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तुम्हें और क्या अर्पण करूं मैं अर्चना

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By Mayapuri Desk
तुम्हें और क्या अर्पण करूं मैं अर्चना
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मैंने अपने जीवन में कई काम किए हैं, उनमें से दुनिया वालों के मतानुसार कुछ सबसे जुनूनी चीजें भी की हैं, लेकिन मैंने जो सबसे सुखद और अनमोल चीजें की हैं, वो है प्रेम की सेवा, जो कि मेरा एकमात्र विश्वास है, कभी-कभी तो भगवान और उनकी सृष्टि से भी ज्यादा।

मेरे अनुसार, सबसे अच्छी चीजें जो मैंने की है वो है कि मैंने अपने प्रियजनों का जन्मदिन खूब मनाया। पिछले दिनों 28 अगस्त को, लॉक डाउन के दौरान जो मैंने अपनी माँ का सौंवा जन्मदिन मनाया वो मेरे जीवन का सबसे हालिया सुंदर दिन था जिसे मैंने अपने कुछ करीबी दोस्तों, कुछ फ़रिश्ते जैसे लोग और उस पादरी के साथ मनाया जिन्होंने मेरी माँ को कब्र में सुलाया था और कहा था कि मेरी माँ स्वर्ग में चली गयी है।

तुम्हें और क्या अर्पण करूं मैं अर्चना

इससे पहले ऐसा सुंदर जन्मदिन मैंने उस ज़माने में मनाया था जब मैं युवा था और गरीबी की जिंदगी जी रहा था, उन दिनों मैंने अपना पहला प्यार मॉली का जन्मदिन मनाया था। मैं आज, 55 साल बाद भी उसका जन्मदिन मनाता हूं, और अब फिर एक बार मैं एक युवा और सुंदर लड़की का जन्मदिन मना रहा हूं, मुझे कहना चाहिए, जिसने मेरे दिल को छू लिया है और जो सही मायनों में एक अद्भुत कल्पना जैसी है।

उसने मेरी पूरी ज़िंदगी बदल दी है, वो जिंदगी जिसे ऐसे समय में वाकई एक बदलाव की ज़रूरत थी, जबकि प्रेम को छोड़कर लगभग हर चीज़ से मेरा विश्वास उठ गया था। मैंने उसे 'चायोस' नामक एक कैफे में देखा था, जहाँ वह मेरे जैसे चाय पीने के शौकीनों को चाय पिला रही थी। मेरे अंदर जो महिलाओं को एडमायर करने वाली भावना है, वो उसे देख कर हर बार खुशी से नाचने लगता और मुझे आश्चर्य होता कि उसे इतना खूबसूरत बनाने वाले भगवान ने उसके साथ ऐसा गलत क्यों किया कि एक कैफ़े में बसाया? जबकि उसे वास्तव में एक ऐसी जगह पर होना चाहिए जहां प्यार, खुशी और शांति, बसती हो, जहां उसके तमाम प्रशंसक उसकी तारीफ में गीत गाते और उसके बारे में कविताएँ लिखते हों।

तुम्हें और क्या अर्पण करूं मैं अर्चना

मुझे पता था कि मैं उसके लिए वह सब कुछ कर सकता हूं जो दूसरे लोग उसके लिए नहीं करते थे। मैंने उसका सम्मान करना शुरू कर दिया, उसकी प्रशंसा करना शुरू कर दिया। मेरे मन में अभी भी स्पष्ट नहीं है कि क्या मैं उसके साथ प्यार करने लगा हूँ, और क्या मेरे जैसे 70 साल का बूढ़ा भी प्यार में पड़ सकता है?

