धर्मेंद्र एक संघर्षशील व्यक्ति हैं जिनकी पहली महत्वाकांक्षा दिलीप कुमार से मिलने या कम से कम उन्हें एक नजर देखने की थी। वह एक स्टूडियो के बाहर भीड़ में खड़े कई संघर्ष करने वालों में से एक थे, जहां देवानंद शूटिंग कर रहे होते थे। एक दिन, देव की दिन की शूटिंग खत्म हुई और देव वहां से निकल रहे थे कि उनकी नजर एक हैंडसम आदमी पर पड़ी और उन्होंने उस आदमी को बुलाकर अंग्रेजी में कहा, “युवक, इस भीड़ में क्या कर रहे हो, इस भीड़ में खड़े होने के लिए आप पैदा नहीं हुए हैं। आप एक दिन इस भीड़ से अलग खड़े होने वाले हैं।”
वह देव आनंद नामक एक शाश्वत तारे के उदय की शुरूआत थी।
आज करीब 60 साल बाद भी धर्मेंद्र देव के दीवाने हैं। वह दिलीप कुमार की आज भी पूजा करते है, लेकिन वह देव से भी बहुत प्यार करते है।
जब से धरम 85 साल के हुए है, तब से वह अपना सारा समय लोनावला के अपने फार्महाउस पर बिता रहे हैं और अगर आपने यह सोचा कि एक 85 वर्षीय व्यक्ति अपनी कुर्सी पर बैठा होगा या अपने बिस्तर पर लेटा होगा, तो आप बिल्कुल गलत हैं।
धरम सुबह 5 बजे उठकर अपनी एक्सरसाइज करते हैं। वह पक्का शाकाहारी नाश्ता करते है और फिर तैरने जाते है।
वह वापस आते है और अपने खेत के सभी जानवरों के प्रति अपना स्नेह दिखाते है और अपने खेत में काम करने वाले सभी लोगों की देखभाल भी करते है। उन्होंने पास उन सभी जानवरों के नाम रखे हुए हैं जिन्हें वह अच्छी तरह जानते है। ऐसा कोई क्षण नहीं है जब वह निष्क्रिय हो।
और जब वह थोडे फ्री और रचनात्मक मूड में होते है, तो वह कविता लिखते है या लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के पुराने गाने सुनते है। और इन दिनों वह गाते भी है। उन्हें हाल ही में फिल्म “हम दोनो” के एक प्रसिद्ध देवानंद गीत
‘अभी ना जाओ छोड के कि दिल अभी भरा नहीं’ गाते हुए सुना गया था।
कुछ साल पहले फार्महाउस को बेचे जाने की अफवाह उड़ी थी। धरम अपने फार्महाउस के बिना क्या करते अगर वह बिक गया होता तो।
धरम जी, आपकी जिंदगी जिंदगी पर एक आशीर्वाद है। आपको देखकर जीने की तमन्ना और बढ़ जाती है। है कोई इंसान जो 85 की उमर में जिंदगी का जश्न ऐसे मनाए।