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कल की कंगना और आज की कंगना में इतना जबरदस्त फर्क कयों है, भाइयो बहनों

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By Mayapuri Desk
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कल की कंगना और आज की कंगना में इतना जबरदस्त फर्क कयों है, भाइयो बहनों

यह केवल दो साल पहले या उसके आस-पास का समय था जब मैं कंगना रनौत के महान प्रशंसकों में से एक था जो हिमाचल से मुंबई आई थी और उन्होंने दुनिया के सामने यह साबित किया कि वह कितनी शानदार अभिनेत्री थी और हैं। उन्होंने सचमुच लाखों दिलों पर कब्जा कर लिया था और यहां तक कि लाखों लोगों के मन पर भी जो उनकी हुक लाइन और उनके बेबाकी के दीवाने हो गए थे। ‘फैशन’ जैसी फिल्मों में उनके निर्दोष और आकर्षक प्रदर्शन से उन्होंने इंडस्ट्री को आड़े हाथों लिया, जिसके बाद उन्होंने ‘तनु वेड्स मनु’ और उसके सीक्वल के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और ‘क्वीन’ में अपने सभी प्राकृतिक और बहुत पसंद किए गए प्रदर्शन से खुद को टॉप पर पहुंचा दिया इन फिल्मों के साथ उन्होंने साबित किया, कि वह लाखों लोगों के दिलों को जीतने के काबिल थी और अधिक महत्वकांक्षी थीं। -

अली पीटर जॉन

कल की कंगना और आज की कंगना में इतना जबरदस्त फर्क कयों है, भाइयो बहनों

मैं एक फिल्मकार के रूप में अपने पूरे जीवन में उनकी प्रशंसा करना बंद नहीं कर सका और साथ ही मैंने उनके लिए बहुत उज्ज्वल भविष्य को देखा था। मैं उस अभिनेत्री का लगभग एक डाई हार्ड फेन बन गया था, जो कभी यारी रोड पर मेरी पड़ोसी हुआ करती थी। जब मैंने ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘क्वीन’ जैसी फिल्मों को 24 कैरेट के मल्टीप्लेक्स में अनगिनत बार देखा, जहां मैंने  ‘क्वीन’ को एक सप्ताह के सातों दिनों में लगातार देखा, तो मैं खुद आश्चर्यचकित रह गया था। और आप मानो या न मानो, उनकी प्रतिभा और सुंदरता ने मुझे पूरी तरह से उनका दीवाना बना दिया था और मैं उनके बारे में उन लड़की से ज्यादा सोच रहा था जिनसे मैंने अपने पूरे जीवन में प्यार किया था, जिन्हें मैंने उच्च सम्मान भी दिया था।

मणिकर्णिका  द क्वीन ऑफ झांसी’ में कंगना को देखने के लिए मेरे पास अन्य अवसर थे, जिसमें उन्होंने झांसी की रानी की भूमिका निभाने की हिम्मत और काबिलियत को दिखाया था। मैं उस समय 70 के करीब था लेकिन मैं अपने युवा मित्र जो कि कंगना का प्रशंसक भी था, की फोटो खींचने के लिए ‘मणिकर्णिका’ के रूप में उसके साथ एक स्टैंड के पास खड़े होने में संकोच नहीं दिखाया था। मुझे नहीं पता था कि मैंने लोखंडवाला में इन्फिनिटी के प्रवेश द्वार पर जो किया, वह सही था या गलत था, लेकिन मैंने वही किया जो मेरे दिल ने कंगना की सरासर प्रतिभा के संबंध में मुझे करने को कहा था। कंगना के लिए मेरे दिल में उनकी प्रशंसा फिल्म ‘पंगा’ में उनके प्रदर्शन के साथ और बढ़ी। और अब देखिए कि कंगना ने ‘मणिकर्णिका’ और ‘पंगा’ दोनों ही फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए कैसे राष्ट्रीय पुरस्कार जीता हैं।

अगर कंगना वही कंगना होती, जिसकी मैं बहुत प्रशंसा करता था, तो मैं एक बेहतर और बड़ा प्रशंसक होता, जैसे मैं वहीदा रहमान, नूतन और दीपिका पादुकोण जैसी महान अभिनेत्रियों का प्रशंसक रहा हूं, लेकिन अफसोस वह अब पहले वाली कंगना नहीं रही हैं।

 अभिनेत्री कंगना के साथ कुछ गलत नहीं हुआ था, लेकिन कंगना को अपने साथ सब कुछ गलत लग रहा था।

