ये जो इरानी हैं बड़ी मनमानी है ! By Mayapuri Desk 28 May 2018 | एडिट 28 May 2018 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर जबसे ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की तुलसी ने टीवी छोड़कर राजनीति में कदम रखा था, बॉलीवुड वालों में हर्ष भरी सोच थी कि कोई अपनी सत्ता के करीब पहुंची, जो जरूर अपनों का ध्यान करेगी! समय के साथ ‘तुलसी’ के शरीर और पद में विस्तार होता है। गेटअप बदल जाता है और वह पूरी नेता बन जाती हैं। मंत्रालय की मुखिया की तख्ती उनके गेट पर लगने लगती है- ‘टेक्सटाइल’, ‘हयूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट’, ‘इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकॉस्टिंग’। लोग हैरान भी थे इस तरक्की को देखकर! फिर शुरू होती है गिरावट की चर्चा। बड़बोलापन और ‘मैं ही हूं’ की सोच टीवी वाली ‘तुलसी’ की सोच से बिल्कुल अलहदा थी। नतीजा उनके ऑर्डर ‘ऊपर से आदेश’ आने पर पलट दिए जाते हैं। ओहदा छोटा कर दिया जाता है। अब लोग सोच रहे हैं ऐसा क्यों हो रहा है...? एक राजनीति -विश्लेषक व फिल्मी पंडित के मुताबिक -‘ये जो इरानी है ना, बड़ी मनमानी है। अपने बड़बोलेपन की वह शिकार हो रही हैं।’ और, सचमुच उनके कैरियर ग्रॉफ पर नजर दौड़ायें तो ऐसे कई वाक्य सामने आते भी हैं। प्रसार भारती के सी.ई.ओ. सूर्यप्रकाश से उनकी तनातनी छिपी नहीं है। जिस कारण डीडी (दूरदर्शन) की रूकी पड़ी गतिविधियां टीवी जगत के लोगों के लिए कितनी तकलीफदेय बनी रही है, बताने की जरूरत नहीं है। कहते हैं संघ का शीर्ष नेतृत्व उनसे इसलिए नाखुश रहा है। गोवा में पिछले फिल्म समारोह में स्मृति इरानी की मनमानी से समारोह की ज्यूरी की नाराजगी और तमाम लोगों का फेस्टिवल से त्यागपत्र दुखद अवसर बना था। वजह थी दो फिल्में-रवि जाधव की फिल्म ‘न्यूड’ और शशिधरन की फिल्म ‘सेक्सी दुर्गा’। आखिर दोनों फिल्में बाद में रिलीज हुई और किरकिरी हुई स्मृति की। लोग तो इस बात पर भी खूब प्रतिक्रियायें जताये कि ‘पद्मावत’ रिलीज के समय जब संजय लीला भंसाली और दीपिका पादुकोण को जान से मारने की धमकियां मिल रही थी, ‘मंत्रीजी’ मौन थीं। वह कंडोम के विज्ञापन-समय (सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे) को लेकर गंभीर थी, पर थिएटरों की सुरक्षा पर चुप क्यों थी? खबर गढ़ने वाले पत्रकारों की वैधता रद्द करने का फरमान जारी करके वह ‘प्रेस की आजादी’ की दुश्मन तो मानी गई, मगर हुआ क्या, ऊपर के आदेश से उनका बड़बोलापन उन पर ही भारी पड़ गया। आदेश वापस लेकर आई.बी. मंत्रालय की अच्छी भली किरकिरी हुई। फिर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरण-समारोह ने तो इरानी की मनमानी की पोल ही खोल दी। राष्ट्रपति नाराज थे, सिर्फ एक घंटा राष्ट्रीय पुरस्कार-वितरण को दिए। फिल्मकार नाराज हो गए। वजह? नियम के तहत राष्ट्रपति को आमंत्रित करने के लिए आई.बी. मिनिस्टर स्वयं जाता है। स्मृति ने यह काम अपने विभाग के मार्फत करवाया था। खबर है महामहिम राष्ट्रपति ने अपना क्षोभ प्रधानमंत्री से व्यक्त किया था। और, आखिर मंत्रालय किसी और के सुपुर्द हो गया। स्मृति अब विस्मृति होने की ओर हैं! सचमुच जरूरत है (और हमारी सलाह भी) कि इरानी अपनी मनमानी छोड़कर एक बार फिर से ‘तुलसी’ बन जाएं! संपादक #Smriti Irani #Member of Parliament #Rajya Sabha हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article