‘‘हर-हर महाकाल, घर-घर महाकाल’’ के अपने संकल्प को पूरा करने में तन मन धन से जुटे हुए हैं प्रवीण मादुस्कर
-षान्तिस्वरुप त्रिपाठी
भारत में भगवान और भक्त का अटूट संबंध सदियों से चला आ रहा है। भगवान हनुमान भी खुद को भगवान राम का भक्त ही मानते हैं। इस कलयुग और वर्तमान समय में कल्पना से परे उज्जैन स्थित ज्योर्तिंलिंग महाकालेष्वर (भगवान षंकर, उज्जैन में महाकाल के रूप मंे जाने जाते है।) के अनूठे भक्त से लोग धीरे धीरे परिचित होते जा रहे हैं। इनका नाम है-प्रवीण मादुस्कर। भगवान महाकाल के भक्त प्रवीण मादुस्कर ने घर-घर तक महाकाल को पहुॅचाने का संकल्प लिया है। प्रवीण मदुसकर भगवान महाकाल का गुणगान करने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को आतुर रहते हैं। प्रवीण मादुस्कर भगवान महाकाल के भक्त ही नहीं उनके दीवाने भी हैं।
प्रवीण मादुस्कर कोई अमीर इंसान नही है। वह मध्यप्रदेष के लोकनिर्माण विभाग में नौकरी करते हैं। लेकिन वह पिछले 25 वर्षों से ‘‘हर हर महाकाल, घर-घर महाकाल’’ के अपने संकल्प को पूरा करने में जुटे हुए हैं।
आखिर प्रवीण मादुस्कर ने ऐसा संकल्प क्यों लिया। इस पर वह बताते हेैं-‘‘तीस वर्ष पहले मैं बड़नगर से उज्जैन नौकरी करने आया था। तब पहली बार में भगवान महाकाल की सवारी में षामिल हुआ था। सवारी के दौरान मंैने तमाम घरों में दुर्गा देवी, गणेष जी, हनुमान जी की तस्वीरें या टाइल्स देखीं, लेकिन मुझे किसी भी घर के बाहर महाकाल का नाम या तस्वीर नजर नही आयी। महाकाल की नगरी में यह बात मुझे बड़ी अजीब सी लगी।मैने अपने पास से पांच सौ रूपए खर्च कर ‘जय महाकाल’ के स्टीकर बनवाए। और फिर मैने यह स्टीकर लोगों को उनके अपने घरोें के बाहर लगाने के लिए मुफ्तमें बंाटे। यहीं से एक सिलसिला षुरू हुआ.पहले स्टीकर बांटे, फिर कुछ बचत कर मैने महाकाल की तस्वीरंे लोगों के बीच बांटनी षुरू की। फिर फोटोफ्रेम, स्टीकर व कैलेंडर भी घर घर जाकर बांटने षुुरू किए। सर्वेभवन्तु सुखिनः भगवान महाकाल के सबको नित्य दर्शन हो व दर्शनकर्ता का भगवान कल्याण करे इसी भावना पिछले तीन दशक से श्रद्धालुओ को अपनी निजी आय से निःशुल्क भगवान श्रीमहाकालेश्वर की फोटोफ्रेम, स्टिकर, कैलेंडर बितरित करता आ रहा हॅू। अब तक लाखों लोगों तक श्री महाकाल की तस्वीरें पहुॅचा चुका हॅूं। श्रावण माह में श्री महाकाल की सवारी के दौरान राह चलते लोगों का बाबा महाकाल की तस्वीरे भेंट देता रहता हॅंू। मेरा यह काम सिर्फ उज्जैन तक कही सीमित नही है। मंैने दूसरे षहरो में जाकर भी बाबा महाकाल की तस्वीरे, स्टीकर आदि बांटता रहता हूंू। मैंने संम्पूर्ण देष में महाकाल की भक्ति का अलख जगाने के लिए एक संस्था ‘‘श्रीभस्मरमैया भक्त मंडल’’ बना रखा है।’’
आपका ‘‘श्रीभस्मरमैया भक्त मंडल’’ की गतिविधियां क्या हैं? इस सवाल के जवाब में प्रवीण मादुस्क कहते हैं-‘‘हमारा यह मंडल विगत 30 वर्षों से भगवान श्रीमहाकालेश्वर की पालकी के ठीक आगे शिवप्रिय वाद्ययंत्रों की प्रस्तुति प्रसिद्ध डमरू वादक मौनीबाबा डमरूवाले के सानिध्य में दे रहा हैं। जब बाबा महाकाल की पालकी के आगे मंडल के 400-500 सदस्य मंडल के गणवेश में डमरू व झांझ,, षंख, बिगुल इत्यादि बजाते हुए चलते हैं, तो पूरा वातावरण धर्ममय हो जाता हैं और श्रद्धालु झूम उठते है। हमारे इस मंडल की लखनऊ, दिल्ली, काषीपुर- उत्तराखंड, लातुर- महाराष्ट्, अजमेर सहित देश के अनेक षहरों में षाखाएं हैं। मंडल का संचालन प. मधुरम सरकार करते है। हमारे मंडल को श्रीमहाकालेश्वर मंदिर के पुजारी प. प्रदीप गुरु व श्री गोलू जी शुक्ला बाणेश्वरी इंदौर का विशेष स्नेह प्राप्त है। हमारा यह मंडल बाबा महाकाल की सवारी के दौरान हरिभक्त के माथे पर अष्टगंध का तिलक करता रहता है।’’
तो आप अपने इस कार्य को बिना व्यवधान के जारी रखने के लिए लोगो से मदद भी लेते होंगे? इस सवाल पर प्रवीण मादुस्कर कहते हैं-‘‘जी नहीं... हर वर्ष का खर्च एक लाख आए या दो लाख आए, इसे मैं अपनी वार्षिक बचत से ही पूरा करता हॅू। मैं इस काम के लिए किसी से भी कोई मदद नहीं लेता।मेरी पत्नी श्रीमती लता मादुस्कर जरुर मेरे इस काम में योगदान देती है। वर्षो से भगवान महाकाल की सवारी में श्रद्धालुओं को निशुल्क वितरण सेवा की श्रंखला कोरोना काल मे भी अनवरत जारी है। विगत वर्ष कोरोना के कारण श्रावण में सवारी प्रतीकात्मक निकलने पर मैं अपने निजी वाहन से मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों और गावों में बाबा महाकाल के फोटोफ्रेम, स्टीकर व कैलेंडर का मुफ्त वितरण करने कई गांव व षहरों में गया। यह सिलसिला इस वर्ष भी जारी रहेगा।’’