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टीवी सीरियल में अभिनय करने से स्टारडम का स्वाद चखा- नायरा बनर्जी

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By Mayapuri Desk
टीवी सीरियल में अभिनय करने से स्टारडम का स्वाद चखा- नायरा बनर्जी
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नेवी आफिसर पिता तथा मायक्रोबॉयलॉजिस्ट व लेखिका मां की बेटी नायरा बनर्जी ने वकालत की पढ़ाई की है। क्योंकि उनकी इच्छा वकील बनने की थी। लेकिन कालेज में पढ़ाई के साथ दक्षिण भारत की तेलगू फिल्म ‘आकड़ू’ करने का अवसर मिला, उसके बाद उन्होने 12 फिल्में की।वकालत की पढ़ाई पूरी होने के बाद प्रियदर्षन के निर्देषन में हिंदी फिल्म ‘कमाल धमाल मालामाल’ और सनी लियोनी के साथ ‘वन नाइट स्टैंड’ की। कुछ वेब सीरीज की। पर टीवी सीरियल ‘दिव्यदृष्टि’ में दिव्या षर्मा का किरदार निभाते ही वह स्टार बन गयीं।इन दिनों वह 23 अगस्त से ‘दंगल टीवी’ पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘रक्षाबंधनः रसाल अपने भाई की ढाल’ में चकोरी का किरदार निभाते हुए नजर आ रही हैं।

टीवी सीरियल में अभिनय करने से स्टारडम का स्वाद चखा- नायरा बनर्जी

प्रस्तुत है नायरा बनर्जी संग हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंषः

आपकी पृष्ठभूमि क्या है? आपको अभिनय का चस्का कैसे लगा?

मैं मूलतः बंगाली हॅूं। मगर मेरी परवरिश और षिक्षा मुंबई में हुई। मेरे पापा नेवी में आफिसर थे। मेरी मम्मी नंदिता बनर्जी लेखक व उपन्यासकार हैं और शास्त्रीय गायिका भी हैं। वह पेंटिंग भी बनाती हैं। वह कंटेंट राइटर हैं। इसके अलावा वह मायक्रोबायलॉजिस्ट हैं। मेरे नाना डाक्टर थे। तो मैं उच्च षिक्षित खानदान से हॅूं। मैने खुद वकालत की पढ़ाई की है। पर मैने वकालत की पढ़ाई तो की,मगर मैने इंटर्नषिप नही की। जबकि मैने अपने अपने इरादे अनुरूप लॉ की पढ़ाई की। आईपीआर एक्ट में स्पेषलाइजेषन किया है। तो मैने कभी भी अभिनय को कैरियर बनाने की बात नही सोची थी।

तो फिर अभिनय की तरफ मुड़ना कैसे हुआ?

जब मैं कालेज में पढ़ाई कर रही थी,उस वक्त मेरे पास मॉडलिंग के काफी ऑफर आते थे। आप जानते होंगे कि मंुबई के हर कालेज में ‘उमंग’ जैसे फेस्टिवल होते रहते हैं, जहां सेलेब्रिटी व उनके मैनेजर वगैरह आते हैं। उन दिनों कोई कास्टिंग एजंेसी नही होती। कालेज के इसी तरह के फेस्टिवल में आने वाले लोग मॉडल या कलाकार की खोज किया करते थे। तो कई बार लोगों ने मुझसे मॉडलिंग के लिए संपर्क किया। एक षख्स तो मेरे पीछे ही पड़ गए थे। वह तो मेरी मम्मी के पास भी पहुँच गए और मम्मी को समझाया कि यह एक अच्छा क्षेत्र है। जब मेरे पापा जी थे, तो उनका कहना था कि फिल्म व टीवी इंडस्ट्री से नही जुड़ना है। क्योंकि इस इंडस्ट्री में हम किसी को नही जानते। हमारा कोई गॉडफादर भी नही है। तो हम यह भी नही जानते कि यहां किस हिसाब से काम होता है। लेकिन उस षख्स ने मम्मी को समझा लिया। हम जहां भी जाते हैं, वहां हमारी मम्मी साथ में जाती हैं। तो हमने पहली बार शूटिंग की। लोगों को पसंद आ गया। फिर दूसरे आफर भी आने लगे। उन दिनों मैं ‘लॉ’/कानून की पढ़ाई कर रही थी। तो जब परीक्षाएं नही होती थी,तब मैं विज्ञापन फिल्में या फीचर फिल्मों में अभिनय करती थी। शूटिंग से घर वापस आने के बाद रात में मैं अपनी ‘लॉ’की पढ़ाई करती थी। मुझे दक्षिण भारतीय भाषाओं में बड़े बजट व बड़े स्टारों के साथ काम करने के भी आफर मिले। इस तरह अनजाने ही मैं पढ़ाई के साथ ही अभिनय करने लगी थी।

वकालत की पढ़ाई करने के बावजूद अभिनय को कैरियर बनाने का निर्णय कब व कैसे लिया?

