जिंदगी कभी-कभी बहुत जालिम होती है, खुशी से देती है और बेरहमी से छीनती है- अली पीटर जॉन By Mayapuri Desk 25 Jun 2021 | एडिट 25 Jun 2021 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर मैं पहली बार संगीत निर्देशक ओ पी नैय्यर को होम्योपैथी विशेषज्ञ के रूप में चर्चगेट स्टेशन के पास स्थित उनके क्लिनिक में मिला था। उसके अच्छे दिन पीछे छूट चुके थे। उनकी भाग्यशाली शुभंकर आशा भोंसले ने उन्हें उनके प्रतिद्वंद्वी आर डी बर्मन के लिए छोड़ दिया था और वह आशा भोंसले के विकल्प के रूप में पुष्पा पगधारे नामक एक नई गायिका को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन वह उनके लिए बहुत कुछ नहीं कर सके क्योंकि उनका अपना करियर ही अवसान की ओर था। कई फिल्म निर्माता जो कहा करते थे कि वे नय्यर साहब के बिना काम कर ही नहीं सकते थे, उन्होंने अचानक उनके साथ काम करना बंद कर दिया था और जिन गायकों को उन्होंने कुछ बेहतरीन गाने दिए थे, वे स्मृतिलोप के शिकार की तरह व्यवहार कर रहे थे। नैय्यर जी को सबसे अधिक झटका तब लगा जब उनकी सबसे अच्छी दोस्त, जिसे उन्होंने पुनर्जीवित किया था, आशा भोंसले ने अपने उभरते करियर में उनके योगदान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और इतना ही नहीं उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ‘आशा’ नामक अपनी होटलों की शुरू की गई श्रृंखला की दीवारों की सजावट में सभी संगीत निर्देशकों और गायकों की तस्वीरें लगाईं थीं, लेकिन उनमें नैय्यर जी की एक भी तस्वीर नहीं थी। उनका ब्रेकअप हो गया था, लेकिन इस तरह की उपेक्षा ने नैय्यर का दिल तोड़ दिया और अब वे हिंदी फिल्मी संगीत के राजा नहीं थे। जिस संगीतकार के पास सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों और फिल्म निर्माताओं के लिए भी समय नहीं था, वह अब बिना किसी काम के था, जबकि औहदे और उम्र दोनों में कम संगीतकारों ने हिंदी फिल्म संगीत के क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया था और उन्हें होम्योपैथी विशेषज्ञ बनने के लिए मजबूर होना पड़ा जो कभी उनका शौक हुआ करता था। अब वे जीवन व्यतीत करने का एकमात्र साधन बन गया। अपमान की इस चोट के कारण, उसके परिवार ने भी उससे दूरी बना ली, जिससे वह आर्थिक और मानसिक रूप से बहुत दुखी हो गए... यह इस स्तर पर था कि शोर शराबे के युग में पुराने संगीत को जीवित रखने वाले एक संगठन ने एक विशेष शो की व्यवस्था की, जहाँ शौकिया गायकों द्वारा गाए गए सभी गीत नैय्यर के जादुई और मधुर संगीत और गीतों के खजाने से थे। यह एक ऐसी घटना थी जिसने नैय्यर के जीवन के उजाले को अंधेरे, उजाड़ और निराशाजनक समय से वापस लाया। मुंबई के शण्मुखानंद ऑडिटोरियम में दर्शकों की भीड़ लगी हुई थी और शिवसेना प्रमुख, जिन्हें ‘हिंदू हृदय सम्राट’ के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य अतिथि थे। नैय्यर को देखना दर्दनाक था, जो खुद एक सीन चुराने वाला था, जो ‘सम्राट’ के लिए अपनी जान दे सकता था। ‘सम्राट’ को एक प्रशंसक की तरह देख रहा था। बोलने की बारी ‘सम्राट’ की थी और एक वक्ता के स्वामी होने के नाते, ‘सम्राट’ ने केवल