Advertisment

स्वतंत्रता-दिवस पर ‘वंदेमातरम’ पर चर्चा क्यों ?

author-image
By Mayapuri Desk
New Update
स्वतंत्रता-दिवस पर ‘वंदेमातरम’ पर चर्चा क्यों ?

देश की आजादी का एक और शौर्य-मूल्यांकन!! लेकिन, इस अवसर पर हर वर्ष की भांति इस साल भी कुछ विवाद बनाये जाने की खबरें आयी हैं। चर्चा है ‘वंदेमातरम’ गीत गाने पर एक वर्ग विशेष के कुछ लोगों को आपत्ति है। यह वही गीत है जिसे लता मंगेशकर, बालासुब्रमण्यम, शुभा मुद्गल, कौशिकी चक्रवर्ती और ए.आर. रहमान ने अपनी आवाज देकर पर्दे पर झंकृत किया है। और, हर वर्ष जिस गीत को पूरे देश के बच्चे अपने स्कूलों में गाते आये हैं। इस राष्ट्रगीत को दक्षिण भारत के कुछ जनप्रतिनिधियों ने पहले प्रतिबंधित किए जाने की मांग की थी, अब महाराष्ट्र में कुछ विधायकों के विरोध के फलस्वरूप उनको निष्कासित किए जाने पर मांग बढ़ी है। हम अपने पाठकों को बताना चाहेंगे कि वो गीत क्या है और पर्दे की दुनिया ने उसे कैसे पॉपुलर किया है।

‘‘वंदेमातरम....’’

सुजलाम, सुफलाम, मलयज शीतलाम, सस्यश्यामलाम, मातरम, वंदे मातरम...!’’ मशहूर बंगाली रचनाकार बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने इसे सन 1870 में लिखा था। बंकिम का एक उपन्यास 1881 में प्रकाशित हुआ था ‘आनंदमठ’- जिसमें गीत ‘वंदेमातरम’ सम्मलित था, जो खूब पॉपुलर हुआ। बाद में, बंगला में फिल्म बनी ‘‘आनंदमठ’, जिसमें लताजी ने इस गीत को गाया था। गीत संस्कृत में है और उसे उसी रूप में लता मंगेशकर की आवाज ने हिन्दी में भी जन जन तक पहुंचा दिया। देश आजादी के जुनून में मतवाला था, यह गीत स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए मंत्र बन गया। पहली बार ‘वंदेमातरम’ गीत को रविन्द्र नाथ टैगोर ने नेशनल कांग्रेस की कांफ्रेन्स में पटना में गाया था। फिर बनारस की नेशनल कांफ्रेन्स में सरलादवे चौधरी (कवियत्री) ने, और बाद में काकोरी के शहीद लाला लाजपत राय ने ‘वंदेमातरम’ एक पेपर प्रकाशित करना शुरू किया था। इतना ही नहीं, मतंगनी हाजरा को जब गोली मारी गई थी, तब उनके मुख से ‘वंदेमातरम’ ही निकला था। शायद कम लोगों को पता होगा कि हमारा तिरंगा झंडा मैडम कामा ने जर्मनी में बनाया था। उस पहले तिरंगे झंडे के बीच में लिखा था- ‘वंदे मातरम’। जब देश आजाद हुआ इस गीत को राष्ट्रगीत (राष्ट्रगान ‘जनगणमन...’ के अलावा) के रूप में स्वीकार किया गया।

बेशक किसी बात को पॉपुलर करने में फिल्मों का बड़ा हाथ होता है। ‘वंदेमातरम’ वैसा ही पॉपुलर गीत है। गीत को भले ही कुछ लोग धर्म से जोड़कर देख रहे हों लेकिन, फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह राष्ट्र धर्म है। इस स्वतंत्रता दिवस पर दूसरे फिल्मी देशभक्ति के गीतों (‘ऐ मेरे वतन के लोगों...’, ‘है प्रीत जहां की रीत’, ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’, ‘मां तुझे सलाम..’ आदि) की तरह ही ‘वंदेमातरम’ को हमें सहर्ष गाना चाहिए। जय हिन्द!!

Advertisment
Latest Stories