गुरदास मान के एक गुरु है जिनको मान बहुत मानते है By Mayapuri Desk 22 Apr 2021 | एडिट 22 Apr 2021 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर यह देखना एक बहुत ही अजीब अनुभव है कि कैसे कुछ सबसे अधिक सम्मानित पुरुषों और महिलाओं के अपने गुरु होते हैं जिन्हें वह बहुत अधिक मानते हैं और उनकी इच्छाओं और आदेशों का सम्मान करते हैं। मैंने ऐसे गुरुओं के बारे में पढ़ा है और उनमें से कुछ के बारे में भी जाना भी है, वही एक महान गायक, कवि अभिनेता और निर्माता गुरदास मान के अपने एक गुरु हैं जिन्हें वे साईं कहते हैं जो जीवन के सभी हलचल से बहुत दूर रहते है और कहा जाता है कि उनके कुछ सबसे शक्तिशाली शिष्यों पर उनका आध्यात्मिक और मानसिक नियंत्रण है, और वे किसी भी तरह से उनकी अवज्ञा नहीं कर सकते। गुरदास मान का दृढ़ विश्वास है कि उनका जीवन उनके साईं से प्रेरित और नियंत्रित है जिन्होंने खुद को सुर्खियों से दूर रखा है और अभी भी कुछ सर्वश्रेष्ठ लोगों के जीवन में एक अग्रणी प्रकाश है जो दुनिया का अहम हिस्सा हैं। -अली पीटर जॉन गुरदास के जीवन में साईं के बारे में कई सारी कहानियां हैं। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं जो सामने आई हैं। दो बहुत ही गैस्टली कार दुर्घटनाएँ हुई हैं जिनमें गुरदास मान शामिल रहे हैं और उनके साई ने उन्हें उन दिनों में यात्रा न करने की चेतावनी दी थी, लेकिन गुरदास या तो अपने साईं की सलाह को भूल गए थे या हो सकता है कि इसे हल्के में लिया हो। 20 जनवरी को, गुरदास एक गाँव से होकर जा रहे थे, जब उनकी कार तेज रफ्तार ट्रक में जा घुसी। वह घायल हो गए, लेकिन गंभीर रूप से घायल नहीं हुए, लेकिन उनके ड्राइवर तेजपाल की दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिस सदमे से गुरदास कई महीनों तक बाहर नहीं निकल सके और जब वह सामान्य हुए, तो उन्होंने जो पहला गाना रिकॉर्ड किया, वह उनके वफादार ड्राइवर तेजपाल के लिए उनकी श्रद्धांजलि थी। 20 जनवरी, 2020 को गुरदास ने अपनी कार में ड्राइविंग करते समय एक और बुरे एक्सीडेंट का सामना किया और उनके शरीर पर बस कुछ चोटें और खरोंचें आई थीं और उन्हें फिर से बचा लिया गया था। उसका ड्राईवर गणेश गंभीर रूप से घायल हो गया, लेकिन वह जल्द ही ठीक हो गया। जब भी गुरदास उन दो हादसों को याद किया, उन्होंने अपने गुरु साईं की प्रशंसा की और माना कि वह अपने साईं की कृपा और प्रार्थना से जीवित हैं। उनके साईं में उनका विश्वास अब उनके व्यक्तित्व और पंजाबी संस्कृति और जीवन का हिस्सा बन गया है। गुरदास मान के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण महीना जनवरी रहा है। उनका जन्म 4 जनवरी, 1957 को हुआ था। और उन्हें जनवरी में ही दो नए जीवन मिले थे। मुझे गुरदास मान के बारे में तब पता चला जब वे हिंदी और पंजाबी फिल्में बनाने में व्यस्त थे। वह अपने काम के लिए और अपनी कुशल पत्नी, मंजीत मान और उनकी टीम के साथ अपनी फिल्मों और शो की योजना बनाने के लिए मुंबई का दौरा करते रहे। उनकी विनम्रता और उनकी मृदुभाषिता ने मुझे जीत लिया और मुझे एक सितारा-मित्र मिला जो पृथ्वी पर एक सितारा नहीं था, बल्कि किसी और दुनिया का एक संत था। मैं अपने घर पर अपने कमरे में अकेला था जब मेरे घर पर अचानक कुछ विजिटर्स आए। जिन्हें गुरदास ने भेजा था, वे सभी परेशान दिख रहे थे। क्योंकि गुरदास ने पंजाब में मेरे बारे में एक सपना देखा था, सपना बुरा था। गुरदास इतने मुझे लेकर इतने चिंतित थे कि उन्होंने अपनी टीम को मेरे घर जाने और यह देखने के लिए भेजा कि क्या मेरे और मेरे स्वास्थ्य के साथ सब कुछ ठीक है। सपनों को इतनी गंभीरता से कौन लेता है? और वो भी एक छोटे पत्रकार के बारे में कौन इतना व्यक्तिगत ख्याल रखता है? जिसे वह कुछ समय पहले ही मिले थे। यह मुंबई में रवींद्र नाट्य मंदिर में उनकी फिल्म ‘वारिस शाह इश्क दा वारिस’ का प्रीमियर था। सभागार (ऑडिटोरियम) भरा हुआ था। मुझे गुरदास और मंजीत दोनों ने आमंत्रित किया था। मुझे आमतौर पर उस जगह तक घूमना पसंद नहीं है जहाँ किसी समारोह से पहले सेलेब्रिटीज मिलते हैं लेकिन मान यूनिट के किसी व्यक्ति ने मेरे पास आकर मुझे बताया कि गुरदास मान मुझसे मिलना चाहते हैं। मैं धीरे-धीरे गुरदास मान के पास गया और वह अपने हाथों से मेरी ओर दौड़ते हुए आए और हाथ फैला कर मेरा स्वागत किया और इससे पहले कि मैं कुछ कहने के बारे में सोच पाता, उन्होंने मेरे पैर छुए और मुझे तब बिल्कुल नहीं पता था कि मैं क्या कहूं या क्या करूं लेकिन उनका मेरे पैरों को छूना मुझे कोई खास बना गया क्योंकि सबसे अच्छी हस्तियों ने मुझे अपनी उत्सुक आँखों से यह जानने के लिए मरते हुए देखा कि आखिर मैं कौन था। मैंने उनके साथ संपर्क खो दिया था, खासकर लॉकडाउन के बाद। लेकिन मैं एक दंपति से मिला जो उनके बड़े प्रशंसक थे जिन्होंने सिर्फ ‘द पंजाबी चुल्हा’ नामक एक रेस्तरां खोला था। उनके समर्पण को देखकर मैंने गुरदास मान को फोन किया और उन्हें मुंबई के ओशिवारा में उस पंजाबी कपल और उनके रेस्तरां के बारे में बताया। मैंने गुरदास से कहा कि यह कपल खुशी से भांगड़ा करेगा यदि वह उन्हें उनके रेस्तरां के लिए बधाई देगे। उन्होंने न केवल उनसे बात की, बल्कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ फूलों की एक टोकरी भेजी और दो दिन बाद, उन्होंने उन्हें एक पत्र लिखा, जिसे उन्होंने अब फ्रेम करा लिया है और उन्हें अपने रेस्तरां के प्रवेश द्वार पर रखा दिया है। और अभी तो मान साहब सिर्फ 67 के हुए है और उनके दिल में कितनी सारी उमंगें नाच रही है जो जब पूरी होंगी, दुनिया का रंग कुछ बदल सा जाएगा। अनु- छवि शर्मा हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article