आजकल बलात्कार महामारी से ज्यादा भयानक और क्रूर बीमारी बन गई है .
इस बीमारी को जल्द से जल्द खत्म करना होगा ,नही तो ये इंसानियत को बर्बाद कर देगी !
इंसान कि हरकत और नीयत आजकल इतनी बुरी हो गई है कि इंसान को हैवान कहना हैवान कि बेईज्जती होगी !
ऐसे तो बलात्कार तब से एक बीमारी थी जब इंसान पैदा हुआ था और उसकी आँखें खुल गई थी और नीयत बुरी हो गई थी और ये श्राप दुनिया के हर कोने में फैला हुआ है.
लेकिन इधर कुछ दिनों से बलात्कार को जैसे एक खूंखार जश्न जैसे मना रहे हैं बडी बेरहमी और बेशर्मी के साथ कोई दिन ऐसा नहीं जब अखबार खोलने पर या आजकल के चैनलों को देखकर खून न खौलता हो जब बलात्कार दरिंदगी और हत्या कि खबरें सुनने पढ़ने और देखने को मिलती है, एक से एक भयानक बलात्कार की कहानियां इतनी भयभीत और डरावनी हो गई है कि रातों कि नींद उड़ जाती है, डरावने और भयभीत करने वाले ख्याल तड़पते हैं और एक सवाल बार बार दिमाग में कौंधता है दिलांे में और दिमागों में कि हम इंसान कहां आ गये है, क्या कर रहे हैं और कहां जा रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों से हमारे देश में जो गंदी, गर्म और दम घांेटने वाली हवा चल रही है बलात्कार को लेकर, जिससे हम सबको शर्म से सर झुकाना चाहिए और अपने आप को जूतों से मारना चाहिए, खास करके हमारे नेताओं को जो बड़े बड़े नारे पर अपनी अपनी सरकारें टिकाये रखें हुए है. कहते थे कि उनका एक नारा ‘बेटी बचाओ’ था और आज जरा देखिये हमारे छोटी छोटी बेटियों के साथ क्या हैवानियत और दरिन्दगी हो रही है ....
जरा सोचिये अगर अब भी आपके पास आपका दिल है ....एक उन्नीस साल कि बेटी का बलात्कार किया जाता है कुछ गुंडों और बदमाशों के हाथ (गैंग रेप), उसकी जीभ काटी जाती है, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ी जाती है और उसका शव कही दूर रात के अंधेरे में जलाया जाता है सिर्फ कुछ पुलिस अधिकारियों के बीच जो एक घिनौनी हरकत है और जख्मों को और दर्दनाक बनाने के लिये उसके माँ बाप और परिवार वालो को भी आखरी दीदार नहीं करने दिया जाता है और यहाँ तक कि उसके परिवार के लोगो पर अत्याचार किया जाता है और धमकिया दी जाती है और एफ आई आर दर्ज की जाती है और फिर एक लंबी राजनीति का गंदा खेल शुरू हो जाता है जिसका कोई अन्त नजर नहीं आता।
और इससे पहले कि एक हादसे का शोक और शॉक से हम निकलने कि कोशिश करें कई और बलात्कारों कि खबर हमारे दिलों और दिमाग को चीर देती हैं ,फाड़ देती हैं ,तोड़ देती हैं और हम सब लाचारी से और खामोश होकर क्रोध से अपने आप को परेशान कर देते है।
क्या कोई हल है इस महामारी से लडने का ?
ऐसे लाचारी से हम कब तक ये सारे जुल्मों का सामना करते रहेंगे हैं ?
क्या इस महामारी का कोई अंत है या होगा कभी ?
क्या हम सब कहीं ना कहीं इस महामारी के लिये जिम्मेदार नहीं है?
क्या हमारी कुछ फिल्में भी इस महामारी को फैलाने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं ?
