‘‘ताशेर देश’ ’जैसी पुरस्कृत बांगला फिल्म से करियर की शुरूआत करने वाली अदाकारा सयानी गुप्ता की पहचान फिल्म ‘‘मार्गरीटाःविद स्ट्रॉ’ ’में खानुम नामक गे किरदार निभाने के बाद बनी उसके बाद से वह ‘फैन’,‘जॉली एलएलबी 2’, ‘पार्च्ड’, ‘बार बार देखो’व ‘जग्गा जासूस’ सहित कई दूसरी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। इन दिनों वह वेब सीरीज‘‘इनसाइड एज’’ में नजर आ रही हैं.तो वहीं वह बहुत जल्द फिल्म ‘‘फुकरे रिटर्न’’ के अलावा दो अंतरराष्ट्रीय फिल्में ‘‘द हंग्री’’ और ‘‘डार्कनेस विजिबल’’ कर रही हैं. फिल्म ‘‘द हंग्री’’ का विश्व प्रीमियर ‘‘टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में होने वाला है।
अपनी बैकग्राउंड बताइए?
मैं कलकत्ता से हूं.जब मैं एक साल आठ माह की थी, तभी से मेरे माता पिता ने मुझे परफॉर्मिंग आर्ट्स और डांस स्कूल में प्रवेश दिला दिया था। मेरे पापा कमल गुप्ता गीतकार, गायक व संगीतकार थे, वह ऑल इंडिया रेडियो में कार्यरत थे। वह भारत के पहले थिएटर ग्रुप ‘बहुरूपी’ से जुड़े हुए थे। मेरी मम्मी मैत्रेयी वीएसएनएल में काम करती थीं, दो साल पहले रिटायर हो चुकी हैं। उन्हे इन कामों में रूचि नहीं थी.वह नहीं चाहती थी कि मैं अभिनय के क्षेत्र से जुड़ी जबकि मेरे पापा मुझे डांसर के साथ साथ अभिनेत्री बनाना चाहते थे.तो मैं अपने पापा के सपनों को जी रही हॅूं.मैं बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी.इसकी वजह मुझे खुद नहीं पता है।
आपके करियर में क्या उथल पुथल रही?
उथल पुथल नही हुई.बल्कि पिछले तीन वर्ष के अंतराल में मेरे करियर में काफी रचनात्मकता रही काफी बेहतरीन काम मैंने किए। ‘फैन’, ‘जॉली एलएलबी 2’,‘पार्च्ड’,‘बार बार देखो’ व ‘जग्गा जासूस’ के अलावा मेरी कई फिल्में आ चुकी हैं.फिलहाल फिल्म ‘‘फुकरे रिटर्न’ के अलावा वेब सीरीज ‘इन साइड’ कर रही हूं. दो ब्रिटिश फिल्में की। कुछ शॉर्ट फिल्में कीं। मैंने अच्छे निर्देशकों के साथ अच्छी फिल्में की.कुछ फिल्में काफी सफल रहीं, कुछ नहीं रहीं.लेकिन ईश्वर की अनुकंपा से हर फिल्म में मेरे अभिनय को सराहा गया।
अब तक आपने जो फिल्में की,उनमें से किस फिल्म से संतुष्टि मिली?
मुझे हर फिल्म से कलाकार के तौर पर प्रशंसा मिली.मगर रचनात्मक संतुष्टि मुझे फिल्म ‘‘मार्गरीटा..’’से मिली.इस फिल्म में काफी काम करना पड़ा था.इसी तरह फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ में भी मिला। शाहरुख खान के साथ कमर्शियल फिल्म ‘‘फैन’ करने में मजा आया.पर रचनात्मक संतुष्टि के हिसाब से इस फिल्म से कुछ नहीं मिला.पर शाहरुख खान के साथ फिल्म थी, इसलिए की.‘‘जॉली एलएल बी 2’ करने से मैंने तीन बार मना किया.पर मेरे दोस्त मानव कौल और फिल्म के निर्देशक सुभाष कपूर चाहते थे कि मैं यह फिल्म करुं,तो मैने यह फिल्म की.तब मैंने दुबारा पटकथा पढ़ी,अपने किरदार हीना के दृश्य पढ़े.अंततः यह फिल्म की. मैं काफी चूजी हूं.इन दिनों वेब सीरीज का क्रेज है.मैंने एक वेब सीरीज ‘इन साइड एज’ कर ली है.पर ज्यादा वेब सीरीज कम कर रही हॅूं. हिंदी फिल्म ‘‘फुकरे रिटर्न’ के अलावा दो इंटरनेशल फिल्में की हैं।
आपने लीना यादव निर्देशित फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ की थी?इससे आपको क्या फायदा हुआ?
