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“मैं प्रशिक्षित संगीतकार नहीं हूँ, मगर कुछ गाने बनाए हैं”- हसन जैदी

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By Mayapuri Desk
“मैं प्रशिक्षित संगीतकार नहीं हूँ, मगर कुछ गाने बनाए हैं”- हसन जैदी
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मूलतःहरदोई निवासी मगर अलीगढ़ में जन्में तथा अभिनेता बनने से पहले काफी वक्त मस्कत व ओमान में गुजारने वाले हसन जैदी को थिएटर व संगीत का शौक रहा है। हसन जैदी स्कूल और कॉलेज में विभिन्न कार्यों और सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। उन्होंने सायप्रस की युनिर्सिटी से उन्होंने ट्यूरिजम और हॉस्पिटलटी में स्नातक की डिग्री हासिल की। फिर वह मुंबई चले आए।

हसन जैदी ने “घर एक सपना”, “पाउडर”, “रिश्ता डॉट कॉम”, “खोटे सिक्के”, “हम ने ली है...शपथ”, “कुमुकम”, “सबकी लाडली बेबो”, “बेहद 2” और “जिंदगी मेरे घर आना”  जैसे कई टीवी सीरियलों के साथ ही विक्रम भट्ट की फिल्म “हॉरर स्टोरी”, शिल्पा शेट्टी की फिल्म “ढिश्कियाऊं”, शुदीप की फिल्म “फोर्टीन फ्लोर”, फिल्म “शरगोशियां” तथा “एक्स जोन” में अभिनय कर अपनी प्रतिभा के जलवा विखेरा और शोहरत बटोरी। संगीत के शौक के चलते वह गिटार भी बजाते हैं। हसन जैदी ने 2009 में एक आस्ट्रेलियन समाज सेविका क्रिस्टिना संग विवाह रचाया था।

“मैं प्रशिक्षित संगीतकार नहीं हूँ, मगर कुछ गाने बनाए हैं”- हसन जैदी

म्यूजिक डे के अवसर पर संगीत को लेकर उनसे हुई बातचीत इस प्रकार रही…

आपको तो संगीत का भी शौक है?

जी हां! मेरे जीवन में संगीत का बहुत बड़ा महत्व है। संगीत के प्रति मेरा झुकाव व प्यार मेरे माता-पिता के कारण हुआ। मुझे आज भी याद है कि बचपन में मेरे पिता मुझे किस तरह बोनी एम रचित गीत “डैडी कूल” सुनाया करते थे। वास्तव में मेरे पिता बोनी एम को बहुत सुनते थे और मैं हर समय बस उस गाने के लिए अनुरोध करता था। तभी वह मुझे अपनी गोद में बिठाया करते थे और जब हम घर पहुंच रहे होते थे तो गाड़ी में गाना बजने पर मुझे थोड़ा ड्राइव करवाते थे। मेरे माता-पिता दोनों संगीत प्रेमी हैं। मेरी मां भी संगीत में उच्च शिक्षित हैं। बच्चे हमारे घर आते थे और हमारे पास यह सिंगिंग रियालिटी शो थे। वैसे मेरा पसंदीदा टीवी का संगीत प्रधान रियालिटी शो “इंडियन आइडल” है।

आपको किस तरह का संगीत सुनना पसंद है?

मुझे अब हर तरह का संगीत पसंद है। मैं शायद ही कभी संगीत के बिना रहा हूँ। मैं हार्ड रॉक, हेवी मेटल, पॉप, बॉलीवुड सुनता हूं। द स्कोर, हैंस जिमर, फ्रैंक सिनात्रा, माइकल जैक्सन के संगीत से मैं प्यार करता हूँ। जब मैं बड़ा हो रहा था,तो उनका मुझ पर बहुत प्रभाव था। फिर हैं रफी साहब, किशोर कुमार साहब और लता मंगेशकर, आशा भोंसले, सुरैया बेगम... नुसरत साहब और द साबरी ब्रदर्स जैसे कई बड़े कव्वाल भी मेरे पसंदीदा हैं। मेरे घर में संगीत का बहुत बड़ा संग्रह है। संगीत मेरे मूड को बदल देता है, गाड़ी चलाते समय, वर्कआउट करते समय या जब मैं खाना बना रहा होता हूं, तो मैं हमेशा संगीत सुनता रहता हूं।

तो आपको विदेशी गायक व संगीतकार भी पसंद हैं?

