खबर है उर्मिला मातोंडकर के सामने मुंबई में एक ट्रांसजेंडर ने जब चुनाव लड़ने का नॉमिनेशन भरा तो उर्मिला के हाथ-पांव फूल गये थे। वह घबरा कर बोली थी- ‘अरे यार, इसके सामने मैं क्या बोल पाऊंगी!’ लोकसभा-प्रत्याशी स्नेहा काले मुंबई की पहली महिला-ट्रांसजेंडर (ट्रांस वुमन) हैं जो लोकसभा चुनाव में मैदान में हैं स्नेहा अब सुनील दत्त की पुत्री और संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त और पूनम महाजन के मुकाबले में उत्तर मध्य से चुनाव लड़ रही हैं। बॉलीवुड नगरी में अब तक इनको (हिजड़ा, होमोसेक्सुअल, लेस्बियन समुदाय जिनको अब ‘LGBTQI’ कौम कहा जाता है) पर्दे पर कहानी के प्रवाह को रिलेक्स देने के लिए चित्रित किया जाता था। फिर इनके ऊपर गंभीर कथानक विषय वाली फिल्में भी बनाई गई। कई गाने इनको चित्रांकित करके बेहद हिट रहे हैं। महमूद की फिल्म का गाना ‘सज रही गली मेरी अम्मा सुन्हरे गोटे में...’ के कलाकार अब पर्दे से राजनीति के गलियारे में उतर चुके हैं। ‘LGBTQI’ के उम्मीदवार लोकसभा चुनाव 2019 में पूरे देश में चुनाव लड़ने के लिए अग्रसर हैं। श्री गौरी सावंत, जो दूसरी ट्रांसवुमन हैं (जिनको महाराष्ट्र सरकार ने चुनाव एंबेसडर नियुक्त किया है।) वे सितारों से प्रचार में उतरने की अपील पहले ही कर चुकी हैं। गौरी ने सेक्स वर्करों में जागरूकता लाने के लिए भी प्रयास किया है कि उनकी समस्या को राजनैतिक-पार्टियां एजेन्डा क्यों नहीं बनाती? मणिपुर की ट्रांसजेंडर मॉडल-एक्ट्रेस विशेष हिरेम तो मणिपुर और पूर्वोत्तर भारत में वोटरों को जागरुक करने के लिए बहुत सक्रिय हैं। इनकी ही तरह प्रीति महंत भी पंजाबी में इलेक्ट्रोल ऑफिसर के रूप में वोटरों को जागरुक कर रही हैं, ये भी ट्रांसवुमन हैं। मुंबई में स्नेहा काले ने अगर दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों के लिए दिल धड़काने का काम किया है तो उनका हौंसला बढ़ाने के लिए आगे आने वाली प्रिया पाटिल, मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की पहली ट्रांसजेन्डर कैंडिडेट हैं। महाराष्ट्र के सतारा से प्रशांत वारकर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले ट्रांसजेंडर कैंडिडेट हैं। ओडिशा के कोरई क्षेत्र की प्रत्याशी काजल नायक ट्रांसवुमन हैं। बीजू महिला जनता दल की उपाध्यक्ष मीरा परीदा ने तो इस चुनाव के लिए अपनी LGBTQI कौम से कई प्रत्याशी तैयार किए हैं। इंडियन नेशनल कांग्रेस में जुड़ चुके हरीश अय्यर खुले तौर पर ‘गे’ समूह को प्रतिनिधित्व दे रहे हैं। अर्नाकुलम-केरला से चुनाव प्रत्याशी चिन्जू अवस्थी भी ‘LGBTQI’ कौम से हैं। मुंबई की प्रत्याशी स्नेहा काले कहती हैं- हमारी कम्युनिटी का बेसिक जरूरतों को चुनाव जीतने के बाद लोग भूल जाते हैं, मैं उनके लिए लड़ूंगी। अस्पताल बनाना और पढ़े लिखे ट्रांसजेंडरों को नौकरी दिलाने की सोच वाली स्नेहा को भारत की पहली ट्रांसजेंडर विधायक शबनम मौसी पहले ही आशीर्वाद दे चुकी हैं। तात्पर्य यह कि कल तक जो सिनेमा के पर्दे पर मनोरंजन थे, आज राजनीति के गलियारे में उतर चुके हैं। समय के इस बदलाव को स्वीकार कीजिए - जिसे सिनेमा ने बहुत पहले स्वीकार किया था।
पर्दे के बाद चुनावी-गलियारे में धूम मचानेके लिए तैयार है ‘LGBTQI’ कौम
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