INTERVIEW: मैं हर काम को दिल से करती हूं - प्रियंका चोपड़ा By Mayapuri Desk 05 Sep 2017 | एडिट 05 Sep 2017 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर उच्च शिक्षित लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार की बेहद चुलबुली, बातुनी, बुद्धिमान, खूबसूरत और पापा मम्मी की लाडली बिटिया प्रियंका चोपड़ा, कब खेलते कूदते, पढ़ते-लिखते, बड़ी हो गई और देखते-देखते इतनी कम उम्र में देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा के दम पर मिस इंडिया, मिस वर्ल्ड, मिस वर्ल्ड कॉन्टिनेंटल क्वीन ऑफ ब्यूटी एशिया एंड ओशनिक बन गई, कब अपनी एक्टिंग, प्रतिभा और गायन प्रतिभा के दम पर विश्व में कामयाबी के डंके बजाने लगी, कब बतौर सर्वश्रेष्ठ एक्ट्रेस, नेशनल अवार्ड तथा पाँच फिल्म फेयर अवार्ड के साथ साथ भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित हुई, यह शायद प्रियंका की मम्मी मधु जी के लिए भी वाकई अभिभूत करने वाली बात है। तेरह वर्ष की उम्र में, यूनाइटेड स्टेट्स में पढ़ाई के दौरान, प्रियंका के कई थिएटर प्रोडक्शन्स में भाग लेने, वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक, कोरल सिंगिंग, कत्थक डांस सीखने के दौरान, वहां रेशियल इशूज़ के तहत (अश्वेत होने के लिए) छेड़ी भी जाती रही। उस वक्त वे अपनी लुक्स को लेकर, अपनी मध्यम वर्गीय रहन-सहन को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं महसूस करती थी, लो सेल्फ एस्टीम वाले उन दिनों को याद करके प्रियंका ने कहा था, 'मेरी टांगे उस उम्र में खूबसूरत नहीं थी, दाग धब्बे भी थे, जिसे लेकर मजाक भी होते थे,आज वही टांगी 12 ब्रैंड्स बेच रही है।' यह है असली कॉन्फिडेंस, इसी सिलसिले में जब प्रियंका से प्रश्न पूछे गए तो उनका जवाब इस प्रकार थे:- आपका आत्मविश्वास एक सबक है स्त्रियों के लिए, राईट? किसी अन्य का आत्मविश्वास किसी अन्य पर लागू नहीं हो सकता, हमें अपने आप को आत्मविश्वासी होना सीखाना पड़ता है, इसके लिए पहले अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की जरूरत होती है, यह ऐसी चीज है जो कोई भी चाहे तो अर्जित कर सकता है। आपके लिए यह संभव कैसे हुआ? बस, अदम्य इच्छाशक्ति की जरूरत है, मेहनत से दो-दो हाथ करने की जरूरत है, आपके पास जो कुछ भी है उसको आप अपनी मेहनत, बुद्धि, विल पावर, विचार, कर्म से वह रूप दीजिए जो सबको चौंका दे। लोग सोचते बैठे कि ऐसा कैसे कर दिखाया? अपने आप को, अपने सपनों को आकार देने के लिए सारे मौके देना शुरु कर दीजिए, कभी किसी परिस्थिति से घबराकर मैदान छोड़ना नहीं चाहिए, सब के जीवन में कभी न कभी उतार चढ़ाव आते रहते हैं, ऐसे समय में आपका जो फैसला होता है, वह आपका भविष्य बना भी सकता है और बिगड़ जी सकता है। आप दो अलग-अलग फिल्म उद्योगों की अलग-अलग परिस्थितियों, नियमों, साथी कलाकारों, अलग संस्कृति, अलग लोगों को एक साथ कैसे निभाती है? मैं, हर जगह मैं ही बनी रहती हूँ। अलग-अलग जगह और अलग माहौल में मैं ढलने का प्रत्यय नहीं करती। हर जगह मेरा व्यक्तित्व एक समान होता है। आज आप उस बुलंदी पर पहुंच गई है जहां आप जो चाहें, जैसा