माँ और पिता अल्लाह, परमेश्वर या जीसस से अधिक कीमती होते हैं By Mayapuri Desk 05 Feb 2021 | एडिट 05 Feb 2021 23:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर माँ और पिता अल्लाह, परमेश्वर या जीसस से अधिक कीमती होते हैं, मनोज कुमार का एक और ख़ास तोहफ़ा मेरे लिए और सब के लिए अली पीटर जॉन मैं अपने स्कूल के फाइनल इयर में था जब मुझे अपने जीवन के पहला बड़ा शॉक लगा और फिर मुझे ऐसे शॉक लगते रहे और यह अभी भी नहीं रुके हैं। और मेरे जीवन का एक सबसे बड़ा शॉक मुझे तब लगा था जब मैंने दो बेटों को अपने बूढ़े और बीमार पिता को बेरहमी से तब तक मारते देखा जब तक की वह मर नहीं गए। बेटे किसी भी कीमत पर उसकी प्रॉपर्टी को पाने के लिए मरे जा रहे थे। उसी गाँव में, एक जमींदार के दो अन्य पुत्र थे जिन्होंने अपने पिता को घर से निकाल दिया और जब उन्होंने लौटने की कोशिश की, तो उन्होंने उसे पास के एक कुएँ में फेंक दिया और इसे आत्महत्या की तरह दिखाया था। एक मेकअप मैन, जो अपनी माँ की संपत्ति को पाना चाहता था; ने अपनी माँ के मरने से ठीक पहले एक ‘नकली विल’ पर उनका अंगूठा लगवाया था, वैसे मैंने मुंबई के विभिन्न हिस्सों में कई वृद्ध लोगों से मुलाकात की हैं और उनके घरों में भी गया हूँ और जब मैंने उनकी हार्ट ब्रेकिंग स्टोरीज सुनी कि कैसे उनके बच्चों ने उनसे झूठ बोले और उन्हें आश्रमों में छोड़ दिया और यह कह कर कि वह उन्हें घर ले जाने के लिए वापस आएगे और फिर कभी भी वापस नहीं आए। इनमें से कई बूढ़े लोगों ने अपने जीवन के आखिरी दिनो को अपने बेटे और बेटियों के इंतजार में बिताए, जब तक कि उनकी मृत्यु नहीं हो गई और फिर उन्हें घरों के श्रमिकों या देखभालकर्ताओं द्वारा दफनाया गया या उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस समय। फरवरी 2021, मुंबई में या आसपास के शहरों में भी पुणे कोल्हापुर और गोवा के आसपास और यहां तक कि गोवा में और आसपास के लोगों के लिए कोई घर या कमरे या बिस्तर तक नहीं हैं और सड़कों पर बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ रही है, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है और वे अंततः सड़कों पर ही मर जाते हैं और नगर निगम द्वारा उनके शवों को ढोया जाता है। और अब आई यह सबसे बेहतरीन और अमानवीय कहानी जो पिछले हफ्ते इंदौर में हुई थी। नगर निगम वास्तव में सभी पुराने बेसहारा बूढ़े पुरुषों और महिलाओं को सड़कों से हटाने के लिए, उन्हें एक बस में बैठा दिया और उन्हें शहर के बाहरी इलाके में, पुराने और बीमार जानवरों की तरह छोड़ दिया और उन्हें उनके भाग्य के हवाले कर दिया गया। यह उनका सौभाग्य था कि कुछ अच्छे सामरी लोगों को इस घटना का पता चला, जिसने पूरे देश में उथल-पुथल मचा दी। और जैसा कि मैं इन सभी दर्दनाक झटकों से ओवरकम करने की कोशिश कर रहा हूं, महान फिल्म निर्माता मनोज कुमार का एक वीडियो मेरे सामने आता है। यह उन सभी कि आंखे खोल देने वाला है जिनके पास अभी भी एक दिल जिसे वह फील कर सकते हैं और रोने के लिए आँखें और डर के लिए एक अंतरात्मा की आवाज। यह एक अस्सी साल का बूढ़े व्यक्ती के बारे में दिल को छू लेने वाली कहानी है, जो दादर के प्रसिद्ध 