जब मेरी लॉ की पढ़ाई पूरी हो गयी, तब मेरे सामने सवाल उठा कि अब मैं क्या करुं? अभिनय के क्षेत्र में पॉकेट मनी अच्छी मिल रही है, लेकिन मैने तो पांच वर्ष तक ‘लॉ’की पढ़ाई की है। लेकिन पांच वर्ष में मैने इंटर्नषिप नहीं किया। पर इंटर्नषिप बहुत जरुरी होता है। पढ़ाई के चलते मैने अभिनय पर भी पूरा ध्यान नही दिया था। इंटर्नषिप नही किया। अब करने जाती हॅूं, तो पुनः जमीन/नीचे से शुरूआत करनी पड़ेगी। इंटर्नषिप तो पंाच साल की पढ़ाई के साथ ही की जाती है और पांच वर्ष की पढ़ाई पूरी होने पर आप एक बड़े वकील बन चुके होेते हैं। और कहीं न कहीं बड़ी आसानी से प्लेसमेंट भी मिल जाती है। इस तरह पांच वर्ष की लॉ की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं पुनः षून्य पर आ खड़ी थी। तो काफी सोचा कि क्या किया जाए। तभी मेरे पास बॉलीवुड फिल्मों के आफर आने लगे। मैंने पहली हिंदी फिल्म प्रियदर्षन के साथ ‘कमाल धमाल मालामाल’ की थी। हमारी यह फिल्म’ओह माय गॉड’के साथ प्रदर्षित हुई थी। ‘ओह माय गॉड’को इतनी बड़ी सफलता मिली कि हमारी फिल्म ‘कमाल धमाल मालामाल’ को सफलता नसीब न हुई। मेरी दूसरी हिंदी फिल्म ‘वन नाइट स्टैंड’थी। यह पुरानी फिल्म ‘अर्थ’का आध्ुानिक वर्जन था। मगर फिल्म का नाम देखकर लोगों ने कुछ अलग ही मतलब निकाल लिया और फिल्म को दर्षक नही मिल सके। उसके बाद मैने कुछ वेब सीरीज भी किए। ‘आपरेषन कोबरा’ जो कि ‘इरोज नाउ’ पर है। स्काय फाय जो कि ‘जी 5’पर है। दक्षिण भारत में 12 फिल्में की। इतना काम करने के बावजूद मुझे एक कलाकार के तौर पर खुषी नही मिल रही थी। जिसके चलते मेरे मन में यदा कदा सवाल उठने लगा कि मैने ‘लॉ’/वकालत के पेषे को आगे न बढ़ा कर गलती की? मैं असमंजस में थी। लग रहा था कि किसी भंवर में फंस गयी हॅूं। निजी जिंदगी में भी काफी कुछ हो रहा था। मेरे पापा का देहांत हो गया। मेरे नाना जी गुजर गए,जो कि मेरे सबसे बड़े सपोर्ट सिस्टम थे। मेरे पापा का तो अलग अलग शहरों में तबादला हुआ करता था। मैं और मेरी मम्मी, नाना नानी के साथ रहते थे।.तो मेरे नाना मेेरे लिए नाना से कहीं ज्यादा पापा थे। पापा व नाना दोनों के इस संसार से जाने के बाद मेरी मां अकेली रह गयी। मेरा छोटा भाई है। तो मुझे कुछ तो करना ही था। उस मुसीबत के वक्त मेरे पास सीरियल ‘दिव्यदृष्टि’ का ऑफर आया। मुझे अच्छा लगा। मैने इसमें काम किया और इसने मुझे स्टार अभिनेत्री बना दिया। इसी सीरियल ने मुझे स्टारडम दिलाया।

टीवी सीरियल में अभिनय करने से स्टारडम का स्वाद चखा- नायरा बनर्जी

कालेज में पढ़ाई के दौरान सबसे पहले कौन सी फिल्म की थी?