चाहें, वैसा ही होता है। सारे फैसले आपके होते हैं। एक स्त्री होकर भी आपने अपना प्रभुत्व साबित कर दिखाया है। क्या कभी आपको भी एक सामान्य स्त्री की तरह किसी के फैसले पर चलना, किसी के लाड जतन में जीने की इच्छा होती है? ऐसा नहीं कि मैं हमेशा हर फैसला लेती हूं। बहुत सारे निर्णय मैं अपने बड़ों पर भी छोड़ती हूँ, और जहां तक लाड जतन की बात है, तो वह मुझे अपने परिवार तथा दोस्तों से भरपूर मिल रहा है। प्रत्येक इंसान के जीवन के कुछ पहलू उनके मन माफिक नहीं होता है, आपका भी ऐसा है? क्यों नहीं है? मैं भी तो एक इंसान ही हूं, लेकिन उन पहलुओं को ज्यादा छेड़छाड़ ना करना ही अच्छा है। हमारे अंदर जो चीज सही नहीं है, मनमाफिक नहीं है, उसे हम समझ लें, जान लें, तो उसे हम नियंत्रित भी कर सकते हैं और नियंत्रित करना ही ज्यादा जरूरी है,सिर्फ स्वीकार करना ही जरुरी नहीं है। आज आप जिस ऊंचाई पर पहुंच गई है वहां शोहरत, दौलत आप पर निछावर है। इतना सब कुछ पाकर क्या मन विरक्त नहीं होता है? यह सब मेरे उस प्यार के बाई प्रोडक्ट्स है जो मैं अपने कर्म के प्रति रखती हूं। मैं जो भी करती हूं, एक्टिंग, सिंगिंग, फिल्म प्रोडक्शन, समाज कल्याण के काम, सब मैं दिल से करती हूं, अपनी इच्छा और मर्जी से करती हूं, मुझे मेरे पसंद के इन कर्मों को करने के जो अवसर मिल रहे हैं, मेरी रचनात्मकता को ज्यादा से ज्यादा एक्सप्लोर करने की खुशी जो मुझे मिल रही है वो मुझे उत्तेजित करती रहती हैं। मैं मटेरियल सुख के लिए यह सब नहीं करती हूं, मैं अपने पसंद के इन कर्मों के प्रेम के वास्ते सब कुछ करती हूं, इसीलिए कभी नहीं थकती, कभी नहीं उकताती। आप जो बुलंदी को चूम रही है,।विश्व में जो नाम कमा रही है, भारत की बेटी के रूप में, दुनियाभर में अपनी प्रतिभा से जिस प्रकार भारत का नाम रोशन कर रही है, वह सब विवाह के कारण खत्म हो सकता है, ऐसा कभी सोचा आपने? जिंदगी में कोई फैसला यह सोचकर नहीं लेना चाहिए कि वह मेरे वर्तमान को नष्ट कर सकता है। जरूरी नहीं कि यह दोनों परिस्थितियां एक दूसरे के विरुद्ध ही हो। मेरे लिए तो हमेशा यह पर्याय खुला हुआ है। मैं जानती हूं कि मैं जो काम करती हूं, उसमें वक्त और कमिटमेंट बहुत अहम है, जिसे नियोजित करना आसान नहीं है, इसलिए जब कभी मैं विवाह के बारे में सोचूंगी तो वह ऐसे व्यक्ति से होगा जो इन बातों को समझें और इस मामले में मुझे पूरा सपोर्ट करें, दरअसल किसी भी रिश्ते की कामयाबी के लिए दोनों तरफ से पॉजिटिव प्रयासों की जरूरत होती है, जिसमें एक दूसरे के मन को समझना, दोनों की प्राथमिकताओं को समझना और उस पर ध्यान देना जरूरी होता है। जीवन में कई तरह के अनुभव बुरे भी होते हैं, बुरी स्मृतियां भी होती है, उससे आप कैसे निपटती है? हर अच्छे बुरे अनुभवों से इंसान कुछ सीखता है, वह अनुभव, वह स्मृतियां, जीवन भर साथ रहती है क्योंकि उन्हीं वजहों से आपमें कोई नया बदलाव आता है, लेकिन हमें उससे बाहर आकर, आगे बढ़ जाने की कला भी आनी चाहिए। आपके मन में, भावनाओं में, ऐसा कुछ है जो कई बार आपको परेशान करती है? मैं कोई भी परिस्थिति, कोई भी उलझन, कोई भी मुश्किल को झेलने की कूवत रखती हूं