नैय्यर और उनके संगीत के बारे में 45 मिनट से अधिक समय तक बात की और नैय्यर अपने खुशी के आँसुओं को रोक नहीं पाए और दर्शकों ने खड़े होकर, तालियाँ बजाकर नैय्यर का अभिवादन किया। इस तरह की वाह-वाही उन्हें किसी और समय नहीं मिली होगी। और जब नैय्यर के बोलने का समय आया तो वह भावुक हो गए और उन्होंने केवल एक पंक्ति में कहा, आज रात मैं अगर मर भी जाऊँ तो कोई बात नहीं। आज बाला साहब की तारीफों से मेरा संगीत अमर हो गया। उनके जीवन का अंतिम समय अत्यंत कष्टदायक रहा था। अंत में उन्हें एक निम्न मध्यम वर्गीय मराठी परिवार द्वारा विरार की एक चॉल में आश्रय मिला था। जहाँ एक छोटे से कमरे में, जिसे उनका शयनकक्ष माना जाता था, वह कुछ समय से बीमार ही पड़े हुए थे और एक दिन दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। उनके बड़े-बड़े प्रशंसक भी उनके अंतिम संस्कार में नहीं पहुँचे और जो लोग वहाँ उपस्थित भी थे, वे इसी इंतजार में थे कि क्या आशा भोंसले आएंगी?, लेकिन कुछ इंसान इतने पत्थर दिल हो जाते हैं कि उनके लिए अपने नाम और काम से ज्यादा कुछ नहीं होता है। आज आशा भोंसले अपने बेटे के साथ मुंबई के सबसे महंगे अपार्टमेंट में से एक में रहती हैं और मुझे आश्चर्य है कि क्या उनके पास यह याद रखने का समय है भी कि वह ओम प्रकाश नय्यर ही था जिसने उसका हाथ थाम लिया था। जब उसे सबसे अधिक समर्थन की आवश्यकता थी। इतना ही नहीं एक व्यक्ति ने हाल ही लंदन में आशा श्रृंखला देखी, उसने मुझे बताया कि अन्य संगीतकारों को दीवारों पर जगह मिली है, लेकिन ओ.पी. नैय्यर को नहीं। सुना था मोहब्बत को लोग गुनाह समझते हैं लेकिन नैय्यर साहब की प्यार की कहानी का आगाज और अंजाम की कहानी सुन कर यकीन सा होता है कि हाँ मोहब्बत करना कभी-कभी बहुत संगीन बात होती है। उड़े जब-जब जुल्फें तेरी कंवारियों का दिल मचले उड़े जब-जब जुल्फें तेरी कंवारियों का दिल मचले कंवारियों का दिल मचले, जिन्द मेरिये जब ऐसे चिकने चेहरे तो कैसे ना नजर फिसले तो कैसे ना नजर फिसले, जिन्द मेरिये रुत प्यार करन की आई के बेरियों के बेर पक गए के बेरियों के बेर पक गए, जिन्द मेरिये कभी डाल इधर भी फेरा के तक-तक नैन थक गए के तक-तक नैन थक गए, जिन्द मेरिये उस गाँव पे स्वर्ग भी सदके के जहाँ मेरा यार बसदा के जहाँ मेरा यार बसदा, जिन्द मेरिये पानी लेने के बहाने आजा के तेरा मेरा इक रस्ता के तेरा मेरा इक रस्ता, जिन्द मेरिये तुझे चाँद के बहाने देखूं तो छत पर आजा गोरिये तू छत पर आजा गोरिये, जिन्द मेरिये अभी छेड़ेंगे गली के सब लड़के के चाँद बैरी छिप जाने दे के चाँद बैरी छिप जाने दे, जिन्द मेरिये तेरी चाल है नागन जैसी री जोगी तुझे ले जायेंगे री जोगी तुझे ले जायेंगे, जिन्द मेरिये जाएँ कहीं भी मगर हम सजना ये दिल तुझे दे जायेंगे ये दिल तुझे दे जायेंगे, जिन्द मेरिये फिल्म- नया दौर कलाकार- दिलीप कुमार और वैजयन्ती माला गायक- मोहमद रफी और आशा भोंसले संगीतकार- ओ.पी.नैय्यर गीतकार- साहिर लुधियानवी #Dilip Kumar #asha bhose #mohmammad rafi #naya dour #O.P nayyar #sahir ludhiyanvi #vejenti mala हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article