Birthday: एक मुमताज़ जिसने कई शहंशाओं के गिरते हुए महल को फिर खड़ा किया अगर मुझे पुरस्कारों के इस पूरे रैकेट के बारे में सब पता होता, चाहे वह राष्ट्रीय पुरस्कार हो या कुर्ला से कन्याकुमारी तक हर गली और उपनगरों में दिए जाने वाले पुरस्कार हों. मुझे पुरस्कारों की मुमताज अभिनीत फिल्मों... By Ali Peter John 31 Jul 2024 in गपशप New Update Follow Us शेयर अगर मुझे पुरस्कारों के इस पूरे रैकेट के बारे में सब पता होता, चाहे वह राष्ट्रीय पुरस्कार हो या कुर्ला से कन्याकुमारी तक हर गली और उपनगरों में दिए जाने वाले पुरस्कार हों. मुझे पुरस्कारों की मुमताज अभिनीत फिल्मों सबसे अधिक संख्या देखने के लिए खुद को विशेष पुरस्कार देना चाहिए. मैंने उनकी लगभग सभी फिल्म छोटी भूमिका से लेकर मुख्य भूमिका वाली फिल्मों को देखा था और मैंने उन्हें उनकी पहली फिल्म से उन्होंने जब अपना करियर छोड़ युगांडा के करोड़पति मयूर माधवानी से शादी करने का फैसला लिया तब तक देखा. जब युगांडा पर ईदी अमीन नामक एक अत्याचारी का शासन था, जिसके बारे में कहा जाता था कि उसने हजारों लोगों को मार डाला था और यहाँ तक कि वह मानव मांस खाने के लिए भी जाना जाता था. जिस दिन मुमताज ने इंडस्ट्री छोड़ी, उस दिन हर व्यक्ति किसी न किसी तरह के शोक में था. देव आनंद और दिलीप कुमार से लेकर धर्मेंद्र, जीतेंद्र, दारा सिंह, खान भाइयों (फिरोज, संजय, अकबर और समीर) तक सभी उनको याद किया करते थे. नर्तकियों, कनिष्ठ कलाकारों, तकनीशियनों और उन सभी लोगों का, उनके लिए जो प्यार और सम्मान था, किस तरह से वह स्टूडियो के चारों ओर घूमने वाली एक संघर्षरत कलाकार से लेकर दिलीप कुमार और देव आनंद जैसे दिग्गजों की प्रमुख नायिका की भूमिका निभा रही थीं. मेरी एक अटूट महत्वाकांक्षा थी कि उनकी आकर्षक कहानी को अपने शब्दों में. मुझे पता था कि यह एक असंभव सपना है, लेकिन मैं क्या कर सकता था जब मेरे जीवन में जो भी हुआ या हो रहा है वह सब ईश्वर की मर्जी से उसकी योजना के अनुसार हो रहा है. ईश्वर या जो भी परमशक्ति है जो इंसान के जीवन के हर क्षण को तय करता है. मैंने अंग्रेजी साहित्य में एम ए किया और जीवन में बहुत कुछ छोटा-बड़ा बनने का सोचा जैसे कि मैंने कई मौकों पर कहा है कि मैं एक रोमन कैथोलिक पादरी, बस कंडक्टर या उदीपी होटल में मैनेजर बनना चाहता था. लेकिन मैंने जो कभी सोचा भी नहीं था, वह होने वाला था. मेरे जीवन के जाने-माने महानतम व्यक्ति के ए अब्बास को लिखे गए सिर्फ एक पोस्टकार्ड ने मेरे जीवन को पलट दिया था और मैं स्क्रीन में काम करने की ओर बढ़ा, जिसे मैं सिर्फ एक अखबार पर पढ़ता था, जब मेरा दोस्त जो था इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप ऑफ न्यूजपेपर्स के लिए काम करने वाला एक ड्राइवर था, वह अखबार को घर ले आता था क्योंकि वह जानता था कि मुझे हिंदी फिल्में कितनी पसंद हैं और यह भी कि मैं उस साप्ताहिक को खरीद सकने में सक्षम नहीं था जिसकी कीमत केवल पच्चीस नये पैसे थी! मुझे जल्द ही पता चला कि यह नौकरी जो मैंने ली थी, वह किसी दिन मुमताज से मिलने