नया कश्मीर: ‘‘ ये वादियां ये फिज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें...!’’

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By Mayapuri Desk
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नया कश्मीर: ‘‘ ये वादियां ये फिज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें...!’’

श्री पीएम मोदी जी की फिल्ममेकर्स से अपील

कश्मीर के पुनर्गठन के बाद बाॅलीवुड में हलचल है। तमाम फिल्म - निर्माताओं में जोश भर गया है, कि वे वापस जाकर कश्मीर की वादियों में पहले जैसे फिल्मों के गाने पिक्चराइज करें। एक कश्मीरी फिल्म निर्माता ने तो पूरे दिन उन फिल्मों के गाने बजाये हैं जो कश्मीर टेरिटैरी में शूट हुए थे और आज तक दर्शकों को घाटी के नेपथ्य से निकलकर कानों को ‘इको’ देते प्रतीत होते हैं- ‘कश्मीर की कली हूं मैं, मुझसे ना रूठो बाबूजी..’, ‘हमदम मेरे मान भी जाओ...’, ‘यह चांद सा रोशन चेहरा...’, ‘फिर वही दिल लाया हूं..’, ‘तुमसे अच्छा कौन है...’, ‘हम तुम इक कमरे में बंद हो...’, ‘पुकारता चला हूं मैं...’, ‘ए नरगिस-ए-मस्तानी...’, ‘परदेसियों से ना अंखियां मिलाना, परदेसियों को है...’

ये वे सदाबहार गीत हैं जो सिर्फ गीत नहीं हैं। इनकी बैकग्राऊड में दर्शक डल झील देखता है। हाउस बोट, शिकारा, मुगल गार्डन, शालीमार बाग, चिनार और पहलगाम तथा गुलमर्ग की सड़कों पर साइकिल दौड़ाती लड़कियों को देखता है। फूलों की खेती देखकर मन चहक पड़ता है - ‘अरे यही तो है धरती का स्वर्ग! फिर कब आंख खुली सपना टूट गया, जैसा हो गया। सन् 60, 70 और 80 के दशक का सिनेमा दहशत गर्दी का शिकारे हो गया। सन 1949 में आयी फिल्म ‘एक लड़की’ का गीत ‘हम चले दूर’ अभिनेता मोतीलाल पर एक शिकारा पर पहली बार फिल्माया गया था। बाद में वैसे दृश्य शम्मी कपूर और जाॅय मुखर्जी अभिनीत तमाम फिल्मों में बहुत समय तक आते रहे। कश्मीर-श्री नगर और लद्दाख में, शिकारा पर अभिनेताओं के साथ शूटिंग किए जाने वाली फिल्मों की एक लम्बी फेहरिस्त है। ‘कश्मीर की कली’ के नायक राजीव-नानी मां का रईसजादा बेटा (शम्मी कपूर) और फूलवती चंपा (शर्मिला टैगोर) की पहली फिल्म) आज भी लोगों को नहीं भूली है। ‘जब जब फूल खिले’ के  गाइड (शशि कपूर) की मुस्कुराती अदा वाला गीत - ‘एक था गुल और एक थी बुलबुल...’ आज भी दिल को धड़काते हैं। ‘जंगली’, ‘आरजू’, ‘सरगोशियां’, ‘रोजा’, ‘फना’, ‘लक्ष्य’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘नोटबुक’, ‘हैदर’, ‘आंधी’, ‘दिल से’, ‘टैंगो चार्ली’, ‘ट्यूबलाइट’, ‘जब तक है जान’, ‘भाग मिल्खा भाग’ ‘राजी’, ‘बजरंगी भाई जान’ आदि तमाम फिल्में हैं जिनकी शूटिंग, गीत या कथा की आत्मा में कश्मीर की छाप रही है। कश्मीर में बिगड़ते हालात और दहशत गर्दी के चलते फिल्मकार घबरा कर वहां जाने की बजाय स्विटज़रलैंड और यूरोप के देशों की वादियों का चुनाव करने के लिए मजबूर हो गये।

श्री पीएम मोदी जी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में फिल्म उद्योग का विस्तार किया जाएगा। यहां बनने वाली एक-एक फिल्म राज्य के विकास मंे बड़ी भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय ऐसा था जब बाॅलीवुड की किसी भी फिल्म की शूटिंग जम्मू-कश्मीर के बिना पूरी नहीं होती थी। एक जमाना था, जब बाॅलीवुड की फिल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर पसंदीदा जगह थी। उस दौरान शायद ही कोई फिल्म बनती हो, जिसकी कश्मीर में शूटिंग न होती हो। ‘पीएम मोदी ने आगे कहा- मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, तेलगू और तमिल फिल्म इंडस्ट्री और इससे जुड़ लोगों से आग्रह करूंगा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में फिल्म की शूटिंग से लेकर थिएटर और अन्य साधनों की स्थापना के बारे में जरूर सोचें।अब, जब धारा 370 हटाये जाने के बाद कश्मीरियत के लौट आने का प्रयास सरकार की पहल पर हो रहा है, तमाम फिल्मकार वहां जाकर शूटिंग करने का मन बना रहे हैं। बहुत पहले साहिर लुधियानवी का लिखा गीत- ‘ये वादियां ये फिजाएं बुला रही हैं तुम्हें...’ लगता है सच होने वाला है।

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