स्वागत है नये सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर का ! By Mayapuri Desk 03 Jun 2019 | एडिट 03 Jun 2019 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर (बॉलीवुड और हाथी जैसी सफेदपोश डीडी और अन्य कला-संस्थाओं के लिये कुछ होगा क्या?) नवगठित भारत की पार्लियामेंट में सूचना प्रसारण मंत्रालय का पूर्ण दायित्व माननीय मंत्री प्रकाश जावडेकर जी को सौंपा गया है। उनको यह पद ‘इनवायरमेंट और फारेस्ट क्लाइमेंट चेंज’ के दायित्व के साथ निभाना है। दरअसल वह पहले भी सूचना-प्रसारण मंत्रालय से जुड़े रहे है बॉलीवुड से वाकिफ हैं इसलिए उनकी नव नियुक्ति पर कला जगत ने हर्षोल्साल से स्वागत किया है। ‘मायापुरी’ भी अपने नये सूचना प्रसारण मंत्री का स्वागत करती है। बधाई हो प्रकाश जावडेकर जी! साथ ही, हम माननीय मंत्री जी का ध्यान आर्कषित करना चाहते हैं। कि हमारी कला जगत की ताजातरीन स्थिति कितनी विचारात्मंक अवस्था में है। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में सवा लाख स्थापित कलाकार तों होंगे ही और हजारों की तादाद में सस्ंथाए हैं, पर क्या वे नियमित निगरानी और नियंत्रण में हैं? यहा हम तादाद सिर्फ सिनेमा की बात करते हैं। सिनेमा से जुड़ी हुई संस्थाए (जैसे दूरदर्शन, फिल्म प्रभाग, चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी, एन.एफ.डी.सी., सिन्टा, इम्पा, वेस्टर्न इंडिया, म्यूजिक-कंपनिया, सेंसर बोर्ड) कलाकारों और तकनिशनों के भले के लिए काम किया करती हैं। इन सभी संस्थाओं का आकार और हिसाब करोड़ों-करोड़ों में है। पर क्या मालूम पड़ जाता है सार्वजनिक तौर पर कि इन अंडरटेकिंग या कॉरपोरेट बॉडी बन चुकी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का क्या बजट है? कलेक्शन क्या है? ये कितना टैक्स-पे करती हैं या कितनी सबसिडी लेती हैं? वैसे ही हम उदाहरण के लिए यहां दूरदर्शन का जिक्र करना चाहेंगे। हाथी जैसी हो चुकी यह सफेदपोश संस्था एक उपक्रम है। जिसकी स्थापना भारत सरकार ने 14 सितम्बर 1959 को की थी। तब से अब तक कितने नाम और रूप में इस संस्था को चलाने के लिए अरबों रूपए खर्च हुए होंगे, सोचने वाला विषय है। डी.डी के 16 भाषाओं में 1400 टेरिटोरियल ट्रांसमीटर चल रहे हैं। इनके 46 स्टूडियो में देश हित के प्रोग्राम बनते हैं। तमाम डी.डी के राष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानिक निकायो में एक किसान चैनल शुरू किया गया। योजना थी 86 प्रतिशत गावों में, इस चैनल के द्वारा भारतीयता को और ग्रामीण किसानों की समस्याओं को संदेशात्मक-कलात्मक प्रस्तुति दी जाएगी। क्या हुआ इस चैनल पर खर्च किए गये करोड़ों के बजट का! हजारों लोग प्रोग्राम बनाकर अपनी फाईल खुलने का इंतजार कर रहे हैं। सोच रहे है कभी तो दूरदर्शन के लिए बनाये नये प्रोग्राम पर खर्च किया गया उनका पैसा वापस आयेगा? ;ऐसा की ड़ी.ड़ी उर्दू चैनल के प्रोडयूसरो के साथ हुआ, वही भी इतंजार कर रहे हैद्ध व्यूअर्स लौटने की तो बात ही मत करिये। प्राइवेट चैनल्स और भ्क् प्रसारण के जमाने में डी.डी. तो प्रतियोगिता में कही भी खड़ा नहीं होता। यही हालात फिल्म-डिवीजन की फिल्मों का है। सेंसर बोर्ड में फिल्म देखने के लिए जिनकी नियुक्ति होती है, वे फिल्म की सोच तक नहीं रखते। बॉलीवुड के पत्रकारों को कभी मौका नहीं मिलता, ऐसा क्यों? तात्पर्य यह कि माननीय मंत्री जी इन समस्याओं पर विचार जरूर करें। तभी फिल्म और फिल्मों से जुडे़ सामान्य कर्मियों का भला हो पाएगा। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी महत्वपूर्ण होती है हम इन मूल्य को मानते हैं प्राकाश जावेड़कर देश के नए सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि मीडिया की स्वतत्रंता लोकतंत्र की आत्मा है इस लिए हमारे लिए मीडिया की स्वतत्रंता अहम है जावेड़कर ने कहा की सरकार न केवल मीडिया की स्वतत्रंता समझती है। बल्कि इसकी पक्षधर भी है। #bollywood #Prakash Javadekar हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article