कभी कभी एक कामयाब सितारे कि शान एक साल में कहा से कहा गुज़र जाती हैं - अली पीटर जॉन
यदि सब कुछ ठीक होता, तो कल के दिन यानी (21 जनवरी) को दुनिया एक बेहद हैण्डसम और बेहद प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जन्मदिन का जश्न मनाती और उनकी प्रशंसा करती। लेकिन जैसे कि कहते हैं कि सुशांत के 'सितारे' (किस्मत कहे या इसे भाग्य कहे) कुछ गलत थे, या एक साल के भीतर उनके साथ क्या और क्यों हुआ?
सुशांत लम्बी रेस का घोड़ा कहलाता था
क्या वह हिंदी फिल्मों की दुनिया में आने वाले सबसे प्रतिभाशाली युवाओं में से एक नहीं थे? क्या वह एक 'आउट्साइडर' नहीं थे, जिसने सभी सबसे सफल 'इन्साइडर' को ऐसा झटका दिया था, जिनसे उन्हें अभी भी उबरना बाकी है? क्या वह अभिनेता नहीं थे, जिसने अपनी अद्भुत प्रतिभा के साथ सभी विशेषज्ञों को खुद को 'लाम्बी रेस का घोड़ा' के रूप में पहचाने और स्वीकार करने का मौका दिया? क्या वह एक ऐसे स्टार नहीं थे जिसने फिल्मों की दुनिया के आकाश में सबसे चमकते सितारे होने के सभी संकेत दिए थे? क्या वह एक नए अभिनेता नहीं थे, जिसे हर निर्देशक निर्देशित करना चाहता था, हर लेखक इनके लिए एक स्क्रिप्ट लिखना चाहता था और हर बड़ी और छोटी अभिनेत्री इनके साथ काम करना चाहती थी?
फिर उस भयावह सुबह जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुखद था, जब वह अपने बेडरूम में सीलिंग फैन से लटके हुए पाए गए थे?
इंडस्ट्री के प्रकाश और आशा के रूप में देखे जाने वाले सुशांत ने ‘वन डार्क डिसिशन’ को मिटा दिया था और उन सभी आशाओं को मिटा दिया था जो लाखों लोगों ने उनमे देखि थी। कई मायनों में, सुशांत की रहस्यमय मौत ने इंडस्ट्री के ग्लैमरस चेहरे से परे देखने के लिए कई नए राज़ खोल दिए और इसके कई बदसूरत चेहरों को सबके सामने लाया। उनकी मृत्यु के बाद से ही इंडस्ट्री के भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और किसी भी चीज की तुलना में, ड्रग्स की अंतहीन कहानियों की चर्चा होने लगी थी जो अभी भी कही न कही जारी है।
सुशांत एक ऐसे अभिनेता थे, जो हर फिल्म के साथ और समय बीतने के साथ ओर बेहतर होते रहे, लेकिन अफसोस, समय और कुछ रहस्यमय तत्व उनके दुश्मनों की तरह लग रहे थे जिस तरह की सफलता के वे हकदार थे लेकिन उन कारणों से वंचित थे जिसका उन्हें ज्ञात तक नहीं था और अब मुझे लगता है कि अब कभी भी उन्हें पता भी नहीं चलेगा।
सुशांत सिंह राजपूत जो एक साल पहले दुनिया में सबसे ऊपर थे अब राख में मिल गए है
यह जीवन का खेल है जिसे कोई भी जीवित व्यक्ती समझ नहीं पा रहा है। सुशांत सिंह राजपूत जो एक साल पहले दुनिया में सबसे ऊपर थे अब राख में मिल गए है और वे सभी जो उन्हें भविष्य की आशा के रूप में देखते रहे और यहां तक कि सुशांत के लिए सहानुभूति के तौर पर में आवाज़ उठाने वाले सभी अब चुप हैं और और फिल्मों की दुनिया को जानते हुए भी, मुझे आश्चर्य नहीं होगा, अगर सुशांत को इन लोगों द्वारा याद किया जाए, जिनके लिए 'चड़ते सूरज को सलाम' ही जीवन की फिलासफी है और किसी भी तरह का व्यवसाय, और अब सबसे बड़े व्यवसाय पर फिल्में नहीं बना रहा है जिसमें करोड़ों रुपये शामिल हैं?
क्या सुशांत सिंह का जन्म उन लोगों के लिए एक मिसाल बनने के लिए है जो फिल्मों के व्यवसाय में हैं और जो इस व्यवसाय में आएंगे?