मैने सबसे पहले तेलगू फिल्म ‘आकड़ू’की थी। इस फिल्म को सफलता मिली और मैं दक्षिण भारत में लोकप्रिय हो गयी। फिर कई फिल्मांे के आफर आए और मैने वहां पर 12 फिल्में की। लेकिन मैंने तभी काम किया,जब मेरे पास वक्त होता था। परीक्षाओं के समय बिलकुल नही करती थी।

सीरियल ‘दिव्यदृष्टि’ करने के बाद किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिलीं?

इस सीरियल की वजह से जबरदस्त षोहरत मिली। मैं दिव्या षर्मा के नाम से जानी जाती हॅू। लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या इसका दूसरा सीजन आएगा? मैने इस सीरियल से षोहरत,फैंस सहित बहुत कुछ पाया,जो कि डेढ़ दर्जन फिल्में करने के बावजूद नहीं मिला था। एक ही सीरियल में एक ही किरदार में मैने कई किरदार निभा लिए। मुझे पुरूष और महिला फैंस मिले। जबकि अमूमन महिला कलाकारांे को केवल पुरूष फैंस ही मिलते हैं। मुझे तो बच्चांे से लेकर बूढ़े तक फैंस मिले। यह मेरे लिए बहुत बड़ा आषिर्वाद है। इसी के चलते मुझे ‘एक्सक्यूज मी मैडम’ से जुड़ने का अवसर मिला था।फिर इसे देखकर एकता कपूर ने बुलाकर मुझे वेब सीरीज ’हैलो जी’करने का अवसर दिया, जिसे काफी लोकप्रियता मिली। अब मैं ‘रक्षा बंधन:रसाल अपने भाई की ढाल’कर रही हॅूं।

सीरियल ‘रक्षाबंधनः रसाल अपने भाई की ढाल’ के सब्जेक्ट से आप कितना रिलेट करती हैं?

मैं बहुत ज्यादा रिलेट करती हॅू। यह कहानी मूलतः एक बहन रसाल के रक्षक की है। हमने हमेशा रक्षाबंधन को भाई के रक्षक के साथ जोड़ा है, यहाँ यह बहन है। मैं इससे पूरी तरह से रिलेट करती हूं। क्योंकि मैं अपने सभी परिवार के सदस्यों को राखी बांधती थी। मेरे नाना -नानी मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे। मैं हमेशा चाहती थी कि वह मेरी रक्षा करें। मेरा एक छोटा भाई है, मैने उसे भी राखी बांधी और मेरी रक्षा करने का वादा किया।

अपने किरदार को लेकर क्या कहना चाहेंगी?

इस सीरियल में सभी कलाकार एक अनूठा किरदार निभाते हुए सीरियल की कहानी में पूरी तरह से योगदान दे रहा है। मैं चकोरी का किरदार निभा रही हूँ जिसका एकमात्र उद्देश्य अमीर बनना है। मुझे ‘लुटेरी दुल्हन’ कहा जाता है। मेरा बचपन में एक अजीब अतीत रहा होगा, लेकिन आज मुझे पता है कि मेरा एकमात्र मकसद अमीर बनना और मेरे जीवन को स्थिर करना है हुक या बदमाश। मेरे पास कई रंग हैं। मैं कई भेष धारण करती हूं और सीरियल में मसाला का सही तड़का जोड़ती हूं।

आपको इस लुक में खुद को लाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती होगी?

जी हॉ! इसमें मेरे कई लुक हैं। आज जिस रूप में आप देख रहे है उसके लिए मेकअप में दो घ्ंाटे का वक्त लगता है।हमें आंखों के मेकअप के साथ एक विशेष लुक हासिल करना था। मेरी गर्दन और मेरे हाथ पर एक टैटू है। जब मेरे पास कई भेष होते हैं, तो मुझे हमेशा दो घंटे लगते हैं। बूढ़ी औरत का लुक अनोखा था। मैंने रील के साथ-साथ मेकिंग भी साझा की है और ऐसा ही ‘खिलोने वाली’ टैन मेकअप लुक था। मेरा वर्तमान लुक मेरा पसंदीदा है। मैं एक प्यारी ‘ठकुराइन’ की तरह दिखती हूं।

क्या आप निजी जीवन में चकोरी के किरदार के संग रिलेट करती हैं?