लेकिन सिर्फ एक चीज मुझे हिला देती है और वह है मेरे परिवार, मेरे अपनों को होने वाली कोई भी तकलीफ या दर्द। मैं, मेरे अपनों के किसी भी प्रकार के दर्द को सहन नहीं कर सकती। जीवन की चंद खूबसूरत यादें शेयर कीजिए? पापा मम्मी दोनों इंडियन आर्मी में फिज़ीशियन होने से, भारत के विभिन्न शहरों में शिफ्टिंग होती रहती थी। मुझे याद है हम लोग दिल्ली, चंडीगढ़, अंबाला, लद्दाख, लखनऊ, पुणे, बरेली में रहे थे। मेरी सबसे खूबसूरत यादें लेह की है, जहां पापा की पोस्टिंग हुई थी, उस वक्त मैं बहुत छोटी थी, मेरा छोटा भाई सिद्धांत, बस पैदा ही हुआ था। हम एक साल तक वहां रहे थे। मेरे आसपास के सारे बच्चे भी आर्मी वालों के ही बच्चे थे, जिनके साथ मैं खेलती थी। हम वहां वैली के बंकर में रहते थे, एकदम सामने एक स्तूप भी था जहां तक पहुंचने के लिए हम सब बच्चे ऊपर दौड़ लगाते थे। बचपन में आप एक्ट्रेस बनना चाहती थी? नहीं, जब थोड़ी समझदार हुई तो मैं एयरोनॉटिकल इंजीनियर या क्रिमिनल साइकोलॉजी पढ़ना चाहती थी, लेकिन हां, अभिनय, नृत्य के प्रति मेरा रुझान भी था। किशोरावस्था में यूं ही गाहे-बगाहे लोकल 'में क्वीन ब्यूटी पेजेंट' में भाग लिया और जीत गई यहां से ग्लैमर फील्ड के प्रति रुझान बढ़ा। उसके बाद फेमिना मिस इंडिया कांटेस्ट से लेकर मिस वर्ल्ड 2000, मिस वर्ल्ड कॉन्टिनेंटल क्वीन ऑफ ब्यूटी एशिया एन्ड ओसियनिक एट द मिलेनियम जीतने का सफर और फिर मेरे फिल्म करियर के बारे मे सबको पता है। आप अपने को तीन शब्दों में व्याख्या कीजिए? सेल्फ मेड वूमेन तो यह है प्रियंका चोपड़ा, बोल्ड एंड ब्यूटीफुल। अपने को लेकर स्ट्रांग और अपनों को लेकर भावुक। प्रियंका का जन्म 18 जुलाई 1982 को जमशेदपुर में हुआ था। प्रियंका की डेब्यू फिल्म 'हमराज़' होना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2002 में तमिल फिल्म 'थमिज़न' से उन्होंने रुपहले पर्दे में कदम रखा। उसके बाद हिंदी फिल्म 'द हीरो---' 'अंदाज' मुझसे शादी करोगी, 'एतराज', कृष', 'डॉन' 'फैशन' 'कमीने', 'सात खून माफ', 'बर्फी'' 'मेरी कॉम' 'दिल धड़कने दो' 'बाजीराव-मस्तानी' जैसी बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्मों की नायिका बनने के पश्चात एबीसीडी थ्रिलर सीरियल 'क्वांटिको' में एलेक्स पैरिश की भूमिका में विश्व विख्यात हो गई। अब वे हॉलीवुड फिल्मों की भी जानी मानी नायिकाओं में से एक मानी जाती है। टाइम मैगज़ीन के अनुसार, प्रियंका सौ मोस्ट इन्फ्लूएंशल पीपल ऑफ द वर्ल्ड में से एक है। उनकी स्वरचित, खुद की आवाज में तीन सिंगल्स, विश्व प्रसिद्ध हो चुकी है। प्रियंका ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी 'पर्पल पेबल पिक्चर्स' के तहत, अवार्ड विनिंग फिल्म 'वेंटीलेटर' भी बनाई है तथा कई और फिल्में निर्मित कर रही है। बेहद नेक दिल, रहम दिल प्रियंका जनकल्याण के काम में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है, वे नेशनल ग्लोबल यूनिसेफ गुडविल एंबेसडर बनकर, चाइल्ड राइट्स एंड एजुकेशन के लिए कार्य कर रही है। #Priyanka Chopra #interview हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article