का मेरा सपना पूरा कर सकती है, भले ही मुझे पता था कि वह युगांडा में रहती है और शायद ही कभी भारत आती है, लेकिन बांद्रा में उनका एक बड़ा अपार्टमेंट होने से मेरे सपने को ताकत मिली. मैं उनके भतीजे शहजाद को अपने दोस्त राकेश नाथ (जिन्हें रिक्कू के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने स्टार सेक्रेटरी के पद को एक नया अर्थ दिया था) के माध्यम से जाना. मुमताज जब भी मुंबई में होतीं तो शहजाद से मिलने की इच्छा जाहिर करतीं थीं. एक बार शहजाद ने मुझे यह बता कर चैंका दिया कि मुमताज मुंबई में थी. उन्होनें मेरे लिए एक बैठक भी तय की थी और उनके बांद्रा अपार्टमेंट में ड्रिंक और डिनर की व्यवस्था भी की. क्या आप सोच सकते हैं कि उस पूरे दिन मेरी मनःस्थिति कैसी रही होगी? मैं बांद्रा स्टेशन पर तभी पहुंचा जब शहजाद मुझे छह दरवाजों वाली काली मर्सिडीज से पुकार रहा था. उन्होंने मुझे बताया कि मुमताज ने मेरे कुछ लेख देखे हैं और वह स्क्रीन और मेरा कॉलम अली के नोट्स पूरे पूर्वी अफ्रीका में लोकप्रिय थे क्योंकि वहाँ अधिकांश भारतीय थे जो युगांडा, केन्या और यहाँ तक कि दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में बस गए थे. मैं शहजाद की बात भी नहीं सुन रहा था, जबकि उसने मुझ पर इतना बड़ा उपकार किया था क्योंकि मेरे दिल-दिमाग में मुमताज ही चल रहीं थीं. जिस तरह से महान मुमताज ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया उसे मैं कभी नहीं भूल सकता और जैसे ही शहजाद ने मेरे लिए स्कॉच का पहला पेग बनाया, मैंने मुमताज से कहा कि मैं चाहता हूं कि वे मुझे अपनी पूरी कहानी बताए और मैं उनसे कोई सवाल नहीं पूछूंगा. लेकिन, वह बहुत उदास लग रही थी जो उनसे बिल्कुल अलग था. उन्होनें बताया कि जीवन के सभी सुख और विलासिता होने के बावजूद भी उनका जीवन कितना उबाऊ था. उन्होनें इसे स्पष्ट नहीं किया, लेकिन मुझे लग रहा था कि वह वापसी करने में दिलचस्पी रखती है और उस समय के नायकों और नायिकाओं की माँ की भूमिका निभाने के लिए भी तैयार थी. मैंने उनसे कहा कि उद्योग खुले हाथों से उसका स्वागत करेगा और मुमताज जिसे मैं उनकी फिल्मों में जानता था वह जीवित हो गई और मुझे उन्हें अपनी कहानी बताने के लिए कहने का मौका मिला, भले ही वह संक्षेप में हो, और जैसे ही मुमताज ने अपनी कहानी कहना शुरू किया तो मैं अपने सपने को पूरा करने का जश्न मनाने के लिए स्कॉच की चुस्की लेता रहा, मुमताज खुलकर अगले दो घंटों तक बात की ... उन्होंने गंभीर संघर्ष के बारे में बात की और कैसे वह और उनकी बहन मल्लिका किसी भी तरह के काम की तलाश में स्टूडियो आई थीं. अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए नौकरी की और कैसे उन्होनें पहली बार खुद को द्वारा बनाई गई एक फिल्म में भीड़ के दृश्य में शामिल किया. डॉ वी शांताराम की बहुत तेज और पारखी नजर थी उन्होनें उनकी फिल्म सेहरा में मुमताज को रानी की नौकरानी की भूमिका निभाने को दी, इसी फिल्म में एक नए अभिनेता जितेंद्र भीड़ भरे सीन का हिस्सा थे.. वह अत्यंत भावुक हो उठीं थी और उन्होनें