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अपने समय के मषहूर रंगकर्मी हरजीवन दास पंचोटिया की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाली चालिस वर्षीय फिल्म अभिनेत्री,लेखक, निर्देषक, नृत्यांगना, समाज सेवक और योगा षिक्षक आरती नागपाल को देवआनंद ने अपनी फिल्म ‘गैंगस्टर’’में सबसे पहले अभिनय करने का अवसर प्रदान किया था।तब से वह लगातार फिल्मों व टीवी सीरियलों में अभिनय करती आ रही हैं।निजी जीवन में आरती नागपाल सिंगल मदर हैं, जिन्होने प्रेम विवाह में काफी कष्ट सहन करने के बाद अपने पति से तलाक लेने के बाद अपने बेटे वेदांत व बेटी प्रियांषी की न सिर्फ अच्छी परवरिष की, बल्कि खुद भी अभिनेत्री,लेखक व निर्देषक के तौर पर अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल रहीं। अपने निजी जीवन के अनुभवो के आधार पर आरती नागपाल ने पहली लघु फिल्म‘‘डेली रेप’’का निर्माण, लेखन वनिर्देषन किया था,जिसे कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहो में काफी सराहा गया था।
अब जब देष 15 अगस्त को स्वतंत्रता का 75 वां वर्ष मना रहा है,तो इस अवसर पर आरती नागपाल ने निम्न विचार व्यक्त किएः
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15 अगस्त- हम आजाद हैं???
75 सालों बाद गर हम यह सवाल पूछ रहे हैं तो हम आजाद नहीं है।
हमने तकनीकी बहुत तरक्की कर ली,
जीवन में महिलाएं घर से पंख लगाकर उड़ लीं,
पुरुष वर्ग बाहर के अलावा घर के भी काम करने लगा,
बच्चे बचपन में ही आर्थिक धन-संपत्ति कमाने लगे।
बिना मतलब के किस्से जग में विख्यात होने लगें,
हम बैलगाड़ी से रॉकेट में उड़कर चांद पर जगह लेने लगे हैं।
एक ही समय पर पूरे विश्व में एक कमरे में बैठकर,
एक सादा व्यक्ति प्रसारण करने लगा, लेकिन फिर भी हम आजाद नहीं हैं।
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हम अपने छोटे से बिंदु मात्र अस्तित्व को विशाल ब्रह्मांड से बड़ा समझते हैं।
हम हमारे लिए बनाई सारी सहूलियत, कानून,तकनीक को अपना सर्वनाश करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
हम देश की वजह से हैं,
उसकी सेना की अनगिनत कुर्बानियों की वजह से हैं,
हम अपनी मां और पिता से हैं,
हम हमारे शहर,हमारे समाज,हमारे राष्ट्र से हैं,
लेकिन हम अपनों भूखे स्वार्थी स्वभाव और विचारों से
हर एक तत्व को अनदेखा कर,
स्व के आराम और इसके लिए किसी को कहीं पर,
कभी भी किसी भी कारण बेच देते हैं।
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हमने अपनी आजादी को कई बार बेचा है,
और बार-बार बेचेंगे तब तक,
जब तक हर एक उंगली अपने आप को मुट्ठी का हिस्सा ना समझे,
हर एक मुक्का
भ्रष्टाचार के विरुद्ध ना उठे,
हर एक हाथ एक दूसरे को ना थामें।
यह केकड़ों की टोकरी आजाद नहीं हो सकती।
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उड़ना है तो किसी भी जाल को एक साथ मिलकर उड़ा लो,
देश को अपने कर्तव्य से,अपने प्रेम से, अपने समर्पण से उठा लो।
75 सालों की गुलामी विदेशी नामों और कामों से एक बार
हिम्मत करके छुड़ा लो।
हम भारतीय सोने की चिड़िया की संतान हैं,
यह विश्व को दिखा दो।
विक्रमादित्य ने जो सम्मान आने वाले राजाओं को 500 वर्षों तक दिया था उन ग्रंथों,शास्त्रों नवरत्नों की मिट्टी उड़ा दो।
हमारे बच्चों को भारतवर्ष क्या था यह समझा दो।
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और 25 वर्षों में 100 साल के सक्षम कामयाब देश की शान बढ़ा दो।
मैं मेरी भारत मॉं की संतान हूँ,
अगर आप भी हैं,
तो इस अभियान को अपनी जीवन शैली बना लो।
जय हिंद जय हिंद की सेना
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