एक रवीन्द्रनाथ टैगोर भक्त और सत्यजित रे का चेला जो हिंदी फिल्मों का हिट राइटर बन गया... सचिन भौमिक By Mayapuri Desk 20 Apr 2021 | एडिट 20 Apr 2021 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर अपने शुरूआती दिनों में, इससे पहले कि मैं फिल्म पत्रकारिता कर पाता मैंने श्री के. ए. अब्बास जैसा महान गुरु को पाया था, जहां अंधेरी में नटराज स्टूडियो मेरे पाठशाला की तरह था, जहाँ मैंने फिल्म उद्योग में काम करने के तरीके के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की थी। यह मेरी इस पाठशाला के दौरान था जहा मैं फिल्म निर्माताओं, कलाकारों और तकनीशियनों में से कुछ महान दिग्गजों से मिला था। -अली पीटर जॉन जब मैं स्टूडियो के आसपास घूमता था, तब मैं एक पॉश कार को देखा था, और कार में मैंने एक आदमी को देखा था, जिसके प्रति मेरा मानना था कि वह किसी पूर्व भारतीय राज्य का एक होगा। उसने हर बार सिल्क की शर्ट पहनी होती थी और जो मुझे उसकी ओर अट्रेक्ट करती थी उसकी शर्ट की जेब में दो पेन लगे होते थे। यह मेरा अपना रीसर्च करने के बाद मुझे पता चला कि वह आदमी सचिन भौमिक थे, जो फिल्मों में सबसे अधिक प्रचलित, लोकप्रिय, सफल और पहले लेखक थे, जिन्होंने केवल अपने लेखन के माध्यम से लाखों रुपये कमाए थे। मैंने अपने दोस्त, जाने-माने फिल्म निर्माता शक्ति सामंत से पूछा, जिनके लिए सचिन ने अपने लंबे करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म ‘आराधना’ लिखी थी। और शक्तिदा ने तब मुझे हैरान कर दिया था जब उन्होंने कहा था, “अरे, वो साला राइटर थोड़ी है, वो लिखता नहीं, वो हॉलीवुड की फिल्में देखता है, कहानी चुराता है और उसको हिंदी में एडाप्ट करके हम जैसे अनपढ़ लोगों को सुनाता है और हम इम्प्रेस हो कर उनकी सुनाई गई कहानियों पर फिल्म बनाते है और कमाल ये है कि उनकी सुनाई गई हर स्क्रिप्ट हिट या सुपर हिट बन जाती है।” सचिनदा के साथ जे. ओम प्रकाश, राकेश रोशन, सुभाष घई, यश चोपड़ा, सावन कुमार टाक और अब्बास मस्तान जैसी हिट फिल्में देने वाले ज्यादातर फिल्ममेकर्स का सचिनदा के बारे में यही ओपिनियन था, लेकिन वे सभी उनके साथ काम करना पसंद करते थे क्योंकि उन्होंने उन्हें एक फिल्म निर्माता को कामयाब बनाने का ‘एक निश्चित शॉट फॉर्मूला’ कहा था जो बॉक्स ऑफिस पर एक सफल सफलता का रास्ता थे। मुझे इस लेखक के साथ काफी समय बिताने का सौभाग्य मिला, जो एक स्टार का जीवन जीता था। उन्होंने मुझे बताया था कि वे रवींद्रनाथ टैगोर से लेखन के लिए प्रेरित थे और उन्हें सत्यजीत रे की फिल्मों के लिए लिखने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने रे या किसी अन्य बंगाली फिल्म निर्माता के लिए कोई पटकथा नहीं लिखी थी। वास्तव में उनका मानना था कि हिंदी फिल्मों में उनका उज्ज्वल भविष्य होगा और वह सही थे। उन्होंने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मोहन सहगल के लिए उनकी पहली पटकथा लिखी, जिन्होंने 1958 में नरगिस के साथ एक फिल्म बनाई थी। और 1958 से 2000 तक, सचिनदा एक के बाद एक बड़ी हिट्स का मंथन करते रहे और वे हृषिकेश मुखर्जी, नासिर हुसैन, प्रमोद चक्रवर्ती, भप्पी सोनी और सुभाष घई जैसे निर्देशकों के परमानेंट स्क्रीनप्ले राइटर थे, सुभाष घई जिनके लिए उन्होंने अपनी आखरी दो फिल्में “किसना” और “ताल” लिखीं थी, घई सचिनदा से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सचिनदा के साथ एक विशिष्ट लेखक विभाग (एक्सक्लूसिव व्रितेर्स डिपार्टमेंट) भी शुरू कर दिया जिसके हेड सचिनदा थे (मेरी बेटी स्वाति इस विभाग का हिस्सा बन कर भाग्यशाली रही थी जिसमें कमलेश पांडे जैसे प्रमुख लेखक थे) और सचिनदा ने स्वाति में पर्सनल इंटरेस्ट लिया था और उसे बताया था कि वह एक लेखक के रूप में खुद को बनाएगी और यह सचिनदा द्वारा स्वाति के लिए की गई उनकी भविष्यवाणी की तरह था। स्वाति जो अब एक लेखक, एक निर्देशक, एक संपादक हैं और एक वेब फिल्म का निर्देशक कर चुकी है जिसे उसने अमेरिका में बनाया है और अब वह मुंबई की एक कंटेंट कंपनी की क्रिएटिव हेड है। यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि एक लेखक अपने करियर के 40 वर्षों के दौरान 94 बड़ी हिट फिल्मों की पटकथा लिख सकता है। सत्यजीत रे जैसे निर्माताओं के लिए सार्थक फिल्में लिखना उनका सपना था, लेकिन वह हिंदी में फिल्में लिखने में इतने व्यस्त थे कि वे अपने इस सपने को पूरा नहीं कर सके। एक असामान्य लेखक के जीवन की पूरी पटकथा लिखना मेरा सपना था, लेकिन मुझे अभी भी नहीं पता कि मैं उस पटकथा को क्यों नहीं लिख सका, लेकिन मुझे अभी भी उम्मीद है कि भले ही वह दस साल पहले इस दुनिया को छोड़ चुके हो। और संयोग से सचिन ने अपनी एकमात्र फिल्म राजा रानी को तत्कालीन सुपरस्टार राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर के साथ निर्देशित किया था और यह फिल्म भी हिट रही थी। कोई आश्चर्य नहीं कि दिलीप कुमार जैसे दिग्गज ने उन्हें एक हिट मशीन जो कभी भी ऑर्डर से बाहर नहीं गई है। ऐसे तो मैंने बहुत लेखक देखे है, लेकिन सचिनदा शायद वो पहले लेखक है जो लिखते नहीं थे जब कि उनके पास कलम का एक भंडार था। अनु- छवि शर्मा #ali peter john #Sachin bhaumik हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article