उधर लॉकडाउन एक खलनायक की तरह मेरे जीवन में आया और उसे मुझसे दूर ले गया, लेकिन जो कोई भी शक्ति थी जिसने उसे मुझसे दूर ले जाने में अपनी जीत मान लिया होगा, वह यह नहीं जानता था कि मैंने पहले ही उसे अपने दिल में, अपनी आंखों में बंद कर लिया था, जहाँ कोई शक्ति उसे मुझसे दूर नहीं ले जा सकती थी।

तुम्हें और क्या अर्पण करूं मैं अर्चना मैंने उसके लिए अपनी भावनाओं को शब्दों में डालना शुरू कर दिया, और कुछ प्रयासों के बाद मैंने महसूस किया कि मैं एक ऐसी भाषा में कविता लिख सकता हूं जो हिंदी और उर्दू का मिश्रण है, ये भाषा मैं थोड़ी बहुत जानता तो था लेकिन अपनी भावनाओं को लिखने के लिए इतने अधिकार के साथ नहीं। उसे पढ़कर जिस तरह से मेरे कुछ दोस्तों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की और जिस तरह से मुझे प्रोत्साहन मिला उससे मैं और अधिक से अधिक तब तक लिखता रहा जबतक कि मैं अपनी लेखनियों को एक पुस्तक संकलन के रूप में बना न लिया।

इस दुनिया में यदि मैं किसी ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो इस संकलन को पुस्तक रूप में प्रकाशित करके मेरे सपने को पूरा कर सकता था तो वह है मेरा दोस्त, श्री पीके बजाज, जो न केवल सबसे वरिष्ठ और सम्मानित हिंदी फिल्म पत्रकारों में से एक हैं, बल्कि नोएडा, दिल्ली में बड़े पैमाने पर मायापुरी साम्राज्य के मालिक भी हैं। उन्होंने मुझे मेरी पांडुलिपि भेजने के लिए कहा। उसके बाद जो अगला कॉल उन्होंने मुझे किया वो ये बताने के लिए कि वो संकलन पुस्तक प्रकाशित होकर अनावरण के लिए उस दिन तैयार हो जाएगा जिस दिन मैं चाहता था, यानी 8 अक्टूबर को, जिस दिन मेरे उस ड्रीम वुमन का जन्मदिन था, जो आज मेरे जीवन का हिस्सा बन गई है।

तुम्हें और क्या अर्पण करूं मैं अर्चना

हालांकि वो संकलन पुस्तक मुझ तक पहुंचते-पहुंचते देर हो गई, इसलिए वो दिन मैं जश्न मना नहीं पाया, लेकिन वो उत्सव मैं आज मना रहा हूं। जैसा कि मैंने लिखा है, गुलदस्ते आना शुरू हो गया हैं। इस दुर्लभ अवसर पर जिन कुछ विशिष्ट अतिथियों को मैंने आमंत्रित किया था, वे मेरे बहुत पुराने मित्र, अभिनेता, हास्य कलाकार और भगवान के आदमी जॉनी लीवर हैं, मेरे वकील, सवीना सच्चर बेदी, जिनसे मैं एक साल पहले उसी कैफे में मिला था, और जो मेरे लिए हमेशा तब से स्पोर्ट का स्रोत और प्रेरणा रही है, विशेष रूप से इन लॉकडाउन दिनों के दौरान तथा कुछ अन्य लोग भी आ सकते हैं।

मैं फिर से एक बार अपने प्यार को खोने की सोच सोच कर इतना डर गया हूं कि मैं अर्चना को देखता रहता हूं कि वह चली न जाए। वह एक बहुत ही शर्मीली लड़की है जिसे इस बात की जानकारी भी नहीं कि वह कितनी खूबसूरत है और वह मेरे लिए क्या मायने रखती। देखो, मेरे दोस्त आ गए हैं, और उनके चेहरे पर मुस्कान मुझे अपने आप को खुश और हर्षित महसूस करा रही है, मानो यह मेरा अपना जन्मदिन हो। मुझे आशा है कि अर्चना के जन्मदिन का मेरा ये जश्न उसे यह एहसास दिलाएगी कि वह एक चाय की दुकान में काम करने के लिए नहीं पैदा हुई है, जहाँ उसे ग्राहकों से छूट और अन्य चीजों के बारे में निर्णय लेने की विनती करनी पड़ती है, जिनका मेरे लिए कोई मतलब नहीं है क्योंकि केवल एक चीज जो मेरे लिए मायने रखती है, वह है अर्चना और उसका भविष्य, जो मुझे पता है कि मेरे साथ नहीं है, और मेरे साथ नहीं हो सकती है, लेकिन मेरा जीवन भी उसके प्रति मेरे सम्मान के बिना नहीं हो सकती है।

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