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‘वीर हुमायूं बंधु बना था... राखी का पत राखी है’

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By Mayapuri Desk
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‘वीर हुमायूं बंधु बना था...  राखी का पत राखी है’

रक्षा बंधन का पर्व है और इस पर्व के लिए इससे बड़ा उदाहरण शायद ही मिले कि चित्तौड़ की महारानी कर्णावती (कर्मवती) ने ‘राखी’ बांधकर कैसे मुस्लिम शासक हुमायूं को भाई बनाया था और राखी के धागों की ताकत ने कैसे शेरशाह सूरी से राजपूतानी की आन बचाई थी। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ में इस लाइन का जिक्र है या नहीं, पता नहीं। हम अपने पाठकों को युद्ध की विभिषिका में घिरे विश्व के भाईचारे को गांठने के लिए ही यह लाइन लिख रहे हैं- ‘‘वीर हुमायूं बंधु बना था विश्व आज भी साक्षी है।

बॉर्डर पर सेना तैनात है। चीन और पाकिस्तान भेड़िये की तरह हमारे सीमांत सिपाहियों पर नजर गड़ाये हुए हैं! ऐसे में, किसी कर्णावती को कहीं और गुहार के लिए नहीं जाना है। बस, अपनी आन-बान-शान की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात सैनिक भाईयों तक अपनी राखी जरूर पहुंचाएं, हम यही गुहार करते हैं। वैसे भी राखी का महत्व फिल्म वालों से ज्यादा कौन समझता है। ये फिल्में ही हैं जो रक्षा बंधन के दिन सुबह-सुबह अपने गानों से हमें ओतप्रोत कर देती हैं- ‘भईया मेरे राखी के बंधन को निभाना...’ (‘छोटी बहन’), ‘बहना ने भाई की कलाई से...’ (‘रेशम की डोरी’), ‘फूलों का तारों का सबका कहना है...’ (‘हरे राम हरे कृष्ण’) , ‘देख सकता हूं मैं कुछ भी होते हुए...’ (‘मजबूर’), ‘मेरे भैया मेरे चंदा मेरे...’ (‘काजल’) ‘हम बहनों के लिए...’ (‘अंजाना’) वगैरह वगैरह। फिल्मों में राखी के गीतों की लम्बी फेहरिस्त है- जिसे सुनकर कठोर से कठोर भाई भी बहन के स्नेह से अश्रुपूरित हो उठता है। फिल्म इंडस्ट्री में जहां रोमांस का परचम लहराता है वहां बहन-भाई का रिश्ता कितना प्रगाढ़ होता है, इसको बताने के लिए एक ही उदाहरण काफी है सलमान अर्पिता शर्मा का। इस इंडस्ट्री में बनाये गये भाई बहन के रिश्तों को सगे रिश्तों से ज्यादा महत्व दिया जाता है। तो, क्यों न इस साल की राखी सैनिक भाईयों को समर्पित कर दी जाए?
यही गुजारिश हम पर्दे से जुड़ी बहनों से भी करेंगे। प्रियंका चोपड़ा (भाई सिद्धार्थ), श्रद्धा कपूर (भाई सिद्धान्त), सोहा अली (भाई सैफ), एकता कपूर (भाई तुषार कपूर), कृष्णा श्रॉफ (भाई टाइगर श्रॉफ), अनुष्का शर्मा...इन बहनों को चाहिए जैसे एक राखी अपने भाई को बांधती हैं, वैसे ही एक राखी बॉर्डर पर तैनात सैनिक-भाईयों को भी भेजें। तभी सार्थक होगा आज के परिवेश में ‘रक्षा बंधन’ का सही अर्थ!

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