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पल-पल मर रही प्रकृति और मर रहे किसान की कहानी है ‘कड़वी हवा’

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By Pankaj Namdev
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पल-पल मर रही प्रकृति और मर रहे किसान की कहानी है ‘कड़वी हवा’

हमारे आज से कल पर पड़ने वाले असर को दिखाती फ्यूचरिस्टिक फिल्म लगती है कड़वी हवा.

हॉलीवुड क्लाइमेट चेंज पर आधारित कई फिल्में अब तक बना चुका है. द डे आफ्टर टुमॉरो, 2012: आइस एज, आर्कटिक टेल जैसी कई फिल्में इस लिस्ट में शामिल हैं. लेकिन कड़वी हवा को बॉलीवुड की ग्लोबल वॉर्मिंग से हो रहे क्लाइमेट चेंज जैसे बेहद गंभीर सब्जेक्ट पर पहली फिल्म के तौर पर देखा जा रहा है.

एक अलग रूप में दिखेंगे संजय मिश्रा

फिल्म के पूरे ट्रेलर में जीवन की सबसे जरूरी चीज यानी हवा की बात करता संजय मिश्रा का किरदार, अपने दमदार डायलॉग से सिर्फ ट्रेलर में ही आपको पूरी फिल्म का अहसास करा देता है. सोने की चिड़िया कहा जाने वाला देश, कैसे क्लाइमेट चेंज से प्रभिवत हो रहा है, 2 मिनट 45 सेकेंड का ये ट्रेलर आपके दिमाग में ये पूरी तरह से साफ कर देगा.

अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए मशहूर संजय मिश्रा आपको इस ट्रेलर में ही शायद रुला दे. फिल्म में रणवीर शौरी भी आपको अहम भूमिका में दिखाई देंगे. 'न्यूटन', 'मसान' और 'आंखों देखी' जैसी फिल्में बना चुके अक्षय परिजा प्रोडक्शन ने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया है. 'आई एम कलाम' को डायरेक्ट कर चुके नील माधव पंडा इसके निर्देशक हैं.

ट्रेलर को मिल रहा अच्छा रिस्पॉन्स

सोमवार को रिलीज हुए इस फिल्म के ट्रेलर को मिल रहे रिस्पॉन्स से एक बार फिर ये बात साफ हो जाती है, कि दर्शक अब अच्छी कहानी देखना चाहता है. सच या उसके नजदीक बुनी हुई कहानी अब भारतीय दर्शक सराह रहे हैं.

प्रकृति के लगातार दोहन और प्रदूषण फैलाने के अपने नेचर की वजह से हम वातावरण और धरती को किस हद तक नुकसान पहुंचा चुके हैं, ये हर रोज अखबार में देखकर भी हम अपनी मर चुकी संवेदना के चलते मानना नहीं चाहते. सालों से प्रकृति पर प्रहार कर रहा मनुष्य, अब अपनी बोई प्रदूषण की फसल काट रहा है, वो माने या ना माने.

सच दिखाती फिल्म है 'कड़वी हवा'

फिल्में समाज का आईना होती हैं और ये वक्त है कि हम आईने की बताई सच्चाई को मानें और बदलाव की शुरुआत करें. क्योंकि कोई एयर प्यूरिफायर इस कड़वी हवा से आपको और हमें बचा नहीं सकता. ऐसे में जरूरत है दृश्यम बैनर के तले बनी इस फिल्म को प्रोत्साहन देने की और इससे सीख कर, प्रकृति को बचाने की कोशिश करने की. क्योंकि प्रकृति सुरक्षित है, तो ही हम जीवित हैं.

हालांकि थोड़ा जल्दी है अभी से इसका अनुमान लगाना, लेकिन पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. ऑस्कर मैटीरियल लग रही है फिल्म. फाइनल प्रॉडक्ट के बाद देंगे फाइनल राय.

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