मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि हम भारतीय संगीत और गीतों के बिना क्या करते हैं। यह जुड़वां स्रोत हैं जो हर उत्सव के दौरान, जीवन में हर खुश और दुखद परिस्थितियों के दौरान और जीवन के अंत तक बहुत महत्व रखते हैं। और कहीं भी संगीत और गीत अधिक महत्वपूर्ण नहीं हैं, तो फिल्म में। हिंदी फिल्मों के कुछ गाने ऐसे संदेश भेजते हैं जो किताबों और कविताओं में लिखे संदेशों से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि संगीत और गीतों के बिना हिंदी फिल्म नहीं बनाई जा सकती है, लेकिन कुछ अपवाद हैं, हम उन अपवादों के बारे में फिर कभी बात करेंगे...
भारत की महिमा के बारे में कितने ही गीत लिखे गए हैं या इसे भारत कहा जाए या हिंदुस्तान। लेकिन मुझे तीन गाने मिले हैं जो भारत के लिए आशा खोजने के कारण के बारे में बात करते हैं (वो सुबह कभी तो आएगी), मैंने ऐसे गाने देखे हैं जो एक बेहतर कल (नया जमाना आएगा) की उम्मीद करते हैं, और मैंने गाने गाए हैं जो भारत की महिमा के बारे में गाते हैं। भारत (मेरे देश की धरती सोना उगले)।
मुझे और शब्दों को बर्बाद न करने दें और उन तीन गीतों के अमर शब्द दें जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं...
वो सुबह कभी तो आयेगी
वो सुबह कभी तो आएगी
इन काली सदियों के सर से
जब रात का आँचल ढलकेगा
जब दुःख के बादल पिघलेंगे
जब सुख का सागर छलकेगा
जब अंबर झूम के नाचेगा
जब धरती नग्में गाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर कर जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में हम जहर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर एक दिन तो करम फरमाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
माना के अभी तेरे मेरे अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं
इन्सानों की इज़्ज़त जब झूठे सिक्कों में ना तोली जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
नया जमाना आयेगा ...
कितने दिन आँखें तरसेंगी
कितने दिन आँखें तरसेंगी
कितने दिन यूँ दिल तरसेंगे
एक दिन बादल तो बरसेंगे
ऐ मेरे प्यासे दिल
आज नहीं तो कल महकेगी
ख्वाबों की महफ़िल
कितने दिन आँखें तरसेंगी
सुने सुने से मुरझाये से है
क्यों उम्मीदों के चेहरे
कटो के सर पे
है बँधे जायेंगे
फूलों के सेहरे
सुने सुने से
मुरझाये से है क्यों
उम्मीदों के चेहरे
कटो के सर पे है
बांधे जाएंगे
फूलों के सेहरे
नया ज़माना आएगा
नया ज़माना आएगा
कितने दिन कितने
दिन यूँ दिल तरसेंगे
एक दिन बदल तो बरसेंगे
ऑय मेरे प्यासे दिल
आज नहीं तो कल
महकेगी ख्वाबों की महफ़िल
ज़िन्दगी पे सब एक सा हक़ है
कब तक सहन करेंगे
सारी खुशियाँ सारे दर्द बराबर
हम तक सीम करेंगे
ज़िन्दगी पे सब एक सा हक़ है
कब तक सहन करेंगे
सारी खुशियाँ सारे दर्द बराबर
हम तक सीम करेंगे
नया ज़माना आएगा
नया ज़माना आएगा
कितने दिन कितने दिन यूँ दिल तरसेंगे
एक दिन बादल तो बरसेंगे
ऑय मेरे प्यासे दिल
आज नहीं तो कल
महकेगी ख्वाबों की महफ़िल
कितने दिन आँखें तरसेंगी.
मेरे देश की धरती...
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती ...
बैलों के गले में जब घुंघरू जीवन का राग सुनाते हैं
ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं
सुनके रहट की आवाज़ें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे,
मेरे देश ...
जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अंगड़ाइयाँ लेती है
क्यूँ ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोई नहीं, है सब पे है माँ उपकार तेरा,
मेरे देश ...
ये बाग़ है गौतम नानक का खिलते हैं चमन के फूल यहाँ
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरी सिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से
रंग बना बसंती भगत सिंह रंग अमन का वीर जवाहर से,
मेरे देश...
ये गीत जब बने तब मेरा देश जवान था और ये गीत आज भी जवान है जब मैं पुराना हो गया हूं और ये गीत मेरा आने वाला कल तक जवान रहेंगे.. जय हो।