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INTERVIEW: माँ के इमोशंस मेरे दिल से निकल रहे थे - श्रीदेवी

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By Mayapuri Desk
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INTERVIEW: माँ के इमोशंस मेरे दिल से निकल रहे थे - श्रीदेवी

लगभग चार वर्ष पहले सफलतम फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ से अभिनय में वापसी करने वाली श्रीदेवी अब चार वर्ष बाद रवि उध्यावर निर्देशित और बोनी कपूर निर्मित फिल्म ‘मॉम’ में शीर्ष भूमिका में नजर आने वाली हैं. तो वही उनकी बेटी जाहन्वी भी अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली हैं. ‘मॉम’ श्री देवी के लिए बहुत अहम वाली फिल्म है. यह उनके करियर की 300 वीं फिल्म है।

श्रीदेवी से हाल ही में मुलाकात होने पर हुई बातचीत इस प्रकार रही...

फिल्म इंग्लिश विंग्लिशके समय आपने कहा था कि फिल्म की पटकथा ने आपको 15 वर्ष बाद अभिनय में वापसी के लिए प्रेरित किया.अब मॉमकरने की वजह क्या रही?

एक मात्र वजह फिल्म की अच्छी पटकथा का होना रहा. मैंने कभी भी फिल्मों की संख्या गिनाने के लिए किसी भी फिल्म में अभिनय नहीं किया. मेरी पहली प्राथमिकता सदैव फिल्म की पटकथा रही। पटकथा सुनकर मैं अपने इंस्टिंक्ट के अनुसार निर्णय लेती हूँ। ‘इंग्लिश विंग्लिश’ से पहले भी मेरे पास फिल्मों के ऑफर आ रहे थे. पर मैं नहीं करना चाहती थी. पर ‘इंग्लिश विंग्लिश’ की पटकथा ने मुझे इसे करने पर बाध्य किया था. फिर जब मुझे रवि ने ‘मॉम’ की कहानी का  प्लॉट एक लाइन में सुनाया, तो  वह मेरे दिल को  छू गया. उसके बाद उन्होंने दो वर्ष तक उस पर कामकर पटकथा तैयार की. जब पटकथा सुनायी, तो यह बहुत ही इमोशनल फिल्म निकली. मैंने तुरंत हामी भरी।

 इतने गैप के बाद अभिनय करने से पहले आपको किसी तरह की तैयारी करने की जरुरत पड़ी?

नहीं!! मैं तो निर्देशक की कलाकार हूं. मैं तो निर्देशक के वीजन के सामने खुद को समर्पित कर देती हूं. इससे हर किसी की जिंदगी और काम आसान हो जाता है. पर सेट पर पहुँचने से पहले मैं पटकथा को कई बार पढ़कर जहाँ तक संभव हो सकता है, किरदार को आत्मसात करने का प्रयास करती हूं। अमूमन घर पर हर दिन मैं और बोनी जी एक दूसरे की टाँग खिंचाई करते रहते हैं। मगर फिल्म ‘मॉम’ के लिए मैंने तीन माह तक बोनी जी से बात करना बंद कर दिया था, जिससे मैं फिल्म व किरदार पर पूरा ध्यान दे सकूं।

 300 वीं फिल्म के रूप में मॉमको चुनने की खास वजह?

यह महज इत्तेफाक है कि 300 वीं फिल्म के रूप में मैंने ‘मॉम’ में अभिनय किया है, जो कि बहुत ही बेहतरीन और समसामायिक फिल्म है. इस फिल्म को लेकर मैं खुश हूं. यह हमारी होम प्रोडक्शन की फिल्म है।

 फिल्म मॉमक्या है. इसमें आपका किरदार क्या है?

यह एक पारिवारिक इमोशनल फिल्म है. इसमें पिता व बेटी का रिश्ता है. मां और बेटी का रिलेशनशिप है. तो वहीं पति और पत्नी का भी इमोशनल रिलेशन है। इन तीनों रिलेशन के इर्द गिर्द यह एक इमोशनल कहानी है. एक परिवार के अंदर रिश्तों को लेकर क्या होता है? वह सब आपको नजर आएगा. फिल्म के परिवार की जो मां है, वह कहीं न कहीं कुछ ‘मिस’ कर रही है।

 फिल्म मॉमकी तुलना रवीना टंडन की फिल्म मातृसे हो रहा है?

दोनों ही फिल्मों की कहानी एकदम अलग है. इनका एक दूसरे से कोई तुलना नही हैं. जब आप फिल्म देखेंगे, तो फर्क खुद पता चल जाएगा।

आप खुद भी दो बेटियों की मां हैं. इसलिए भी मॉमके किरदार को निभाना आपके लिए आसान रहा होगा?

