सच कहूं, तो बिहार के सभी लोग जो अपने राज्य में चुनावों को लेकर उत्साहित हैं, उन्हें याद है कि उनकी दुर्दशा क्या थी, जब उन्हें अपने घरों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ी थी, और कैसे एक आदमी जिसका नाम सोनू सूद था, उनका मसीहा बन गया और उनमें से अधिकांश लोगो को बसों, ट्रेनों और यहां तक कि विमानों से घर पहुँचाया गया था, और उन्हें भोजन, दवाइयाँ और वे सब चीजे उपलब्ध कराई गई जो उन्हें स्वस्थ और जीवित रखने के लिए आवश्यक थी।
मुझे उम्मीद थी, कि इन चुनावों में सोनू सूद अहम भूमिका निभाएंगे और यह भी माना कि वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति होगे, लेकिन यह स्पष्ट रूप से नहीं हुआ है! मुझे नहीं पता कि सोनू सूद के लिए यह सब राजनीति करना मायने रखता है या नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि जो होना है वह हो गया है और सोनू सूद ने बिहारी राजनीति से दूर रहने के लिए बहुत समझदारी से काम लिया है और सोनू सूद को सबसे अच्छी आत्मा से संतुष्ट होना चाहिए जिसके लिए वह जाने जाते है, जो बिना किसी उम्मीद के जरूरतमंदों की सेवा कर रहे है।
वह हर समय लोगों के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने केरल में लोगों के लिए एक सड़क बनाने में मदद की है और यहाँ रिकॉर्ड करने के लिए उन्होंने और भी अच्छे काम किए हैं, लेकिन एक कहानी मुझे अपने पाठकों को बतानी है।
प्रतिभा नाम की एक युवा लड़की को टीबी की बीमारी थी, और उसने अपने दोनों पैरों की सारी ताकत खो दी थी और डॉक्टरों ने उसके बचने की बहुत कम उम्मीद देखी थी, सोनू सूद को उस लड़की की हालत के बारे में पता चला और वह उसकी मदद के लिए दौडे। उन्होंने उसे करनाल के सबसे अच्छे अस्पतालों में से एक में भर्ती कराया और पूरी तरह से ठीक होने के लिए उसके पुरे इलाज का खुद निरीक्षण किया। लड़की अब अपने पैरों पर वापस आ गई है और अपने और अपने परिवार के उज्ज्वल भविष्य के सपने को पूरा करने में व्यस्त है।
धन्यवाद एक बार फिर सोनू और एक बात याद रखना की तुम जो कर रहे हो आज भी याद रहेगा और आनेवाले कई जमाने को याद रहेगा, खुदा तुम्हारी हिफाजत करे!