क्या श्रीदेवी एक बार फिर नंबर वन होगी ‘मॉम’ से ? - अली पीटर जॉन By Mayapuri Desk 31 May 2017 | एडिट 31 May 2017 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर अगर ऐसा कभी कोई समय आया जब अदाकाराओं ने कोशिश की थी सबसे आगे पहुंचने की और अभिनेताओं और अपनी कमाई को सामान बनाने की, तो वो समय 4 हफ्ते पहले का है जब औरतों पर आधारित फिल्में बनी और प्रदर्शित हुई जिसने फिल्म निर्माताओं को यह कहने पर मजबूर कर दिया कि फिल्मों के ‘नायक’ अभिनेत्रियां है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि 4 फिल्में, जिनमें लीड किरदार एक औरत का था, इन फिल्मों ने जनता को इस कदर नाराज किया हो कि वो कुछ समय में सिनेमा घरों से उतार दी गयी। ‘बेगम जान’ एक ऐसी फिल्म जिसने बहुत उम्मीदें जगाई थी क्योंकि उसमें इस मुहीम की मुख्या, विद्या बालन थी। ऐसा लग रहा था की अपनी फिल्म की खुशी में फिल्म के निर्माता कुछ ज्यादा ही बह गए और इसलिए उन्होंने विद्या की अच्छी तस्वीर बनाये रखने के लिए पैसे को पानी की तरह बहाया था प्रोमोशंस के दौरान। उस फिल्म में विद्या को एक कोठे की मालकिन के तौर पर दिखाया है जो ना किसी गाँव और ना ही किसी शहर में रह रही थी, बल्कि वो एक ऐसी जगह थी जो सिर्फ साठ और सत्तर के दशक में ही देखने को मिलती थी। ना ही उनका पहनावा और ना ही उनकी खड़ी भाषा उन दर्शकों को आकर्षित कर पायी जिन्होंने विद्या को ‘डर्टी पिक्चर’ और ‘कहानी’ जैसी फिल्मां में बहुत पसंद किया था। ऐसा दूसरी बार हो रहा था कि विद्या की किसी फिल्म का इतना बुरा हाल हुआ हो जो पिछली बार महेश भट्ट की बनाई, ‘हमारी अधूरी कहानी’ के साथ हुआ था। ‘बेगम जान’ की किस्मत ने इस 37 साल की प्रतिभाशाली अभिनेत्री की किस्मत पर भी असर डाला है। खुद को साबित करने का उन्हें एक बहुत अच्छा मौका मिल जाता अगर वो फिल्म ‘अम्मी’ करने के लिए राजी हो जाती जो विवादास्पद औरत कमला दस या कमला सुरैया (जो वो इस्लाम अपनाने के बाद खुद को बुलाती थी) पर आधारित है जो 67 साल की है मगर विद्या ने अपनी बुद्धिमत्ता के अनुसार फिल्म के लिए मन कर दिया और अब उन्हें किसी और मौके का इंतजार करना होगा जहां वो सबको चौंका सके जिसके वो अभी भी काबिल है। सोनाक्षी सिन्हा को भी लोग दबंग गर्ल के तौर पर और एक प्रभावशाली लड़की के तौर पर भूलते जा रहे थे पर उनकी फिल्म ‘नूर’ (जो एक महिला पत्रकार की कहानी है) से ये ही उमीदें थी की उन्हें एक नयी जिन्दगी मिलेगी बॉलीवुड में लेकिन ये कहानी एक महिला शराबी की ज्यादा लग रही थी। ‘नूर’ पूरी फिल्म में कही भी नहीं दिखी और जो दिखी वो थी सोनाक्षी जो सिर्फ शराब पीने में ही व्यस्त थी। वो सच में एक खराब फिल्म थी और उसके साथ वही व्यवहार हुआ जो एक खराब फिल्म के साथ होना चाहिए। सोनाक्षी के चाहने वालों का कहना था की ‘नूर’ के बाद उनका करियर अच्छे के लिए बदल जायेगा, मुझे माफ कीजिये, पर मुझे नहीं लगता की कोई भी उनसे सहमत होगा जिसने खराब नसीब के चलते उसे ‘नूर’ देखनी पड़ी हो। मुझे पता है कि उनकी माँ पूनम सिन्हा को मेरा ये लिखा पसंद नहीं आयेगा मगर मैं उन्हें विश्वास दिलाना चाहता हूँ की मुझे भी नूर से बहुत उम्मीदें थी, पर उस नूर से नहीं जो फिल्म बन गयी अपने प्रदर्शित होने के कुछ दिनों के अंदर ही। और भी बड़ी निराशाजनक थी अनुष्का शर्मा और उनकी फिल्म ‘फिल्लौरी’। फिल्म में सब कुछ अच्छा था, अनुष्का की अभिनय बेहतरीन था और दिलजीत ने भी अपनी पहली फिल्म के तौर पर बहुत अच्छा काम किया मगर फिल्म में कमी थी तो फिल्म की रूह की। इस फिल्म के विषय को सिर्फ वही मान सकते थे जिनके पास सोचने के लिए कुछ और बेहतर नहीं है। अंत के सीन में अनुष्का का बदला फिल्म का मुख्या आकर्षण था मगर उसके बावजूद भी ‘एनएच10’ एक निराशाजनक फिल्म ही थी। रवीना टंडन नाम की भी एक अभिनेत्री है जिन्होंने अपना करियर छोड़ दिया था या छुड़वा दिया गया था उनकी शादी के बाद। उनके दौर की और अभिनेत्रियों की तरह, जैसे की माधुरी दीक्षित, करिश्मा कपूर, आदि, रवीना ने भी फिल्म ‘मातृ’ से बॉलीवुड में वापसी की कोशिश की थी। बहुत लोगो के लिये फिल्म का नाम लेना ही बड़ा मुश्किल