मैं इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहती थी.यह औरतां की फिल्म है.छोटे शहरों व कस्बां में जैसा औरतां के साथ होता है,जिस तरह से मर्द अपनी दुनिया चलाते हैं, उसका सटीक चित्रण है.यह फिल्म हमारे समाज का प्रतिबिंब है.मैने इसमें चम्पा का किरदार निभया है. दो दृश्य होते हुए भी यह अपना प्रभाव छोड़ती है.मुझे काफी सराहना मिली।
पर इस तरह की महिला उत्थान की बात करने वाली फिल्म में सेक्स भरकर फिल्म का स्तर नहीं गिराया जाता?
जी नही.सेक्स तो हम सभी की जिंदगी का अहम हिस्सा है.हमारे देश में जो कुछ होता है,वही दिखाया है.बचपन में शादी होना,बचपन में ही पति का मर जाना,फिर औरतें पूरी जिंदगी बिना इंटीमसी या लगाव के बिता देती हैं.पति नपुंसक है,पर वह शराब में धुत होकर अपनी पत्नी को पीटता है और पत्नी पर बांझ होने का आरोप लगाता है.तो जो कड़वा सच है, वही दिखाया है.मैं नहीं मानती कि यह सारे मुद्दे सेक्स दृश्य को दिखाने से दब गए।
आप एक फिल्म‘‘फुकरे रिटर्न’कर रही हैं?
हॉ! ‘फुकरे रिटर्न’की है.यह ‘फुकरे’ की सिक्वअल फिल्म है.पर इसके किरदार पर रोशनी डालना मुश्किल है.यह फिल्म दिसंबर में रिलीज होगी.इस पर हमें बात करने की अभी इजाजत नही है.इसका निर्माण रितेश सिद्धवानी की ही कंपनी‘एक्सेल इंटरटेनमेंट’ने किया है।
वेब सीरीज ‘‘इनसाइड एज’’ को लेकर क कहेंगी?
दस एपीसोड का सीरीज है.एक घंटे का हर एपीसोड है.यह मौलिक शो है.यह सीरीज क्रिकेट लीग पर है.क्रिकेट की दुनिया पर काफी रोचक सीरीज है.यह अमॅाजॉन पर आ रही है और पूरे विश्व के 200 देशो में दिखायी जा रही है.पहला एपीसोड काफी पसंद किया गया.इस सीरीज में क्रिकेट के मैदान पर जो कुछ होता है,उसके इतर काफी डार्क चीजें होती हैं.उसका चित्रण है.ग्रीन रूम में क्या होता है,वह भी चित्रित किया गया है.हमारे देश में लोग क्रिकेट के दीवाने हैं.तो उन्हे सच पता चलना चाहिए कि क्रिकेट में ‘ग्रे’क्या है.इसके दो एपीसोड आ चुके हैं.अच्दा रिस्पांस मिला है।
इसमें आपका अपना किरदार क्या है?
-मैं एक क्रिकेट टीम की एनालिस्ट हूं.टीम में किसे रखा जाए,कौन सा क्रिकेटर किस समय मैदान पर उतरेगा,यह सब मेरा किरदार तय करता है.पुरूष प्रधान इस खेल में यह औरत हर किसी पर कंट्रोल करती है.वह टीम के कैप्टन व कोच पर भी कंट्रोल रखती है.उसका एकमात्र मकसद अपनी इस टीम को बेहतर बनाना और टीम की तरफ से मैदान पर बेहतर परफार्मेंस आए.क्रिकेट उसका पैशन है.उसकी याददाश्त तेज है.वह हर मैच देखती है और उसे याद रहता है कि किसने किस तरह से गेंद फेंकी थी,किसने किस तरह से बैटिंग की थी.काफी रोचक किरदार है।
इस किरदार के लिए किस तरह की तैयारी की?
