रेटिंग**
पंजाबी फिल्मों से हिन्दी में पर्दापण करने वाले निर्देशक रोहित जुगराज ने पंजाबी सिंगर स्टार एक्टर दिलजीत दोसांझ और कृति सेनॉन की जोड़ी के साथ कॉमेडी फिल्म ‘अर्जुन पटियाला’ के साथ डेब्यू किया जो अति साधारण रहा। क्योंकि फिल्म की कहानी जरूरत से ज्यादा सादी है।
कहानी :
स्पोर्ट कोटे के तहत जीत हासिल कर अर्जुन यानि दिलजीत दोसांझ फिरोजपुर थाने का दरोगा बन अपने बचपन का सपना पूरा करने में कामयाब होता है। यहां उसका इन्सप्रेरशन है डीसीपी गिल यानि रोनित रॉय। थाने में उसे साथ मिलता है मुंशी यानि हवलदार ओनिडा सिंह यानि वरूण शर्मा का, जो उसे वहां के गुंडे बदमाशों के बारे में बताता है। जिनके बारे अर्जुन को सही जानकारी मिलती है चैनल रिर्पोटर रितु रंधावा यानि कृति सेनॉन से। दोनों आपस में प्यार भी करने लगते हैं। शहर से गुंडो का सफाया करने के लिए अर्जुन उन्हें आपस में भिड़ा देता है जिससे वे आपस में ही लड़ कर खत्म हो जाते हैं। इस प्रकार शहर गुंडा रहित हो जाता है।
अवलोकन :
फिल्म की कहानी इससे पहले न जाने कितनी फिल्मों में दौहराई जाती रही है। कहानी को मैच करते फिल्म में ट्वीस्ट एंड टर्न भी है जिन्हें देख दिलचस्पी कम, बोरियत ज्यादा होती है। कमजोर कहानी का उतना ही कमजोर स्क्रीनप्ले, लिहाजा किरदार चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। इन सारी चीजों को मैच करता म्यूजिक भी है लिहाजा फिल्म अति साधारण बन कर रह जाती है।
अभिनय :
दिलजीत दोसांझ ने अपनी भूमिका के प्रति पूरी ईमानदारी दिखाते हुए बढ़िया अभिनय किया लेकिन वो जाया गया। कृति सेनॉन की भूमिका जितनी साधारण है उसका अभिनय भी उससे मिलता जुलता रहा। वरूण धवन हंसाने में कामयाब रहे, यही नहीं इनके अलावा सीमा पाहवा, जिशान मोहम्मद अयूब, रोनित रॉय आदि ने अच्छा काम किया लेकिन कमजोर फिल्म के सदके सब बेकार रहा।
क्यों देखें :
कॉमेडी की हल्की फुल्की फिल्मों के शौकीन दर्शकों को फिल्म मायूस नहीं करेगी।