जी हाँ! मुझे गन्स एंड रोजेज, बॉन जोवी का भी शौक है। क्योंकि मेरी शादी एक ऑस्ट्रियन से हुई है, इसलिए मुझे मोजार्ट के घर और बीथोवेन के घर जाने का सौभाग्य मिला। मैं वियना में संगीत के एक संग्रहालय में गया हूं। मैं इतालवी संगीतकार एंटोनियो विवाल्डी को भी सुनता हूं, और अक्सर संगीत के लिए फ्रेंच और स्पेनिश कैफे जाता हूं। मुझे पाकिस्तान कोक स्टूडियो में ट्यूनिंग बहुत पसंद थी।

आपका पसंदीदा गाना?

मैं सिर्फ एक गाने को अपने पसंदीदा गाने के रूप में नहीं चुन सकता। मेरे कुछ पसंदीदा गाने हैं- चेसिंग कार, मुसाफिर हूं यारो, ये रात ये चांदनी फिर कहा, द आर्ट कंपनी, सुजाना, बाय द गॉडफादर एल्बम आदि।

सुना है आप गिटार अच्छा बजाते हैं?

जी हाँ! प्रशिक्षित संगीतकार नही हॅूं और न ही प्रशिक्षित गायक हॅूं। लेकिन मैं गिटार बहुत अच्छा बजाता हूँ। मेरे चचेरे भाई इसे बजाते थे और मैंने उनके साथ खेलना शुरू कर दिया था, वर्षों से मैंने कुछ चीजें धीरे-धीरे उठाईं। मुझे गाने गाना पसंद है और मैंने कुछ गाने भी बनाए हैं। मैं सिंथेसाइज भी कर सकता हूं और ड्रम भी बजा सकता हूं। मैं जल्द ही पियानो बजाना सीखना चाहता हूं। यह एक सपना है।

अब संगीत पूरी तरह डिजिटल हो गया है। इसे किस तरह से देखते हैं?

एक समय था,जब संगीत केवल ग्रामोफोन रिकॉर्ड, ऑडियो कैसेट और सीडी पर उपलब्ध था। लेकिन अब तो डिजिटल व इंटरनेट क्रांति के चलते सभी प्रकार का संगीत बस एक क्लिक दूर हैं। मुझे लगता है कि रिकॉर्ड की नवीनता और ऑडियो कैसेट और सीडी के पूरे संग्रह को बाद में इंटरनेट के समय में हासिल करना वाकई मुश्किल है। मैं उस पीढ़ी से आता हूं, जहां हमारे पास पॉप, बिलबोर्ड चार्ट में सबसे ऊपर था और हमारे पास यह सभी कैसेट हैं। वास्तव में मेरे पास हमेशा एक वॉकमैन था.. लेकिन वह जीवन अब अलग है। मुझे लगता है कि परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर है। अच्छी बात यह है कि संगीत अब बहुत सुलभ और आसानी से उपलब्ध है।

कोरोना का वक्त कैसे बीता?

पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना की वजह से हर इंसान मुसीबत में हैं। कईयों को दो वक्त की रोटी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।काम काज लगभग बंद है। लॉकडाउन के चलते लोगों का घर से निकलना नहीं हो रहा है। पर मानवता ने अपना काम किया। हमारी पत्नी पहले से ही एक एनजीओ से जुड़ी रही है। तो हमने कुछ नेक काम किया, जिसकी चर्चा नहीं करना चाहता। हमने एक वर्ष के दौरान घर पर बैठकर आत्म मंथन किया। मुझे लिखने का शौक है, तो मैंने काफी कुछ लिखा। मेरी अपनी प्रोडक्शन कंपनी है, जिसके तहत हम नाटक करते रहते हैं। हम एक नाटक करने वाले थे, पर अचानक लॉकडाउन के चलते वह नहीं कर पाया। पर उम्मीद है कि सब कुछ सही हो जाएगा।

“मैं प्रशिक्षित संगीतकार नहीं हूँ, मगर कुछ गाने बनाए हैं”- हसन जैदी

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