उन्होंने तेलुगु और हिंदी फिल्मों में तीन साल के भीतर एक बड़ी धूम मचा दी थी, उन्होंने 16 फिल्मों में काम किया था और उनमें से ज्यादातर बड़ी हिट फिल्मे थीं और वह अगली नंबर वन एक्ट्रेस होने के लिए अग्रसर थी, और यहां तक कि वह जल्द ही सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्रियों में से एक भी बन गई थीं, जिनके पास बड़ी फिल्मों की एक लंबी लिस्ट थी, जिनमे उन्हें साइन किया गया था और कुछ ही वर्षों में या केवल दो साल के भीतर उन्होंने पूरी इंडस्ट्री पर राज कर लिया था!
लेकिन फिर उन्हें प्यार हो गया था, वो भी एक युवा और गतिशील निर्माता साजिद नाडियाडवाला के साथ जो तब इतने कामयाब नहीं थे, जितने बाद में हो गए थे। जब वे 18 साल की हो गई थी तब उन दोनों ने शादी कर ली थी और उन्होंने इस्लाम धर्म को अपना लिया था और सना नाम ले लिया था और फिर ऑफिशियली तौर पर उनका नाम श्रीमती सना नाडियाडवाला पड़ गया था।
वह ‘तुलसी’ नामक बिल्डिंग के एक अपार्टमेंट में रह रही थी, जिस बिल्डिंग में मेरे दोस्त कुलभूषण गुप्ता भी रहते थे, जिन्होंने ‘गॉड एंड गन’ और ‘परदेसी बाबू’ जैसी फिल्में बनाई थी!
दिव्या भारती (यह उनका नाम था जिसे 80 के दशक के हिंदी सिनेमा के बारे में कुछ भी जानने वाले आसानी से नहीं भूल सकते) जो अपनी सबसे बड़ी फिल्म साइन करने की कगार पर थीं जिसमें वह श्रीदेवी द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका निभाने वाली थीं और उन्हें इसमें अनिल कपूर के साथ कास्ट किया जाना था!
हालांकि उन्होंने यह फिल्म साइन कर ली थी और इसके बाद वह सातवें आसमान पर थी!
कुलभूषण और मैं वर्सोवा के ‘हेर्मेस विला’ गए, जहाँ वह शूटिंग कर रही थी। वह बहुत उत्साहित दिख रही थी जब हमने उन्हें उनकी बड़ी उपलब्धि पर बधाई दी थी। उस शाम वह जल्दी चली गई क्योंकि उनके पास इस जश्न को मनाने के अपने कुछ प्लान्स थे!
साजिद के साथ वह एक लॉन्ग ड्राइव पर गई और साउथ मुंबई में अपने कुछ दोस्तों से मिली! उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही ड्रिंक्स लेनी शुरू कर दी थी और उस शाम भी वह इतनी ड्रिंक कर रही थी जैसे कि उन्हें फिर नहीं मिलेगी।
वह तुलसी बिल्डिंग की पाँचवीं मंजिल पर साजिद के साथ अपने अपार्टमेंट में वापस आ गई। उनके साथ उनके करीबी दोस्त, जानी-मानी हेयरड्रेसर नीता लुल्ला और उनके पति साजिद और दिव्या का बाकि स्टाफ था!
उस रात क्या हुआ किसी को नहीं पता था। लेकिन यह सब को ज्ञात था कि, दिव्या उस रात अपने अपार्टमेंट के पैरापेट पर बैठकर शराब पी रही थी!
कुलभूषण ने मुझे सुबह 6 बजे फोन किया और मुझे बताया कि दिव्या भारती मर गई हैं और उनकी बुरी तरह घायल शरीर तुलसी बिल्डिंग के कंपाउंड में पाया गया था और उन्हें कूपर अस्पताल ले जाया गया था जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था!
मैं विभिन्न अस्पतालों के मुर्दाघर में गया हूँ क्योंकि यह एक एस.ई.ओ. (स्पेशल एग्जीक्यूटिव ऑफिसर) के रूप में मेरी ड्यूटी थी, लेकिन मैंने कभी इतना गंदा और डरावना दिखने वाला मुर्दाघर नहीं देखा और मैं दिव्या भारती के उस क्षतिग्रस्त और मृत शरीर की वहा कल्पना भी नहीं कर पा रहा था जो कई अन्य शवों के साथ फर्श पर पड़ा था।
पहले पुलिस को उनके शरीर को फ्री करने में घंटों लग गए और फिर उनके शरीर को फिर से संगठित करने और उसे विले पार्ले हिंदू श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए तैयार करने और ले जाने में अधिक समय लग गया था जहां पहले से ही भारी भीड़ जमा हो गई थी। उनके शरीर को एक हिंदू दुल्हन की तरह तैयार किया गया था और फिर उन्हें साजिद, उनके पिता श्री ओम प्रकाश भारती और अन्य करीबी दोस्तों द्वारा जलाया गया था।
जैसे-जैसे उनका शरीर आग की लपटों में जलता गया, उस रात क्या हुआ होगा और इसका कौन जिम्मेदार होगा, इस बारे में सभी तरह की फुसफुसाहट और अफवाहें फेलती गई। साजिद एक टूटे हुए आदमी की तरह नजर आ रहे थे और शोक करने वालों ने उन्हें संदेह और उत्सुक आँखों से देखा था। कई पूछताछ हुई, लेकिन अंत में दिव्या भारती मामले को एक एक्सीडेंटल डेथ घोषित कर दिया गया था।
मौत ने दिव्या से उनके सारे सपने छीन लिए थे और बाकी रह गई थी तो सिर्फ उनकी यादें और कुछ सवाल जो आज भी कई जगह भटक रहे है एक आत्मा की तरह।
अनु-छवि शर्मा