मुझे बताया कि कैसे उसे दारा सिंह की नायिका की भूमिका निभाने के लिए चुना गया, जिसके साथ उन्होनें नायिका के रूप में बारह फिल्में कीं और कैसे गपशप पत्रिकाओं ने उनके रोमांस के बारे में नकली कहानियाँ बनाईं और कैसे उनके कुछ प्रतिद्वंद्वियों ने प्रमुख राजनेताओं के साथ उनके गलत सम्बन्धों की गंदी कहानियाँ फैलाईं जोकि निराधार थीं और केवल उन्हें नीचे खींचने के लिए किया गया था ष्क्योंकि उन्हें यह पचना मुश्किल था कि ये महिला एक बार के संघर्ष से कैसे सफलता की ऊंचाइयों को छू रही है. उन्होंने बातया की कि कैसे कॉमेडियन-फिल्म निर्माता महमूद ने उनके करियर को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने कहा कि वह हमेशा उन तीन खान भाइयों की आभारी रहेंगी जिन्होंने उन्हें अपनी सभी बड़ी फिल्मों में कास्ट करके उन्हें पूरा प्रोत्साहन दिया. फिरोज खान के बारे में बात करते वक्त वह विशेष रूप से भावुक हो गईं, जिन्हें उनकी पहली फिल्म अपराध के निर्देशक के रूप में पहली बड़ी सफलता मिली. तब उन्हें नहीं पता था कि उनकी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाएगी और उनकी इकलौती बेटी का रिश्ता फिरोज के इकलौते बेटे फरदीन से होगा. वह विश्वास नहीं कर पा रही थी कि एक ऐसे उद्योग में जहाँ आपको प्रभाव की जरूरत है या एक उचित ब्रेक पाने के लिए एक बड़े परिवार से संबंध होना जरूरी है, वहाँ उनका भविष्य क्या होगा यह भी नहीं पता था लेकिन वहाँ कुछ ऐसी बेहतरीन घटनाएँ जो उनके साथ हो रहीं थीं, जिसकी उन्होने कल्पना भी नहीं की थी एक समय ऐसा भी आया जब कई प्रमुख नायक और निर्देशक उनके प्यार में पागल थे. शम्मी कपूर, जिन्होंने ब्रह्मचारी नामक एक फिल्म की थी. वे अपनी पहली पत्नी, आकर्षक अभिनेत्री, गीता बाली को खोने के बाद उनके प्यार में पागल थे, लेकिन उनके परिवार (कपूरों ने) ने मुमू(जोकि शम्मी मुमताज को पुकारते थे) से शादी करने के शम्मी के फैसले पर आपत्ति जताई थी, जैसा कि उन्होंने कहा था. वह अपने परिवार के इस फैसले से बहुत निराश थे और अंत में उन्होनें भावनगर की राजकुमारी नीला देवी से शादी करने का फैसला किया जिसके बाद वह गहरे जंगलों में आध्यात्मिक यात्रा पर गए और एक बाल बाबा को मिले, जिसने उनका जीवन एक विद्रोही नायक से संत में बदल दिया. जिसके बाद वे लगभग गंजे हो चुके थे और उनका कई किलो वजन बढ़ गया था और उनके गले में सैकड़ों मालाएं थीं. मुमताज ने कहा कि शम्मी अभी भी उनसे प्यार करते थे और उन्हें याद करके रोया करते थे. दूसरा आदमी जो उनके साथ प्रेम में था, वह महान रोमांटिक ‘यश चोपड़ा’ थे, जिसने उनकी केवल एक फिल्म आदमी और इंसान का निर्देशन किया था, और प्यार में पड़ गए थे और उससे शादी करना चाहते थे और वह भी उनसे शादी करने को इच्छुक थी. लेकिन यश के बड़े भाई, बीआर चोपड़ा को उनके पिता से निर्देश मिला था कि यश को मुमताज से शादी करने की अनुमति नहीं दी जाए. यश, जो हमेशा अपनी नायिकाओं, विशेष रूप से साधना और मुमताज के साथ प्यार में थे, ने उन्हें अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की