संपादकीय
लीजिये साहब, बॉलीवुड तरक्की पर है! पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ ने सिनेमा को एक और आयाम से जोड़ दिया है। जीतेन्द्र की बेटी एकता कपूर और अनिल कपूर की बेटी रिया कपूर ने अपनी इस फिल्म से पर्दे पर मैथुन (Masturbation) संस्कृति को आरंभ दे दिया है। हिन्दी-सिनेमा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब ‘वोमनहुड’ की दुहाई देने वाले देश में एक एक्ट्रेस (स्वरा भास्कर) ने अपनी सेक्स-भूख मिटाने के लिए पर्दे पर खुलेआम सेक्स-टॉय (बाइब्रेटर) का इस्तेमाल किया है समर्थन में उसकी सहेलियां हंसती हैं- ‘‘अपना हाथ जगन्नाथ’’ कहकर।
पूरे देश में फिल्म की उन चार बिन्दास लड़कियों (करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तलसानिया) के पोट्रेट किये गये चरित्र पर लोग हक्का बक्का हैं। क्या हमारी संस्कृति में ‘परमसुख’ पाने की यही परिभाषा है? जैसा वो लड़कियां अपने विहेवियर से बताना चाहती हैं। प्रतिक्रिया देने के लिए फिल्म वाले तो चुप हैं लेकिन सोशल मीडिया पर उन हरकतनसीनों के लिए गालियों का अंबार लगा है। हमने भी बहुतों से बात करने की कोशिश की है, जवाब में स्वरा के लिए गालियां ही आयी हैं। खबर है स्वरा भास्कर की मां प्रोफेसर इरा भास्कर (पीएचडी, सिनेमा शोध कर्त्ता) शर्मिन्दा हैं, पर स्वरा नहीं! सिनेमाहाल से बाहर निकलती एक दादी ने पोती से कहा- ‘ये वही लड़कियां हैं ना, जो कठुआ-गैंगरेप कांड पर हाथ में तख्तियां लिए खड़ी थी-^^#I AM HINDUSTANI, I AM ASHAMMED**\ सोशल वर्क और काउंसलिंग करने के लिए मशहूर सीमा गुप्ता का कहना है- ‘इसके लिए सेंसर बोर्ड भी दोषी है। आप एक नया सर्टिफिकेट बनाईये ।़ग् ताकि एडल्ट कांटेट और सेक्स-कांटेट में फर्क समझा जा सके। तभी दादी और पोती अलग-अलग सिनेमा हाल में जाने का मतलब समझ पाएंगी।’ मुंबई हाईकोर्ट के एडवोकेट शीतला पांडेय का कहना है- ‘भाई, सेन्सर, कानून और संस्कृति की चर्चा बाद में कीजिए। पहले अनिल कपूर को कहिए कि अपनी निर्मात्री बेटी को एक चांटा जड़ दें और कहें कि हमारा समाज अभी इतना एडवांस नहीं हुआ है कि हमारी औरतें खुलेआम मास्टरबेशन करती दिखाई जाएं।’ जो भी हो, पर्दे पर एक नई शुरूआत का श्रीगणेश तो हो ही चुका है। इंतजार कीजिए- अगली फिल्म किस विषय पर होगी!
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