‘सिन्दूर खेला’ एक अच्छा विषय हो सकता है बॉलीवुड फिल्मों के लिये

author-image
By Sharad Rai
New Update
‘सिन्दूर खेला’ एक अच्छा विषय हो सकता है  बॉलीवुड फिल्मों के लिये

डिजिटल प्लेट फॉर्म पर एक कैम्पेन चल रहा है। सिन्दूर खेला का। इस #noConditionsApply कैम्पेन को 2 करोड़ व्यूज मिले हैं और हजारों की संख्या में डबल हॉट सिन्दूर लगाई महिलाओं की तस्वीर ने इशारा किया है वोमेनहूड की एकता से होने वाले बदलाव का। दूर्गापूजा के अवसर पर दशवे दिन मां के विसर्जन के लिये बंगाली-स्त्रियां इक्ट्ठी होकर ‘सिन्दूर खेला’ में भाग लेती हैं- कुछ कुछ हिन्दुओं के त्योहार होली की तरह। विद्या बालन और बंगाली फिल्मों की तारिकाएं- गार्गी राय चौधरी, रितूपर्णासेन गुप्ता और मानाबी बांधोपाध्याय जैसी महिलाएं इस कैम्पेन के साथ हैं। इस कैम्पेन की थीम है कि हर दिशा में महिलाओं की उन्नति के लिये जागरूकता बढ रही है ऐसे में महिलाओं के लिये बने ट्रेडिशन उनकी एकता के लिये भी कुछ काम होने चाहिए। सिन्दूर खेला करीब 400 साल पुरानी परंम्परा है। यह एक रोचक विषय हो सकता है बॉलीवुड फिल्मों के लिए। पिछले साल इस कैम्पेन को शुरूआत देने वालों में विद्या बाल और स्ळठज्फप्। एक्टिविक्ट लक्ष्मी नारायण मुख्य थे। तब विद्या बालन ने कहा था। स्त्री के लिये शिक्षा के व्यसाय में और समाज में अधिकार दिये जाने की बात वर्षो से कही जा रही है, लेकिन अभी भी उनके ट्रेडिशन की बात रूकी हुई है। यह जरूरी है कि स्त्रियां एकजुट होकर अपने लिये सोचें। इस सिन्दूर खेला में हर स्त्री भाग लेती हैं। शादी शुदा हों, कुंआरी हों (उनको गाल पर सिन्दूर का टीका लगा देती हैं) किसी भी जाति की हों, गरीब हों- अमीर हों, ट्रांसजेंडर हो, सभी एक बराबर होती हैं और परंपरानुसार मां दुर्गा को तैयार कर उनको विदा करती हैं। बॉलीवुड में भी दुगोत्सव के पांडलों में यह आयोजन हर साल होता है, जिसमें बॉलीवुड की बंगाली तारिकाएं मुंबई में होती हैं तो जरूर शामिल होती हैं। राखी, शर्मिला टैगोर, तनूजा, बिपाशा बासु... आदि। तो इन पांडालों में जरूर पहुचती है और कहती हैं वे अपने ट्रेडिशन के साथ हैं। काजोल, रानी मुखर्जी तो अपने परिवार के द्वारा आयोजित दुर्गोत्सव में भाग लेती हैं, जहां जगह की कभी पड़ती थी, इस साल आयोजन और बड़ी जगह में करने की तैयारी चल रही है ताकि ‘सिन्दूर खेला’ का लुत्फ अच्छी तरह उठाया जा सके। सचमुच बॉलीवुड फिल्म- मेकरो के लिए ‘ट्रेडिशन की रक्षा’ एक अच्छा विषय हो सकता है, जिसमें सिन्दूर खेला का आकर्षण है, धाक की बिट्स है और खूबसूरती का अंदाज भी!

Latest Stories