राजेश खन्ना के पहले गुरु जिनको शराब ने मारा - वी.के शर्मा By Mayapuri Desk 12 Mar 2021 | एडिट 12 Mar 2021 23:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर वे दिन थे जब थिएटर मुंबई के कल्चर का एक एक्टिव पार्ट था और हिंदी रंगमंच परिसर में एक युद्ध के मैदान की तरह था। ‘खालसा’, ‘जयहिंद’ और ‘सेंट जेवियर्स’ जैसे कॉलेजों में थिएटर के बड़े महत्व थे और राजनीति ने नाटकों की गुणवत्ता की तुलना में बेहतर भूमिका निभाई और भले ही गुणवत्ता अच्छी थी, राजनीति और स्थानीय संघर्षों ने अपने स्वयं के गंदे तरीकों से अपनी भूमिका निभाई और हिंसा भी थी मुंबई में थिएटर आंदोलन का एक हिस्सा थी! -अली पीटर जॉन यह वो समय था जब अमजद खान, शफी इनामदार, अमोल पालेकर और युवा अभिनेताओं के एक पूरे ग्रुप इसमें शामिल थे जो विभिन्न थिएटर ग्रुप्स से जुड़े थे, सबसे लोकप्रिय और शक्तिशाली आईपीटीए ग्रुप (इंडियन पीपुल्स थिएटर असिसिएशन, जिसकी स्थापना बलराज साहनी, ए.के हंगल, कैफी आजमी, के.ए अब्बास और अन्य साहित्यिक और थिएटर फिगर जैसे दिग्गजों ने की थी)। लोकप्रिय अभिनेताओं में वी.के.शर्मा नाम का एक शख्स था, जिसका जतिन खन्ना नाम का एक बहुत करीबी दोस्त था, जिसे उन्होंने ट्रेन किया था और उसके लिए नाटक भी लिखे और निर्देशित किए थे। ‘वी.के’ जैसा कि उन्हें जाना जाता था कि वह जतिन खन्ना के गुरु थे, जो अंततः हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बने थे और उन्हें ‘राजेश खन्ना’ के नाम से जाना गया था। नए सुपरस्टार ने ‘वी के’ और एक अन्य थिएटर अभिनेता, गुरनाम को अपनी मण्डली (पुरुषों का एक ग्रुप जिसे सुपरस्टार का ‘चम्चा’ के रूप में जाना जाता था) के एक पार्ट के रूप में एक्सेप्ट किया था। गुरनाम को सुपरस्टार का पर्सनल सेक्रेटरी बनाया गया था और सुपरस्टार द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय तब तक अंतिम नहीं कहा जा सकता था जब तक कि गुरनाम ने इसे पास नहीं किया होता था। यहां तक कि सुपरस्टार को निर्माता के रूप में गुरनाम और लेखक और निर्देशक के रूप में ‘वी के’ के साथ एक फिल्म भी मिली थी। वह किरण कुमार के साथ फिल्म ‘सवेरा’ बनाने वाले थे, जो एफटीआईआई के कई छात्रों में से एक थे, जिन्हें सुपरस्टार के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था। मुझे आज भी याद है जब नटराज स्टूडियो में ‘सवेरा’ लॉन्च की गई थी। माहौल उत्साह से भरा था और जब सुपरस्टार बड़ी भीड़ के इंतजार के 2 घंटे बाद पहुंचे थे, तो चारों ओर अफरातफरी थी और जब सुपरस्टार शक्ति सामंत (वह आदमी जिसने उन्हें फिल्म ‘आराधना’ में पहला ब्रेक दिया था), द्वारा उन्हें भेंट की गई अपनी नई कार से बाहर निकले थे, तो सुपरस्टार पर सैकड़ों लड़कियां उनसे चिपक गई थी और जब वह उन्हें छू नहीं पा रही थी तो उन्होंने उनकी कार पर किस करना शुरू कर दिया था और यहां तक कि उन्होंने उनके ड्राइवर कबीर तक को गले लगा लिया था। यह कुछ ऐसा था जिसे दिलीप, देव और राज जैसे दिग्गजों ने भी अनुभव नहीं किया था। ऐसे भी कई निर्माता और निर्देशक थे, जो सुपरस्टार के साथ सिर्फ एक मुलाकात की प्रतीक्षा कर रहे थे। यह इस पृष्ठभूमि के खिलाफ था कि सुपरस्टार को ‘सवेरा’ के लॉन्च की घोषणा करने वाले क्लैपरबोर्ड की आवाज देनी थी। और जब सुपरस्टार ने ‘वी.के’ को गले लगाया, तो ‘वी.के’ खुद एक स्टार बन गए थे, सिर्फ इसलिए कि वह उनके बहुत करीब लग रहा था। मुहूर्त समाप्त हो गया और सुपरस्टार फूलों की माला से ढके हुए थे।