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मीना कुमारी के लिए जीवन इतना निर्दयी क्यों था?

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By Mayapuri Desk
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मीना कुमारी के लिए जीवन इतना निर्दयी क्यों था?

मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि ठीक 50 साल पहले जो मैंने अपने पड़ोसी, जेडी.लारी से सुना जो एक लेखक थे और अपना करियर बनाने के संघर्ष में लगे थे, उन्होंने मीना कुमारी की मृत्यु की घोषणा की थी। यह गुड फ्राइडे का दिन था, वह दिन जब दुनिया भर के ईसाई ईसा मसीह के सूली पर चढ़ाए जाने के दिन को याद करते है। चर्च में सेवा के लिए तैयारियाँ की जा रही थीं और मेरा भाई जो आठ या दस साल का था, जब से वह अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर जाने के लिए तैयार हो रहा था, और मैं चर्च जाने की तैयारी कर रहा था। लेकिन, लारी ने जो कहा था, उसने लतीफ परिसर में पूरे माहौल को विचलित कर दिया था, जिस स्थान पर मैंने अपने जीवन के पहले 28 साल बिताए थे और जहां मैंने दुनिया में धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव के रूप में जानने के बाद के वर्षों में अपना पहला पाठ सीखा था। अली पीटर जॉन

मीना कुमारी के लिए जीवन इतना निर्दयी क्यों था?

मीना कुमारी के अंतिम संस्कार में जाने के लिए हम सब तैयार हो गए। लारी जिन्होंने कभी कमाल अमरोही के सहायक निर्देशक में से एक के रूप में काम किया था, कमाल अमरोही जो दिवंगत अभिनेत्री मीना कुमारी के पति थे, मीना के बारे में कई कहानियां थीं। लेकिन मेरे पास उनके बारे में मेरी अपनी कहानी है।

मैंने पहली बार उन्हें 'देउल तलाव' नामक स्थान पर देखा था, जो एक 800 साल पुराने चर्च के खंडहर के पास एक झील है। जिसका नाम सेंट जॉन के नाम पर रखा गया है। चर्च के बाहर एक झील थी और यहाँ देर से ही सही, मैंने पहली बार मीना कुमारी को देखा था। जो एक बड़ी सी छतरी के नीचे एक बेदाग सफेद साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहने अकेली बैठी थी, और उनकी आंखे मुझे यह एहसास दिला रही थी की वह बहुत उदास थी। मैं उस समय को वापस लाना चाहता था और उनसे कैसे भी किसी भी तरह के सवाल पूछना चाहता था, लेकिन मैं बस वहाँ खड़ा था और मेरे दिमाग में उन सवालों से भरा था जो मैं कभी उनसे पूछ नहीं सका और अब मैं कभी पूछ भी नहीं पाउँगा। यह मेरे जीवन की एक ऐसी बात है जिसका मुझे हमेशा पछतावा रहेगा, लेकिन जैसा कि मैंने कहा, उन्हें लेकर मेरी अपनी कहानियाँ हैं।मीना कुमारी के लिए जीवन इतना निर्दयी क्यों था?

जब मैंने पहली बार उन्हें देखा था, और मुझे यह पता चला था कि जिस जमीन पर कमलिस्तान स्टूडियो का निर्माण हुआ, वह कभी मीना कुमारी की थी।

वह गाँव जहाँ मैंने उन्हें देखा था। मैं यारी रोड पर चला गया और मीना कुमारी के बारे में मेरी कहानियाँ मेरे साथ चली गईं।

मैंने देखा कि कमाल अमरोही टैक्सी से उतार रहे थे और ‘सागर समीर’ नामक एक बिल्डिंग में घुस गए थे। मुझे किसी के द्वारा बताया गया था कि वह उस बिल्डिंग में किसी के साथ रहते थे, मुझे बताया गया था कि वह वो महिला थी जिससे उन्होंने मीना कुमारी के मरने के बाद शादी की थी।

उस इमारत के बाहर मैं एक पुरानी चाय की दुकान में बैठा था, वहाँ लोगों के एक समूह से मीना कुमारी के बारे में मैं कुछ ऐसा सुन रहा था जो मैंने पहले कभी न सुना था न देखा था।

मीना कुमारी के लिए जीवन इतना निर्दयी क्यों था?

उन्होंने बात की 'कमल साहब' द्वारा मीना कुमारी के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। वे जल्द ही इस बारे में बात करने लगे कि कैसे कमल साहब ने बाकर नामक एक व्यक्ति की पिटाई की थी, जो कमल साहब की फिल्म बनाने वाली कंपनी के मैनेजर थे और बाद में कमलिस्तान स्टूडियो के मैनेजर थे। मीना कुमारी के साथ दुर्व्यवहार और बदतमीजी की जाती थी? मैंने उस आदमी से पूछा और उन्होंने कहा कि यह सच है और उन्होंने कहा कि वे इसके गवाह हैं। उनके पास कई अन्य कहानियां थीं, लेकिन मैं निश्चित रूप से उस महान अभिनेत्री की स्मृति को भी चोट नहीं पहुंचाना चाहूंगा, जिसका मैं बहुत बड़ा प्रशंसक था और अभी भी उनकी बहुत रिस्पेक्ट करता हूँ।

वहाँ कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने उनके पीने की आदत के बारे में बात की थी। उनमें 0 आज के कुछ प्रमुख नाम भी हैं, जिनमें एक वरिष्ठ अभिनेता और कम से कम दो लेखक शामिल हैं जो कवि और फिल्म निर्माता भी हैं। जिन्होंने मीना की कमजोरी का फायदा उठाया था और यहां तक कि वह उर्दू में लिखी उनकी कविता से प्रेरित हुए थे। वह अपने अकेलेपन के बारे में वह कुछ सैड सोंग गाती थीं। वह गाने किसी ऐसे व्यक्ति के लिए होते थे जिसे वह प्यार करती थी और उन्हें अपने इस दुखी जीवन से कभी प्यार नहीं मिला था।मीना कुमारी के लिए जीवन इतना निर्दयी क्यों था?

मैं ग्रांट रोड के सेंट एलिजाबेथ अस्पताल में था जहाँ मैंने कुछ पुरानी नर्सों को मीना कुमारी के बारे में बात करते हुए सुना था। यह वही अस्पताल था जहां 31 मार्च 1972 में मीना कुमारी की मृत्यु हो गई थी। महज दस दिन पहले यहाँ एक अन्य लीजेंड निम्मी की मृत्यु हुई थी और उसे उसी मुस्लिम कबीरस्तान में दफनाया गया था जहां मीना कुमारी को पचास साल पहले दफनाया गया था।

उनकी कब्र अभी भी वहा है और उसपे कुछ पेड़ भी हैं और उनके काम को एक त्रासदी के रूप में देखा जा सकता है, जो हमेशा याद रहता है।मीना कुमारी के लिए जीवन इतना निर्दयी क्यों था?

मैं कुछ महान लीजेंड के साथ रहा और मिला हूं। मेरी इच्छा है कि मैं मीना कुमारी के बारे में बात करूं जैसे मैं उन अन्य लीजेंडस के बारे में बात करता हूं, जिन्हें जानने का सौभाग्य मुझे मिला है! मैं यह भी चाहूंगा कि मैं अपने गांव के उस पुराने चर्च के बाहर मीना कुमारी से बात करूं।

अनु- छवि शर्मा 

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