माँ के रूप में दीवार में वापसी करने के लिए कहने की कोशिश की, जिसे उन्होंने वैजयंतीमाला की तरह ही विनम्रता से ठुकरा दिया, जो प्रस्ताव अंततः हिंदी फिल्मों की देवी निरूपा रॉय के पास गया, जिन्होंने दीवार करने के बाद जीवन का एक नया पट्टा प्राप्त किया. एक दौर आया जब मुमताज को सभी नायकों के लिए एक भाग्यशाली शुभंकर माना जाने लगा था और उन्होनें लगभग सभी प्रमुख नायकों के साथ कई फिल्में कीं, लेकिन अधिकतम फिल्में उन्होंने राजेश खन्ना के साथ कीं और उनकी जोड़ी को एक निश्चित शॉट हिट माना जाता था. उन्होंने धर्मेंद्र और जीतेंद्र के साथ भी कई फिल्में भी कीं, लेकिन वह अपने उच्चतम शिखर पर पहुंच गईं, जब पहली बार दिलीप कुमार ने उनकी राम और श्याम में दूसरी नायिका के रूप में सिफारिश की, जब उन्होंने सायरा बानो के साथ काम करने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि वह भूमिका के लिए बहुत छोटी हैं और जीवन की अजीब बात यह थी कि दिलीप कुमार द्वारा सायरा के साथ काम करने से इनकार करने के एक साल बाद, उन्होंने उनसे शादी कर ली और उनके साथ बैराग, गोपी और सगीना महतो जैसी फिल्में भी की. मुमताज ने अपने करियर में एक बड़ा कदम और बढ़ाया. उन्होनें देव आनंद के साथ दो फिल्में साइन कीं, हरे राम हरे कृष्णा और तेरे मेरे सपने. उन्हें अब न केवल प्रमुख स्टार माना जाता था बल्कि संजीव कुमार के साथ खिलौना और राजेश खन्ना के साथ आप की कसम में उनकी भूमिकाओं के साथ एक संवेदनशील अभिनेत्री भी माना जाता था. शशि कपूर अपने करियर में एक बहुत ही कठिन दौर से गुजर रहे थे और किसी ने उन्हें मुमताज के साथ एक फिल्म करने के लिए कहा और उन्होंने वैसा ही किया, जब अशोक रॉय नामक एक अज्ञात निर्देशक द्वारा चोर मचाए शोर नामक फिल्म में एक प्रस्ताव दिया गया था. यह फिल्म सुपरहिट निकली और शशि इतने व्यस्त हो गए कि वे एक दिन में सात फिल्मों की शूटिंग कर रहे थे. अमिताभ बच्चन उम्मीद खो रहे थे जब उनकी शुरुआती ग्यारह फिल्में फ्लॉप रहीं. उन्होंने अनुभवी निर्देशक ओपी रल्हन से संपर्क किया, जो धर्मेंद्र को फूल और पार्टनर के साथ स्टार बनाने के लिए जाने जाते हैं. रल्हन फ्लॉप अभिनेता के साथ काम करने के लिए अनिच्छुक थे और उन्होंने अपने सहायक, ओपी घई से उनकी सिफारिश की, जिन्होंने अमिताभ से कहा कि यदि वह उनके साथ काम करना चाहते हैं तो मुमताज को उनकी फिल्म करने के लिए मनाना होगा. कहा जाता है कि अमिताभ ने मुमताज से उनके साथ काम करने का अनुरोध किया था क्योंकि उन्होंने इसे काम जारी रखने के अपने आखिरी मौके के रूप में देखा था. मुमताज जो हमेशा एक स्टार से अधिक बड़े दिल वाली महिला के रूप में जानी जाती थीं, सहमत हो गईं और अमिताभ और मुमताज बंधे हाथ में मुख्य जोड़ी थे, लेकिन मुमताज, भाग्यशाली होते हुए भी उनके बचाव में आने में विफल रहीं और अब उन्होंने अपना बैग पैक कर लिया था लेकिन उनके माध्यम से अमिताभ को महमूद के भाई अनवर अली जैसा दोस्त मिला, जिसने उन्हें रोक दिया और कुछ ही महीनों में अमिताभ को जंजीर मिल गई और बाकी जैसा वे कहते हैं, इतिहास