'सिद्धिविनायक' मंदिर में एक युवा जोड़े, वीर सिंह राजपूत और शिखा वर्मा के साथ घूमते हुए पाए गए थे। वह वृद्ध व्यक्ति बिहार से था और अपनी बेटी और दामाद के साथ मुंबई आया था। उन्होंने उसे कुछ कागजात पर साइन करने को कहा, जिसके द्वारा उन्होंने उन्हें (उस बूढ़े व्यक्ती को) बताया कि उन्हें हर महीने 5000 रुपये की नियमित पेंशन मिलेगी। उन्होंने कागजात पर साइन किए और उनकी बेटी ने उन्हें एक छोटे सी खाने की जगह पर रात का खाना खाने के लिए बैठाया और जल्द ही उनके पास वापस आने का वादा करके वहा से चली गई। और वह आखिरी बार था जब उस आदमी ने अपनी बेटी या अपने दामाद को देखा था। मुंबई के एक दंपति ने उस व्यक्ति की मदद करने और उनकी बेटी और दामाद को ढूँढने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे किसी ऐसी जगह चले गए थे, जहां उनके जैसे पापी खुशी से रहते थे। बूढ़े व्यक्ति का सौभाग्य था कि उस दंपति का साथ उनके साथ था, इस दंपति ने यह पता लगाया कि वह बिहार में किदर से आए थे और फिर उन्होंने उसके लिए ट्रेन का एक टिकट खरीदा और उसे सही ट्रेन और सुरक्षित सीट पर बिठाया और फिर वह व्यक्ती अपनी यात्रा पर निकल गया, और क्या उसकी किस्मत आगे भी उसका साथ देती रही और उसे अपने घर और अपने लोगों को खोजने में मदद करती रही? मुझे तब एक ओर शॉक लगता है, जब इस महान देश भारत के ‘वृद्ध लोगों’ की बात आती है। लेकिन जैसा कि मैं इस बढ़ते अभिशाप के बारे में सोचता हूं, मैं उन फिल्मों के बारे में भी सोचता हूं जो इस मुद्दे पर बनी हैं, जैसे जिंदगी, अवतार, संतान जैसी फिल्में और इन में सबसे बेस्ट ‘बाग़बान’ हैं। इस ज्वलंत समस्या (बर्निंग प्रॉब्लम) के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं, जिनमें कई सेमिनार और विचार-विमश हुए हैं और हमारे माता पिता की सुरक्षा के लिए कानून भी बनाए गए हैं। लेकिन, मुझे लगता है कि जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक कुछ भी नहीं बदलेगा है और हमारी सामूहिक सहानुभूति ही इसे दूर कर सकती है, जो हमें अपने इन पापी तरीकों को बदलने का निर्णय लेने पर मजबूर करेगी जब यह हमें इस दुनिया में लेन वाले माँ-बाप की बात आती है, जो मुझे विश्वास है कि यह किसी भी भगवान देवी या देवता की तुलना में अधिक शक्तिशाली और सबसे कीमती हैं। और इन सभी बेटों और बेटियों से क्या कहूं जो अपने रचनाकारों यानी माता-पिता को अपमानित करते है उनसे ऐसा गन्दा व्यवहार करते हैं, और उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं है कि वे अपने बूढ़े माता-पिता के साथ जो कर रहे हैं, वही एक दिन अगर उनके बच्चे उनके साथ करेगे तब वह क्या महसूस करेगे, क्योंकि बच्चे तो अपने माँ-बाप को देख कर ही सीखते है। धन्यवाद, श्री भरत जिन्होंने मुझे एक बड़ी समस्या से फिरसे अवगत कराया, जिसे मैं भूल नहीं पाया था, लेकिन उस समय मेरी अंतरात्मा की आवाज को ढेरों अन्य समस्याओं के कारण इंतजार करना पड़ा था, और अब तो इंसान अपनी अंतरात्मा को बेचने के लिए ऐसे तैयार रहता है, जैसे हर दूसरी मूल्यवान वस्तु बिक्री के लिए तैयार रहती है। अनु- छवि शर्मा #ali peter john हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article