यू-ट्यूब ने कब्र खोदी है छोटे सिनेमा की... By Sharad Rai 04 Nov 2018 | एडिट 04 Nov 2018 23:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर आप ट्रेन में सफर कर रहे हों या बस में, लोग स्मार्ट फोन पर आंखें गड़ाये दिखाई देंगे। खासकर युवा वर्ग : लड़के और लड़कियां अब यू-ट्यूब की ओर आकर्षित हो गये हैं। ये वो वर्ग है जो सिनेमा-थिएटर को पिछले कई सालों से चलाता आ रहा है। संभ्रात और मेच्यौर व्यक्ति अब सिनेमा में जाने से कतराता है। ये यूथ हैं जो थिएटर की लाज रखे हुए हैं। चार बड़े स्टारों की फिल्मों की बात न करें तो छोटे और उन्मुक्त सिनेमा को यूथ के दम पर ही खिड़की खोलने का मौका मिलता था। अब यह वर्ग भी हाथ से जाता दिखाई दे रहा है। वजह साफ है। छोटे फिल्मकार पूरे तीन घंटे थिएटर में बैठाकर जो बात नहीं कह पाते थे, उसे यू-ट्यूब फिल्मों के माध्यम से चंद मिनट में कहा और दिखाया जाता है। बेशक यू-ट्यूब फिल्मों को बनाने वाले भी बहुतायत बॉलीवुड से हैं। (अब आम जीवन के लोग भी कहीं, किसी भी शहर से, बनाने में जुड़ गये हैं) लेकिन, थिएटर के कम बजट ‘ठ’ और ‘ब्’ ग्रेड वाली फिल्मों के बनने पर भारी असर पड़ा है। सिनेमा हाल क्रिकेट मैच दिखाने के लिए मजबूर हों रहे हैं। और हो भी क्यों न विस्तार यू-ट्यूब का। नयी प्रतिभाओं को बिना कंपटीशन अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल रहा है। कम दाम, कम खर्च में प्रोडक्शन और नये चेहरों तथा नये नये आइडियाज को पेश करने का प्लेटफॉर्म हाथ आ गया है। तुर्रा यह कि विज्ञापन का बाजार भी उधर ही लुढ़क रहा है। ऐसे में, साफ दिख रहा है कि छोटे बजट-नॉन स्टार फिल्मों की कब्र खुद रही है। यू-ट्यूब छोटे सिनेमा को खाता जा रहा है। सवाल है इस दिशा में सोचेगा कौन... ? - संपादक #bollywood #YouTube #Small Cinema हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article