कल की कंगना और आज की कंगना में इतना जबरदस्त फर्क कयों है, भाइयो बहनोंयह सब ऋतिक रोशन, अजय देवगन और अध्यन सुमन जैसे उनके प्रेमियों के साथ शुरू हुआ था। और इससे पहले कि यह विवाद सुलझता, वह सुशांत सिंह राजपूत मामले में भेदभाव और भाई-भतीजावाद के आरोपों के साथ उद्योग पर हमला करने के लिए एक सामने आई। और यह विवाद तब भी थम गया था जब कंगना ने उद्धव ठाकरे सरकार को महाराष्ट्र में लिया, जब उन्होंने पहली साल्वो निकाल दिया था जब उन्होंने महाराष्ट्र में रहने की आशंका व्यक्त की थी जो उन्होंने कहा था कि वह पीओडब्लू लैंड में बदल गई थी। और जब वह मुंबई के पाली हिल में अपने ऑफिस लौटी तो मुंबई नगर निगम ने उनके ऑफिस को तोड़ दिया था और उन्हें वाई सुरक्षा गार्डों की सिक्यूरिटी दी गई थी। फिर उन्होंने उद्योग में अपने सहयोगियों पर व्यक्तिगत हमले शुरू किए और उन्होंने अनुभवी अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को ‘एक सॉफ्ट पोर्न स्टार’ कहा और उनका जहर उगलना यही नहीं रुका (भगवान ही जानता है कि किसने उसमें इतना जहर दिया था) और फिर उन्होंने हड़ताली किसानों खालिस्तानियों को आतंकवादी कहा। उन्होंने किसानों के लिए लड़ रही एक 90 वर्षीय महिला को भी नहीं बख्शा और उसे कहा कि वह सिर्फ एक फिगर थी जिन्हें प्रति दिन सौ रुपये के हिसाब से खरीदा जाता हैं। और आई एंड बी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने कंगना का स्वागत करने के लिए अपनी अन्य सभी जिम्मेदारियों को भुला दिया, जो मंत्री को शुभकामना देने और उद्योग में भेदभाव की समान पुरानी समस्या पर चर्चा करने के लिए सबसे महंगे फूलों के साथ एक अमूल्य गुलदस्ता लेकर आई।

कंगना जी जैसी महिला के बारे में कोई यह नहीं जान सकता कि उनका अगला लक्ष्य क्या होगा या उनका अगला निशाना कौन होगा।

‘क्वीन’ के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह नरम हो गई है और मेरा इन सूत्रों पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है।कल की कंगना और आज की कंगना में इतना जबरदस्त फर्क कयों है, भाइयो बहनों

मैं केवल यह जानता हूं कि कंगना जी की तीन नई फिल्में रिलीज के लिए तैयार हैं। पहली एक हाई प्रोफाइल तमिलनाडु फिल्म है जो राजनीतिक दिग्गज मिस. जे. जयललिता की बायोपिक है। हो सकता है कि कंगनाजी ने अपने दिल और दिमाग से उस फिल्म में जान डालने का पूरा काम किया हो, जिसे दक्षिण के ए.एल.विजय ने निर्देशित किया है, जो पहले से ही उन्हें ‘भगवान’ कहना शुरू कर चुके हैं। यह उनके नए अवतार के बाद उनकी पहली रिलीज होगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि जयललिता के बड़ी संख्या में अनुयायी इसे कैसे लेते हैं। कंगनाजी के खिलाफ पहले से ही हवा चल रही है, लेकिन कंगनाजी में इस जंगली हवा से उड़ने और इसे रोकने की क्षमता है।

कंगना जी की दो अन्य फिल्में हैं, ‘धाकड़’ और ‘तेजस’ हैं, तेजस में वह एक भारतीय वायु सेना पायलट का किरदार निभा रही हैं और भावना यह है कि कंगनाजी ऐसे चरित्रों को चित्रित करने की कोशिश कर रही हैं, जो उनकी विचारधारा के अनुकूल हों, जिनमें कोई सुखद कालक्रम न हो।

और कंगनाजी ‘मणिकर्णिका’ का भी सीक्वल बनाने की योजना बना रही हैं, और इससे पहले कि फिल्म फ्लोर पर जाए, आशीष कौल नामक एक लेखक ने पहले ही यह दावा करते हुए मुकदमा दायर कर दिया है कि यह कहानी कुछ साल पहले लिखी जा चुकी है और उनपर उनकी स्क्रिप्ट की एक कॉपी है।

मैं 50 वर्षों से इस इंडस्ट्री का हिस्सा हूं और मुझे पता है कि, कुछ सितारे और अभिनेता कब, क्या और क्यों कहते हैं।

ऐसे तो मैंने बहुत सारे सितारों को अजीब अजीब रंगों के खेल खेलते हुए देखा है, लेकिन कंगनाजी का कोई जवाब नहीं, है किसी के भी पास कोई जवाब?

अनु- छवि शर्मा

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