इस वेब सीरीज के निर्देशक करण अंशुमन के कहने पर मैंने ढेर सारे मैच देखे.फिर लेखक सौरभ डे और निर्देशक से मुझे काफी ज्ञान मिला.फिर मैं तकनीकी चीजें पढ़ती रहती थी.इस किरदार को निभाना मेरे लिए काफी कठिन रहा.पर इंज्वॉय किया।
पर आप कहती हैं कि आप वेब सीरीज नहीं करना चाहती.इसकी वजहें क्या है?
इसकी एकमात्र वजह यह है कि हमारे यहां ढेर सारी वेब सीरीज बन रही हैं.मगर इनकी क्वालिटी अच्छी नहीं है.पैसे भी कम हैं.पर मुझे आनंद तिवारी की वेब सीरीज‘बैंड बाजा बारात’पसंद आयी थी.बिना पैसे के अच्छी क्वालिटी की वेब सीरीज नही बन सकती.कुछ भी बनाकर यूट्यूब पर डाल दो,इस सोच से उबरने की जरुरत है.पर जब कोई अच्छी वेब सीरीज आएगी,तो करुंगी.‘इनसाइड एज’की है.मैं हर माह कम से कम दस वेब सीरीज मना कर रही हॅूं।
निजी जिंदगी में आप क्रिकेट की कितनी शौकीन हैं?
-बचपन में मैं क्रिकेट मैच काफी देखती थी.पर जब से ‘ट्वेंटी ट्वेंटी’ आया है,तब से बहुत कम देखती हॅूं।
मानव कौल के साथ फिल्म ‘‘तथागत’’कर रही थी?
अब नहीं बनेगी.आधी से ज्यादा बनी पड़ी है.पर मानव कौल के पास वक्त नही है,वह बहुत व्यस्त है.अब यह फिल्म न बने,तो ही ठीक है।
आप हॉलीवुड की कौन सी फिल्में कर रही हैं?
-मैं हॉलीवुड फिल्म नहीं कहती.यह इंडो ब्रिटिश फिल्म है.एक है’‘‘हंग्री’,जो कि शेक्सपिअर के नाटक एडॉप्टेशन है.इसमें हिंसात्मक ड्रामा है.यह मेरी अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है.इसमें मेर साथ नसिरूद्दीन शाह, टिस्का चोपड़ा, नीरज कावी, सूरज शर्मा भी हैं.इस फिल्म में मैने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है,जो कि अति अमीर परिवार से ताल्लुक रखती है.पर बिगड़ी हुई औलाद नही है.इस फिल्म में मेरे किरदार के पिता के किरदार में नसिरूद्दीन शाह हैं।
दूसरी इंडो ब्रिटिश फिल्म है- ‘‘डार्कनेस विजिबल..’’, यह एक हॉरर फिल्म है.इसे हमने कलकत्ता में फिल्माया है.इसमें मैने फांरेंसिक लेबोरेटरी में कार्यरूरत फॉरेंसिक इंवेस्टीगेटर का किरदार निभाया है।
नसीरूद्दीन शाह के साथ काम करने के अनुभव क्या रहे?
नसीरूद्दीन शाह से मेरे काफी अच्छे दोस्ताना संबंध हैं.वह मुझे ‘पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट’में पढ़ाते थे.उनसे एक रैपो बना हुआ है।
किस तरह की फिल्में करना है?
एक ही तरह की फिल्में नहीं करना चाहती. खुद को दोहराना नहीं चाहती.हर फिल्म में कुछ अलग करने का प्रयास कर रही हूं.आप मेरे अब तक के किरदारों पर गौर करें,तो सभी किरदार एक दूसरे से बहुत अलग नजर आएंगे.मैं उन किरदारां को नहीं करना चाहती, जिन्हे करना मेरे लिए बहुत आसान हो.मैं हर बार नई चुनौती स्वीकार करती हूं.
बांगला फिल्में नहीं कर रही?
कुछ आफर आए हैं.पर कलाकार मन को उत्साहित करने वाला कोई आफर नहीं आया।