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 शुक्रगुज़ार हूँ मैं हर गुलाब का - अली पीटर जॉन

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By Mayapuri Desk
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 शुक्रगुज़ार हूँ मैं हर गुलाब का - अली पीटर जॉन

शुक्रगुज़ार हूँ मैं हर गुलाब का

मैंने अपना पूरा जीवन उन लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करने में बिताया है जिन्होंने मेरा या विश्व का भला किया है।

लेकिन यह केवल वह सुबह थी जब दुनिया ने मुझे याद दिलाया कि यह ‘रोज डे’ का दिन था, मुझे एहसास हुआ कि यह एक ‘पॉवर’ थी जिसका मुझे सबसे अधिक आभारी होना चाहिए था और दुनिया को भी गुलाब के प्रति आभारी होना चाहिए था।

 शुक्रगुज़ार हूँ मैं हर गुलाब का - अली पीटर जॉन

भगवान और मनुष्य को अपने जीवन में काम करने वाले चमत्कारों के लिए गुलाब का आभारी होना चाहिए। और उन सभी भावनाओं को व्यक्त करना, जो वे (ईश्वर और मनुष्य) व्यक्त नहीं कर सकते थे।

गुलाब मनुष्य के जीवन का एक हिस्सा रहा है पैदा होने से लेकर इन्सान के मरने तक।

गुलाब पालने में बच्चे के साथ रहा है, नवविवाहित जोड़े के साथ रहा है, खुशी के समय और दुःख में साथ रहा है और यहां तक कि मनुष्य के सबसे कठिन क्षणों में भी उसके साथ होता हैं।

गुलाब माता-पिता के लिए अपने प्यार का इजहार करने वाले बच्चे के लिए सबसे खूबसूरत माध्यम रहा है, बहनों के लिए भी यह दिखाने का जरिया है गुलाब कि वह अपने भाई से कितना प्यार करती है, सभी गुलाबों में से अधिकांश हमेशा प्रेमियों के लिए एक दूसरे के प्रति अपने प्यार को व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका रहे है।

अगर कभी भी गुलाब या गुलाब का गुलदस्ता या गुलाब का बगीचा जैसी चीजे इस दुनिया में नहीं होती तो कवि, चित्रकार और अन्य कलाकार क्या करते।

 भगवान की पूजा गुलाब या गुलाब की माला के बिना कभी पूरी नहीं होती हैं।

 शुक्रगुज़ार हूँ मैं हर गुलाब का - अली पीटर जॉन

क्या आप बिना गुलाब के किसी भी उत्सव के बारे में सोच या उसकी कल्पना तक कर सकते हैं?

क्या पोप (च्वचम), चर्च, मंदिर या मस्जिद या पूजा के किसी अन्य स्थान पर गुलाबों के बिना पूजा हो सकती हैं?

अगर इसे सुंदर दिखाने के लिए गुलाब ही न हों तो क्या यूनिवर्स का कोई भी हिस्सा पहले की तरह दिख सकता है?

जीवन में गुलाब हैं तो कांटे भी हैं, लेकिन कांटे वास्तव में कोई मायने नहीं रखते अगर हमारे पास गुलाब है तो।

गुलाब एक ऐसा आशीर्वाद है, जो हमेशा साथ रहता है और अंतिम संस्कार में भी  साथ होता है।

और जो चीज मुझे गुलाब से सबसे ज्यादा पसंद आती है, वह है दूसरों की भलाई के लिए जीने और मरने की उसकी अनोखी क्षमता।

कई साल पहले भगवान के सभी स्वर्गदूतों (ऐन्जलस) ने एक साथ मिलकर भगवान से पूछा कि उनकी सबसे शानदार रचना कौन सी थी और भगवान ने पलक झपकाए बिना कहा, “गुलाब, गुलाब, गुलाब” और सभी ऐन्जलस यह सुन एक पल के लिए जेलस होते दिखे, लेकिन फिर उन्होंने एक गुलाब को देखा और महसूस किया कि भगवान ने कितना सही कहा है।

हालांकि गुलाब मुझे केवल तब बहुत दुखी लगते हैं, जब वे एक राजनीतिक समारोह का हिस्सा बनते हैं जहा उन्हें गन्दी खराब आत्माओं वाले भ्रष्ट नेताओं की गर्दन में माला में पिरो के पहनाया जाता हैं। और तब भी जब उन्हें नकली गॉडमैन और संतों के गालो में डाला जाता हैं।

गुलाब लाल रंग का है जिसे मैं क्रांति का रंग मानता हूं और मुझे उम्मीद है कि विद्रोह में इस्तेमाल होने के बाद जिस गुलाब का शोषण किया जाता है या कुचल दिया जाता है या फेंक दिया जाता है वह दिखाता है कि कैसे दुनिया, प्रकृति, तत्व, चंद्रमा, सूरज, तारे और स्वर्ग और पृथ्वी को बनाने वाली हर चीज काफी नहीं हो सकती थी अगर गुलाब ही नहीं होते।

मेरे अंदर एक सवाल है कि हर दिन ‘रोज डे’ क्यू नहीं? मैं पूछता हूं कि हर दिन उस गुलाब पर निर्भर क्यों नहीं होता है जो दुनिया में सुंदरता लाने के लिए पैदा हुआ है और अंत में मनुष्य के प्रति मनुष्य की अमानवीयता का शिकार तक हो जाता है और यहां तक कि एक नाजुक सा गुलाब भी।