था तो उसका मतलब जानना तो भूल ही जाओ। अगर फिल्म को जरा सी भी इस ज्ञान से बनाया जाता की दर्शक क्या चाहते हैं तो फिल्म अच्छी चल गयी होती पर ऐसा नहीं हुआ और अब बहुत लोग सोचते है की क्या रवीना को फिर से बॉलीवुड में वापसी का मौका मिलेगा। ये सब दुर्घटनायें तब हुई जब फिल्मों की रानी ने सबकी उम्मीदें बड़ा कर दुर्घटना प्रस्तुत की। जी हाँ, मैं कंगना रनोट की बात कर रहा हूँ। उन्होंने खुद भी यही माना और सबको ये यकीन दिला दिया की वो अपनी फिल्में ‘क्वीन’ और ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के बाद रानी बन गयी है। उन्होंने बहुत से जाने- माने विशेषज्ञों को भी ये स्वीकार करा दिया था कि अब उनका दौर आ गया है और अब वो जैसा चाहे वैसे व्यव्हार कर सकती थी और जितना मर्जी उतना पैसा मांग सकती है जिसको मांगने से पहले एक बहुत बड़ा कलाकार भी 2 बार सोचेगा। पर वो मूर्ख थे जो ‘क्वीन’ के चक्रों में पड़ रह थे और उनमें पहले थे ‘सब जानने वाले’ निखिल अडवानी जिन्होंने कंगना को दो किरदार में दिखा कर ‘कट्टी बट्टी’ बनाई और उसका अंजाम समझा पाना जरा मुश्किल है। ‘रंगून’ फिल्म के निर्माता विशाल भरद्वाज जैसे कामयाब और आदरणीय फिल्म निर्माता भी उनकी छवि पर विश्वास कर गए और उन्हें फिल्म में ले लिया जिसमे पहले से ही 2 बड़े कलाकार, शाहिद कपूर और सैफ अली खान, मौजूद थे और वो फिल्म ‘रंगून’ कही पर भी अपना रंग नहीं चढ़ा पायी जैसे की मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, गाजियाबाद और झुमरी तल्लैया। ये हार विशाल और दोनों बड़े कलाकारों की थी मगर ये उस रानी के मुँह पर एक जोरदार तमाचा था जिसे फिरसे लड़ाई लड़ कर आगे बढ़ना था। अगर मैंने सही सुना है, तो कंगना अभी भी खुद को रानी मानती है और वो हंसल मेहता की फिल्म ‘सिमरन’ में एक बहुत महत्वपूर्ण किरदार निभा रही है। कंगना ने फिल्म के बनने में इतनी रूचि दिखाई है की फिल्म के निर्माता हंसल मेहता ने उन्हें फिल्म के एक लेखक का नाम दे दिया है और दूसरे लेखक है अपूर्वा असरानी। क्वीन का लेखक बन कर सिमरन फिल्म के साथ जुड़ना उसका क्या करेगा वो तो इस साल के खत्म होने से पहले ही पता चल जायेगा और एक और फिल्म निर्माता है जो ‘झाँसी की रानी’ नामक फिल्म उनके साथ बना रहे हैं जिसमें वो एक ऐसे किरदार में होंगी जिसे करने के लिये कोई भी हेरोइन मरी जायेगी। क्वीन उसमें ‘रानी’ के अवतार में होगी लेकिन मजा तब आयेगा अगर और हीरोइनों को इस अवतार में देखने को मिलेगा। 2 जवान अभिनेत्रियां, जिन्हें देख कर लगता है की ये कुछ कमाल करेंगी, है श्रद्धा कपूर और आलिया भट्ट और कुछ ऐसी भी है जिन्हें हार मानना मंजूर नहीं है जिनमें सबसे अव्बल है कैटरीना कैफ, जो अगर किसी को याद हो तो एक टाइम पर सबसे ऊपर थी, लेकिन अब वो वापस आ रही है ‘जग्गा जासूस’ के साथ जो पिछले 5 सालों से बन रही है और एक नई फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’, जिसमें वो शख्स भी है जिन्होंने उन्हें नंबर 1 बनाया था और वो है सलमान खान। क्या सलमान एक बार फिर वही जादू बिखेर पायेंगे अपने एक समय के प्यार के लिये? और अगर मुझसे पूछे तो मेरे हिसाब से एक ही औरत है जिन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी और अभी तक भी नहीं छोड़ना चाहती और वो है श्रीदेवी, जो 50 साल से बॉलीवुड का हिस्सा है और वापस आती रहती है। पिछली बार वो ‘इंग्लिश विंग्लिश’ ले कर आयी थी और अगर अब कोई औरत केंद्रित फिल्म बन रही है जिसका सबको बेसब्री से इंतजार है, वो है श्रीदेवी के किरदार वाली बोनी कपूर की आने वाली असामान्य फिल्म ‘मॉम’ जिसमें उनके साथ दिखेंगे अक्षय खन्ना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी। महिलाओं के बीच चल रहा ये पल अब बहुत ही उलझन वाले पड़ाव पर आ गया है जहां पर कुछ खास या मजेदार होने की कोई सम्भावना नहीं दिख रही। अब चाहे जो भी हो, सिर्फ एक करिश्मा ही इन उलझनों के बादलों को हटा सकता है जो बॉलीवुड की इन सुन्दरियों के बीच चल रही दौड़ के कारण छा गये हैं। #ali peter john #MOM #sridevi हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article