िट थी और फिर जाने क्यों मुझे भी उसके बाद से ही गोवा से कोई ख़ास लगाव न रहा। और अब सोचता हूँ तो हैरान होता हूँ कि इस बार जो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल हुआ उसमें ज़ीनत-अमान चीफ गेस्ट थीं। वहीं ज़ीनी बेबी जिन्हें दम-मारो-दम गाने से देव साहब ने इंट्रोड्यूस किया था। आज वो ज़ीनत अमान अपने बूढ़े झुर्रियों से ढके चेहरे पर मोटा चश्मा लगाए थीं और उनकी आँखों में एक थकान नज़र आती थी। पर, शायद यही ज़िन्दगी है। जैसा अनादि से आनंद देव आनंद कहा करते थे। अनुवाद - width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' #Dev Anand #ali peter john #Zeenat Aman #international film festival goa #dam maaro dam हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article