जरा हमारी उन फिल्मों के बारे में सोचिये जिसमें बलात्कार से लड़ने का तरीका ढूढने के बहाने से ऐसी फिल्में बनाते हैं जो बलात्कार के खिलाफ जंग लड़ने के बहाने गंदी से गंदी सेक्स फिल्म बनाते हैं ?
क्या आपको याद है वो फिल्मे जैसे ‘प्रभात’ जिसमें पहली बार एक फिल्म में आधा घंटे का सिर्फ रेप सीन था। ‘इंसाफ का तराजू’ जिसमें हीरो एक नहीं दो बार बलात्कार करता है, पहले बड़ी बहन के साथ और फिर बारह साल कि छोटी बहन के साथ,‘मेरी आवाज सुनो’ जिसकी कहानी ही बलात्कार पर है,एक साथ तीन फिल्में ,‘बेआबरू’, ‘बदकार’ और ‘बदनाम’ बनी थी जो सिर्फ एक तमाशा था नंगे बदन दिखाने का बलात्कार के नाम पर और ऐसी बहुत सारी फिल्में है.
इन सब फिल्मों में एक फिल्म थी, ‘जख्मी औरत’ जिसमें डिम्पल कपाड़िया ‘रेप विक्टिम’ होती है और अंत में बलात्कारियों से बदला लेती है उनको वहाँ मारकर जहाँ मर्द को सबसे ज्यादा दर्द होता है.
क्या ये सही तरीका था ?
मैंने ये सवाल इन दिनों कई लोगो से पूछा और सबका एक ही मत था, ‘इन बलात्कारियों को जल्द से जल्द और सबसे ज्यादा दर्द देने वाली सजा देनी चाहिए ताकि बाकी मर्दो को खौफ हो जाये और वो कभी बलात्कार करने का सोचे भी नहीं और ऐसा करने से तो मौत का डर उनके दिमाग में बैठ जाये.
कुछ साल पहले बड़े शहरों के पास छोटे छोटे गाँव में जब कोई बलात्कार करता था और उसका सबूत मिल जाता था ,वहा की सारी औरते, मर्द और बच्चे भी बलात्कारी को पत्थरों से तब तक मारते थे जब तक वो मर नही जाता था ?
ये हकीकत है जो हमने अपनी आँखों से देखी है .
दुनिया मे आज भी ऐसे देश है जहाँ बलात्कार सबसे बड़ा जुर्म माना जाता है और बलात्कारियों को ‘ऑन द स्पॉट’ मार दिया जाता है जनता के बीच फांसी दी जाती है चैराहे पर.
क्या हमको भी ऐसी सजा देने पड़ेगी ?
नही तो निर्भया को इंसाफ मिलने के लिये नौ साल लगते रहेंगे और मनीषा के बलात्कारियों को क्या जाने अंधा कानून बाइज्जत रिहा भी कर सकता है ?
आजकल ऐसा लगता है जैसे हम एक अंधे युग मे जी रहे है .
क्या हम एक ऐसी ‘न्यू इंडिया’ में फिर जियेंगे जब हर बेटी को बदनामी से और बर्बादी से बचाया जा सकेगा ?
हम ज्यादा कुछ नही मांग रहे हैं, लेकिन क्या हम अपनी बेटियों के लिये सुरक्षा मिलने के लिये और न्याय के लिये हम एक होकर आवाज नही उठा सकते ?
इन देशो में इस तरह से दी जाती हैं बलात्कार जैसे अपराध की सजा
समाज ने बलात्कार को हमेशा सबसे जघन्य अपराधों में से एक माना है। एक परिभाषित अपराध के रूप में ष्बलात्कारष् पहली बार 1860 में भारतीय दंड संहिता में पेश किया गया था। बलात्कार को वर्तमान में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी में परिभाषित किया गया है। पूरे साल के दौरान, कानून को मजबूत करने के लिए विधायिका ने कई संशोधन पास किए हैं। लेकिन क्या इससे बलात्कार को रोकने या इसे मुकाबला करने में मदद मिली है?
