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‘निर्विध्नम कुरू में देव सर्व कार्येषु सर्वदा...’ का जाप करके हर कार्य की शुरूआत करने वाले हिन्दुस्तान में गणपति की वंदना का ब्यान करना कोई तात्पर्य नहीं रखता, अगर हम यह न बतायें कि बॉलीवुड में उनको कितना सर आंखों पर लिया जाता है। पूरे बॉलीवुड में इस समय एक ही चर्चा का विषय है कि किस किस के यहां गणपति प्राण प्रतिष्ठित हैं और किन-किन सितारों ने किस किस गणपति पंडाल में जाकर पूजा की है। नाना पाटेकर, ऋषि कपूर, सलमान खान, आशा भोंसले, अनुराधा पौंडवाल... इनके घरों में ‘बाप्पा’ की मूर्ति को प्रस्थापित कर दिनभर भजन दर्शन का कार्यक्रम है तो अमिताभ बच्चन, रानी, दीपिका, सोनम कपूर जैसे सितारों के लिए लालबाग (मुंबई चा राजा) जैसे गणपति पंडालों में समय शेड्यूल बनाया गया है कि वे वहां कब पहुंचेंगे।
भारत में गणपति महोत्सव की शुरूआत की सोच भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं रही है। स्व. बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में पहला गणपति आयोजन किया था। तब सोच थी कि परतंत्र भारतवासी एक जगह पूजा के बहाने इकट्ठे होकर अपने आका अंग्रेजों को बता सकें कि हम भी (संख्या बल में) कम नहीं है। तिलक की इस सोच का स्वागत सबसे पहले फिल्मकारों ने किया। व्ही. शांताराम, राजकपूर, नाडियाडवाला...जैसे फिल्म मेकरों ने अपने स्टूडियो में गणपति पंडाल सजाया और पूरी यूनिट को पूजा के लिए हर दिन आमंत्रित किया। फिर यह क्रम समाज सेवियों द्वारा घर घर तक साकार रूप लेता गया। यह फिल्मवाले ही थे जिन्होंने संस्कृति के श्लोको और भजनों को अपनी फिल्मों का दृश्य बनाकर पेश किया। फिल्म ‘टक्कर’ में संजीव कुमार-जीतेन्द्र का गाया गीत ‘मूर्ति गणेश की’, ‘दर्द का रिश्ता- में सुनील दत्त की कैंसर पीड़िता बच्ची के लिए गणेश से याचना या फिर ‘अग्निपथ’ का गीत ‘गणपति अपने गांव चले’ या फिर दूसरी ‘अग्निपथ’, ‘देवा श्री गणेशा’ के दृश्य सीधे दिमाग पर बैठते हैं। सच तो यह है कि गणपति के दौरान बजने वाले प्रायः सभी गीत फिल्मों से होते हैं। बाद में, फिल्मों में वैसे दृश्य डाले जाने लगे जिनमें गणपति-विसर्जन का जुलूस दिखाया जा सके।
फिल्म ‘अग्निपथ’ (अमिताभ अभिनीत) का गीत ‘गणपति अपने गांव चले’ और ‘अग्निपथ’ (रितिक रोशन अभिनीत) का गीत ‘देवा श्री गणेशा’ दोनों खूब पॉपुलर हैं और विसर्जन के डांस-हंगामें में ये न बजाये जाएं, ऐसा होता ही नहीं है। ‘देवा हो देवा’ (हम से बढ़कर कौन), ‘तेरा ही जलवा’ (वांटेड), गा गा गा...गणपति बप्पा मोरिया (एबीसीडी), ‘श्री गणेशायः धिमही...’ (विरूद्ध) जैसे फिल्मी गीत तो गीत न रहकर भजन बन चुके हैं। यथार्थ यह है कि आज बॉलीवुड में सभी छोटे बड़े सितारें अपने अपने घरों में गणपति स्थापित करते हैं। डेढ़, तीन, पांच, सात और दस दिनों के इस गणपति महोत्सव में सब सम्बन्धों के अनुसार एक दूसरे के यहां जाते हैं और प्रसाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि गणेश सभी की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।
गणपति बाप्पा मोरया...!!
संपादक