मुझे इस सीरियल में मेरा लुक काफी पसंद है। लेकिन मैं अपने चरित्र से रिलेट नहीं करती।मैं शरारती दृश्यों का आनंद लेती हूं, लेकिन जिस क्षण मुझे सैल को प्रताड़ित करना पड़ता है, मेरा दिल टूट जाता है। हर बार जब मैं फूली के साथ एक दुःखद स्थिति देखती हूं, तो उसके प्रति मेरे अंदर सहानुभूति पैदा होती है। यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि गांवों में ऐसी स्थितियां होती हैं। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मेरे पास अपनी विभिन्न भूमिकाओं के माध्यम से व्यक्त करने के लिए भावनाओं की एक पूरी श्रृंखला है, फिर भी लोगों को चोट पहुंचाने के लिए मुझे दुख होता है।

टीवी सीरियल में अभिनय करने से स्टारडम का स्वाद चखा- नायरा बनर्जी

‘रक्षाबंधनः रसाल अपने भाई की ढाल’ में कलाकारों संग आपके इक्वेषन कैसे हैं?

निशांत सिंह मलकानी और रसाल (हार्दिका शर्मा)के साथ मेरे इक्वेषन काफी अच्छे हैं। निशांत अपनी अभिव्यक्ति में बहुत खास हैं। वह भूमिका वास्तव में अच्छी तरह से निभाते हैं। रसाल के साथ प्यार में पागल हूं।

सीरियल के निर्माताओं यश और ममता पटनायक को लेकर क्या कहेगी?

यष और ममता पटनायक तो युगल रत्न हैं। मुझे बहुत खुशी है कि उन्होंने मुझे भूमिका के लिए चुना है। मुझे लगता है कि वह भावनात्मक कहानी कहने में उस्ताद हैं।

आप किस तरह के किरदार निभाना चाहती हैं?

मैं यूनीफार्म पर आधारित किरदार करना चाहती हॅूं.फिर चाहे वह पुलिस का हो,नेवी आफिसर का हो या आर्मी का हो.वकील हो या डाक्टर हो। वैसे मैं निजी जीवन में वकील हॅूं। मगर किरदार सषक्त होना चाहिए। फिलहाल तो मेरी तमन्ना एक नेवी आफिसर के किरदार को निभाने की है, क्योंकि पहले मेरे पापा नेवी में थे, जो कि अब इस दुनिया में नही हैं। मेरे दिल के अंदर देषभक्ति की तमन्ना है।

टीवी सीरियल में महिला कलाकारों को सषक्त किरदार मिलते हैं, मगर बॉलीवुड फिल्मों में भी पुरूष कलाकारों के हिस्से ही सषक्त किरदार आते हैं?

यह तो अपनी अपनी च्वॉइस है। आपको पता है कि फिल्म में लोग आपको देखेंगे। जब आप एक फिल्म में नजर आएंगे,तो उससे आपको दो दूसरी फिल्में मिलेंगी। अंततः आप स्टार बन जाएंगे। मैं ईष्वर से प्रार्थना करती हूँ कि मुझे ऐसे निर्माता मिले, जो कि मुझे हर माध्यम में काम करने का अवसर दे।

आपने अपने मम्मी व पापा से क्या सीखा?

मेरे अंदर आत्मनिर्भरता के गुण मम्मी और पापा से ही आए। पापा से निडर व जिम्मेदार होना सीखा।

क्या आपको भी नेपोटिज्म का शिकार होना पड़ा?

शायद पहले पड़ता था। जैसा कि मैने आपसे कहा कि कुछ फिल्में मेरे पास आने के बाद स्टार किड्स या स्थापित कलाकारों के पास चली जाती थीं। पर अब वक्त बदला है.। टीवी सीरियलों और वेब सीरीज में तो अभिनय प्रतिभा के बल पर ही अब काम मिलता है। पर फिल्मों की क्या स्थिति है, नही पता।

इसके अलावा कुछ कर रही हैं?

फिलहाल तो सीरियल ‘रक्षाबंधन’ की शुरूआत हुई है, इसलिए इसमें ज्यादा व्यस्त हॅूं। मैने दो वेब सीरीज अनुबंधित की हैं, जिनकी शूटिंग फिलहाल टल गयी है। जब वह शुरू होगी,तब व्यस्तता बढ़ेगी।

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