हमने पिछले कुछ दिनों में देखा है कि हाथरस और बलरामपुर में क्या हुआ। हमारे देश में जो भी हो रहा है, उससे लोग बहुत नाराज हैं।
भारतः आजीवन कारावास की सजा
अप्रैल 2013 के एंटी रेप बिल के बाद, अपराधी आजीवन कारावास (जो कि वास्तव में 14 वर्ष है) के लिए उत्तरदायी हैं, पूरे जीवन के लिए कारावास और यहां तक कि दुर्लभ मामलों में मौत की सजा भी हो सकती है। संशोधन का विस्तार भी हुआ जिसमें कई प्रकार के यौन हमले शामिल हैं जो बलात्कार का अमाउंट हैं।
फ्रांसः जीवन के लिए 15 साल
फ्रांसीसी अपने बलात्कार कानूनों के बारे में बहुत कट्टर हैं। उन्होंने बलात्कार के लिए 15 साल की सजा सुनाई, जिसे नुकसान और क्रूरता की सीमा के आधार पर इस सजा को 30 या पूरी लाइफ तक बढ़ाया जा सकता है।
चीनः मौत की सजा या कैस्ट्रेशन
चीन में बलात्कार के लिए मौत की सजा है, जो कुछ उनकी तेजी के लिए सराहना कर सकता है। हालांकि, एक उचित परीक्षण के बिना निष्पादन केवल बर्बरता है। उनके निरंकुश नेतृत्व का सबूत इस तथ्य से पता चलता है कि कुछ दोषी बलात्कारियों को, जिन्हें मार दिया गया था, वह बाद में निर्दोष पाए गए थे। कुछ मामलों में कैस्ट्रेशन का भी उपयोग किया जाता है।
सऊदी अरबः सिर काटना
सऊदी अरब में बलात्कार की सजा सार्वजनिक रूप से सिर काटना है एक शामक के साथ बलात्कारी का प्रशासन करने के बाद। तथ्य यह है कि वे ड्रग ट्रैफिकिंग के लिए भी यही सजा देते है, यानि कुछ बहुत गलत होने पर वह एसी सजा देते है। यह तानाशाही दल बलात्कारियों को फायरिंग दस्ते से मौत की सजा देता है। न्याय की उनकी रेखाएँ इतनी धुंधली हैं कि हम सभी जानते हैं, वे इसका इस्तेमाल असंतुष्टों को अंजाम देने के लिए कवर के रूप में करते हैं।
अफगानिस्तानः सिर में गोली मारकर या फासी देकर मौत की सजा देना।
बलात्कारियों को यहां 4 दिन के भीतर सिर में गोली मार दी जाती है या अदालत द्वारा सौंपे गए फैसले के आधार पर मौत की सजा दी जाती है।
ईजिप्टः फांसी से मौत
ईजिप्ट भी उन जगहों में से एक है जो अभी भी फांसी से मृत्यु की थोड़ी पुरानी पद्धति का अनुसरण करता हैं। बलात्कारियों के मामले में, मुझे लगता है कि यह बहुत हद तक ठीक है।
ईरानः मौत की सजा
ईरान में बलात्कारियों को मौत की सजा दी जाती है, कभी-कभी फांसी देकर लेकिन कभी-कभी कथित तौर पर पत्थरबाजी भी की जाती है, जो कि एक भीषण दुखदायक तरीका है। हालांकि, पर्याप्त रूप से, यहां की संस्कृति भी उस व्यक्ति का शिकार करती है जिसका बलात्कार किया गया था।
संयुक्त राज्य अमेरिकाः आजीवन कारावास
यहां एक दोषी बलात्कारी के लिए सामान्य सजा इस बात पर निर्भर करती है कि मुकदमा राज्य या फेड्रल लॉ के तहत आता है या नहीं। फेड्रल लॉ के तहत मामलों में, सजा बलात्कारी के जीवन काल की संपूर्णता के लिए कुछ साल से लेकर कारावास तक हो सकती है।