है. फिर पहलाज निहलानी और डेविड धवन ने उन्हें शत्रुघ्न सिन्हा और अनुभवी अभिनेता बिस्वजीत के बेटे प्रोसेनजीत के साथ आंधियां में एक माँ की भूमिका की पेशकश की. फिल्म न केवल खराब थी बल्कि खराब स्वाद में बनाई गई थी. माँ (मुमताज) और बेटे (प्रसेनजीत) के बीच ऐसे सीन थे जो फिल्म में यंग लवर्स से ज्यादा रोमांटिक लग रहे थे. एक पूरी पीढ़ी बीत चुकी थी और मुमताज की महानता को बहुत कम लोग जानते थे और जो लोग जानते थे वे सोचते थे कि उन्हें अपनी सफलता की कहानी को क्यों बर्बाद करना पड़ा उस रात मुमताज ने आधी रात के बाद मुझे अपनी कहानी सुनाना समाप्त किया और सुनिश्चित किया कि मुझे उसी छह दरवाजों वाली मर्सिडीज में घर भेज दिया जाए जो उन्होनें मुझे लाने के लिए भेजी थी....... वह अब सत्तर साल की है और एक साधारण गृहणी के रूप में देखी जाती है. पत्नी अपनी मार्केटिंग कर रही है और अपने घर की देखभाल कर रही है. अगर हर ‘अमर, अकबर, एंथनी’ और सिल्क स्मिता पर जीवनी और बायोपिक बनाई या योजना बनाई जा रही है, तो मुझे निश्चित रूप से लगता है कि मुमताज एक अच्छे लेखक द्वारा लिखी गई जीवनी और एक संवेदनशील और समझदार फिल्म निर्माता द्वारा बनाई गई बायोपिक की हकदार हैं. क्या मुमताज का यह दूसरा सपना भी पूरा होगा जिसका मैंने अभी सपना देखा है? आज मुमताज 73 की हो गई हैं और अपनी जिंदगी अपने ढंग से जी रहीं हैं और उनको बीती बातों की सिर्फ हल्की हल्की यादें है. बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी -2तेरी नींद उडे ते उड जाएकजरा बहकेगा, गजरा महकेगा -2मोहे रुसदीये ते रुस जाए -2बिंदिया चमकेगी... (मैंने माना हुआ तू दीवाना जुलम तेरे साथ हुआ) -2मैं कहाँ ले जाऊँ अपने लौंग का लश्काराइस लश्कारे से आके द्वारे से -2चल मुड़दीये ते मुड जाएबिंदिया चमकेगी ... (बोले कंगना किसीका ओ सजना जवानी पे जोर नहीं) -2लाख मना करले दुनियाकहते हैं मेरे घुंगरूपायल बाजेगी, गोरी नाचेगी -2छत टुटदीये ते टुट जाएबिंदिया चमकेगी ... (मैंने तुझसे मोहब्बत की है गुलामी नहीं की बलमा) -2दिल किसी का टूटेचाहे कोई मुझसे रूठेमैं तो खेलूँगी, मैं तो छेड़ूँगी -2यारी टुटदीये ते, टुट जाएबिंदिया चमकेगी ... (मेरे आँगन बारात लेके साजन तू जिस रात आएगा) -2मैं न बैठूँगी डोली मेंकह दूँगी बाबुल सेमैं न जाऊँगी, मैं न जाऊँगी -2गड्डी टुर दीये ते टुर जाएबिंदिया चमकेगी... फिल्म- दो रास्तेकलाकार- मुमताज और राजेश खन्नागायक- लता मंगेशकरसंगीतकार- लक्ष्मीकांत-प्यारेलालगीतकार- आनंद बक्षी Read More फैंस ने शिखर पहारिया और जान्हवी कपूर को हैशटैग दिया 'जान्हवर' संसद में अमिताभ के नाम पर भड़कीं जया,फैन्स ने कहा 'फिर इस्तेमाल क्यों' अक्षय की फिल्म वेलकम टू द जंगल में 22 किलो का कॉस्ट्यूम पहनेंगे जैकी सीमित बजट के साथ ऋषि ने भेजा था रणबीर को अमेरिका,$2 में करते थे गुज़ारा #Birthday Special #Mumtaz Askari Madhvani #Mumtaz Birthday Special #Mumtaz Askari Madhvani Birthday #Mumtaz Askari Birthday Special हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article