हालांकि फिल्म पूरी नहीं हुई थी और सुपरस्टार के दोस्तों, ‘वी के’ और गुरनाम के साथ चीजें फिर कभी सही नहीं हुई थीं। गुरनाम की जल्द ही मृत्यु हो गई और ‘वी के’ का अपने छात्र के साथ पतन हो गया और जीवन उनके लिए खराब होता गया। वह भारी मात्रा में शराब पीने लगे थे और कुछ ही समय में वह एक शराबी बन गए थे जो हर जगह नशे में धुत रहा करते थे। उनके लिए हालात तब और बदतर हो गए जब कोई भी उन्हें गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं था। वह सस्ती देसी शराब बिकने वाली जगहों पर पाए गए जहाँ उन्होंने ‘बार’ में लोगों को राजेश खन्ना के साथ अपने संबंधो के बारे में बताता था और बार में लोग उनकी बातों का मजाक ऐसे उड़ाते थे, जैसे कि, “ये साला बोलता है इसने राजेश खन्ना को बनाया है, सच होता तो क्या यह हमारे साथ शराब पीता?” उनका ऐसा समय भी आया था जब उनके पास अपनी ड्रिंक के लिए पैसे तक नहीं होते थे और बार के वेटर उन्हें बाहर फेक दिया करते थे। मैं इन सभी दृश्यों का साक्षी रहा हूं, लेकिन मैं उन्हें उस स्थिति से नहीं बचा सका, जिसमें उन्होंने खुद को अपने आप धकेल दिया था। मैंने कई बार कोशिश की, लेकिन मेरे सभी प्रयास व्यर्थ रहे थे। उन्हें अलग-अलग कोनों पर खड़े और किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करना जो कुछ रुपयों से उसकी मदद कर सके यह सब कुछ देखना काफी दयनीय था। मैं उन्हें खुद इन सब के चलते अवॉयड करने की कोशिश की थी और पैसे के साथ उनकी मदद करने का दर्दनाक अनुभव होने के बाद, मुझे अब यह कहने में खेद है कि मैंने उन्हें ‘बार’ मैं भी अवॉयड करने की कोशिश की थी। वह अपने सबसे बुरे समय में भी हमेशा बेदाग सफेद कपड़े पहने हुए रहते थे और मैं हमेशा यह सोचता था कि वह अपने कपड़ों को इतना साफ कैसे रख पाते हैं। बहुत बाद में ही मुझे पता चला कि उनकी पत्नी एक लीडिंग स्कूल में टीचर थीं और मुझे महसूस हुआ कि उनका दिल सच में काफी अंडरस्टैंडिंग होगा। सुपरस्टार जो अब अपनी स्थिति से फिसल रहे थे वह तब वह फिल्में कर रहे थे जिसमें उन्होंने अधिक मैच्योर रोल्स प्ले किए थे। उनकी फिल्म, ‘अवतार’ ने उन्हें जीवन का एक नया मोड़ दिया। ‘अवतार’ के निर्देशक मोहन कुमार ने राजेश खन्ना के साथ फिर से एक और फिल्म ‘अमृत’ शुरू की जिसमे स्मिता पाटिल भी थी। खन्ना अपने गुरु ‘वी के’ को नहीं भूले थे और उन्होंने मोहन कुमार को फिल्म की पटकथा उनसे लिखवाने की सलहा दी थी। ‘वी के’ तब भी नशे में थे। खन्ना और कुमार ने ‘वी के’ को ढूंडने की व्यवस्था की और जब उन्होंने उन्हें सस्ते से बार में पाया, तो उन्होंने उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था की और जब वह बेहतर स्थिति में आ गए थे, तो उन्होंने उन्हें प्रेरित किया और यहां तक कि उन्हें लिखने के लिए मजबूर किया और उन्होंने स्क्रिप्ट लिखी थी। यह फिल्म एक अच्छा प्रभाव छोड़न में विफल रही, जो ‘अवतार’ ने छोड़ा था और इसने इससे जुड़े सभी लोगों को नुकसान पहुँचाया था, जिसमें मोहन कुमार भी शामिल थे, जो एक समय के सुपरस्टार थे जिन्होंने अपने सुपरस्टारडम को वापस पाने के लिए एक हारने वाली लड़ाई लड़ी थी और ‘वी के’ जो खुद को बचा सकते क्योंकि वह एक अच्छे लेखक थे, लेकिन एक ऐसे आदमी के बारे में क्या कह सकते है जिसने अपनी इच्छा शक्ति को ही खो दिया था जो वापस लड़ना और यहां तक कि जीना तक नहीं चाहता था। अनु-छवि शर्मा हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article