और, तुम पियारे गुलाब, मैंने कभी भी इतना दुखी और बुरा महसूस नहीं किया है जब मैं आपको और आपके परिवार के बाकि सदस्यों को एक गरीब छोटी लड़कियों और उनकी माताओं के हाथों में एक कार से दूसरी कार के पास लेजाते देखता हूं जो अपनी भावनाओं को खो चुके हैं, अपनी दाल रोटी पैसे कमाने के लिए आपको और आपके परिवार के सदस्यों को कुछ रुपए में बेचने की कोशिश करते हैं। क्या आप उस भगवान से नहीं पूछ सकते हैं जिसने आपको फुटपाथ के इन गुलाबों (लोंगों) की मदद करने के लिए बनाया है क्योंकि जिस दिन ये गुलाब खिले जाएगे वह वो दिन होगा जब भगवान और मनुष्य के पास आपके साथ उत्सव मनाने का एक वास्तविक कारण होगा और जैसा कि आप जानते हैं कि न तो भगवान और न ही मनुष्य आपके बिना कोई उत्सव मना सकता है, मेरा प्यारे गुलाब।

इसलिए मैं आपका ईश्वर और मनुष्य और उन सभी लोगों की ओर से फिर से धन्यवाद करता हूं जिनके जीवन में आपने अपनी सुंदरता और अपनी खुशबू के साथ अपना आशीर्वाद दिया है।

 गुलाब एक सर्वश्रेष्ठ कवि हैं, लेखक हैं, शिक्षक हैं और फिलासफर हैं

गुलाबों ने सितारों के उत्थान और पतन को भी देखा है, लेकिन सबसे यादगार कहानी जो उन्होंने देखी है, वह पहले और एकमात्र वास्तविक सुपरस्टार राजेश खन्ना की अविस्मरणीय (अन्फर्गेटबल) कहानी है।

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उनके करियर की पहली तीन फिल्मों ‘आखिरी खत’, ‘राज’ और ‘बहारों के  सपने’ के दौरान उन्हें कोई गुलाब नहीं दिया गया था, लेकिन फिर उनकी फिल्म ‘आराधना’ आईं और इसके बाद उनके रास्ते में गुलाब छा गए उन्हें कई गुलाब दिए गए, और उनके पास उन पर एक नजर डालने और उनकी सराहना करने तक का टाइम नहीं था और एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने उसे एक बाधा माना।

गुलाबों ने तब खुद को बहुत ह्यूमिलीऐटिड और अपमानित महसूस किया होगा, लेकिन वे सुपरस्टार को अपने स्वयं के मीठे और मौन तरीके से प्रहार करने के मौके का इंतजार कर रहा था।

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हालांकि तब सुपरस्टार ने कई वर्षों तक अपनी सफलता का आनंद लिया और इसलिए कुछ लोगों द्वारा उनके दिल के करीब जाने के लिए ट्रकों में लाए गए गुलाब भी थे क्योंकि यह गुलाब सुपरस्टार के शानदार जीवन का हिस्सा बनने जा रहे थे।

लेकिन सुपरस्टार के सुपरस्टारडम ने लंबे समय तक उनका साथ नहीं दिया और उनकी फिल्में फ्लॉप होती रहीं और क्रूर दुनिया ने फिर से यह साबित कर दिया था कि कैसे असफल और फ्लॉप होने वालों के लिए उनकी नजर में कोई सम्मान नहीं था।

उसके घर के बाहर कोई भारी भीड़ नहीं थी, वहाँ कोई लड़कियां भी नहीं थी जो उनका नाम चिल्ला रही हो या उनकी गाड़ी पर किस कर रही हो या फिर उनके लिए अपने खून से प्रेम पत्र लिख रही हो।

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और वो एंग्री रोज भी उनके पास आने बंद हो गए थे, उनके पास आने वाले गुलदस्ते की संख्या भी दिन पर दिन घटती रही और वह अब काफी चिंतित थे और सोच रहे थे कि वे सभी गुलाब कहाँ गए जो उन्हें दिए जाते थे, वह भूल गए थे कि कैसे वह तब उन गुलाबों के प्रति क्रूर, लापरवाह और निर्दयी थे जब वह एक ऐसी दुनिया में रहते थे जहां केवल वह ही मायने रखते थे और बाकी दुनिया उनके लिए कुछ भी नहीं थी।

गुलाब लगातार आहतों की वह मुस्कुराहट के साथ मुस्कुराता रहा और ताली बजाता रहा और हर बार ठोकर खाकर लडखडा कर गिर पड़ा।

और गुलाब ने उनके पास आने पूरी तरह से बंद हो गए और उन्होंने अंततः उस के आगे हार मान ली, जैसे पूरी दुनिया मान लेती हैं, जब वह अपने जीवन के आखरी पालो में होते हैं।

और अंत में, उनके जन्मदिन पर भी उनके पास कोई गुलाब नहीं था और वह रोया जब उसने देखा कि कैसे इंसान और गुलाब दोनों उसे भूल गए थे, मैं उसके जन्मदिन पर उसके साथ था जब वह बिल्कुल अकेला था और शराब पीता रहा और प्लास्टिक के गुलाब की टोकरी को देखता रहा और पीता रहा और रोता रहा और मैंने सोचा कि उसके जीवन के पहले इस एकाकी (लोनली) जन्मदिन पर उनके मन में क्या विचार आ रहे होंगे।

गुलाब उनके पास वापस आ गया था लेकिन केवल उनके ताबूत और ट्रक को सजाने के लिए जिसमे उनके शरीर को शमशान तक पहुंचाया जाना था जहां सब कुछ और सब खत्म हो जाता हैं।

अनु- छवि शर्मा
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