बिल्कुल.. यह फिल्म माँ और बेटी के रिश्ते के साथ ही साथ पिता व पुत्री के रिश्ते की भी कहानी है। एक मां होने के नाते मेरे लिए इस किरदार को निभाना आसान रहा.माँ के इमोशंस मेरे दिल से निकल रहे थे।

 आपने फिल्म मॉमनिर्देशक के वीजन पर किस तरह यकीन किया?

एक कलाकार के तौर पर जब तक हमारा निर्देशक और फिल्म पर यकीन नहीं होगा, तब तक बेहतरीन काम करना संभव नहीं है. फिल्म ‘मॉम’ के निर्देशक रवि ने उस तरह के विश्वास को प्रेरित किया. उससे पहले मेरे पति बोनी कपूर मुझसे रवि उध्यावर की कई कमर्शियल की तारीफ कर चुके थे. मैंने भी कुछ कमर्शियल  देखे. तो उनकी प्रतिभा का आकलन भी कर चुकी थी. पिछले बीस वर्ष के अंतराल में उन्हांने काफी बेहतरीन, हाईटेक व स्टाइलिश कमर्शियल बनाए हैं. काम के प्रति उनके पैशन ने भी मुझे ‘मॉम’ के लिए प्रेरित किया।

 आपकी समसामायिक कई अभिनेत्रियाँ अपनी वापसी दर्ज नहीं करा पायी?

मैं किसी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकती. मेरी राय में हम कलाकारां को समय के साथ अपने किरदारों के चयन में बदलाव लाने की जरुरत होती है. मैंने बीस वर्ष पहले जिस तरह की फिल्में की थी, उस तरह की फिल्में अब नहीं कर सकती. अब मैं उन किरदारों को करने में सहज ही नहीं हो सकती. मै जो भी काम करुँ, उसे करते हुए मेरी बेटियों को गर्व महसूस हो।

 क्षेत्रीय सिनेमा को लेकर आपकी क्या सोच है?

क्षेत्रीय सिनेमा भी काफी अच्छा बन रहा है. मराठी और मलयालम भाषा में तो काफी बेहतरीन फिल्में बन रही हैं और सफलता बटोर रही हैं. तमिल व तेलगू सिनेमा के अपने स्टार कलाकार हैं।

सिनेमा में आए बदलाव को किस तरह से देखती हैं?

बहुत कुछ बदला है. पहले कलाकार व निर्माता के बीच कोई अनुबंध पत्र नहीं बनता था. सभी एक दूसरे पर विश्वास करके काम करते थे. पहले पूरी पटकथा हमें पहले से नहीं मिलती थी. यदि कोई निर्माता मुसीबत में है, तो हम आगे बढ़कर उसकी फिल्म पूरी करते थे. मैंने खुद इस तरह से कई फिल्में की हैं. उन दिनों हम सभी इमोशनल रूप से जुड़कर काम करते थे. अब तो हर कलाकार प्रोफेशनल हो गया है. अब हर काम समय से होता है. यह अच्छी बात है. अब वैनिटी वैन सहित कई तरह की सुविधाएं हो गयी हैं. वहीं रचनात्मक स्तर पर बेहतरीन फिल्में बनने लगी हैं।

आप डांस के साथ कॉमेडी में भी माहिर हैं. निजी जीवन में आप किसे इंज्वॉय करती हैं?

घर के अंदर लोग मुझे ‘जोकर’ कहते हैं. मैं खूब मस्ती मजाक करती हूं.जोक्स सुनाती रहती हूं. मेरा यह स्वभाव कैमरे के सामने मेरी मदद करता है. मैं मैथड एक्टिंग में यकीन करने की बजाय खुद स्पॉंन्टीनिटी में यकीन करती हूं. मैं योजना बनाने में यकीन नहीं करती. मैं प्रोफेशनल डाँसर नहीं हूं, पर मुझे डाँस का शौक रहा है।

 क्या अब आप हास्य किरदार निभाना पसंद करेगी?

आपने तो मेरे मन की बात छीन ली. मैं भी यही सोच रही थी कि यदि सब कुछ अच्छा रहा, तो मैं अगली फिल्म में कॉमेडी करूंगी।

 ‘मि.इंडियाके सीक्वल की चर्चा हो रही है?

जरुर बननी चाहिए. इस पर कुछ काम हो रहा है. पर अच्छी पटकथा तैयार होने का इंतजार है।

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