अमर ज्योति का 25वां संगीत कार्यक्रम बेहद ही भव्य और दिल को छू जाने वाला था. बता दें कि तबला जादूगर पंडित चतुरलाल मेमोरियल सोसायटी अमर ज्योति में कमानी सभागार में अज्ञात शहीदों को संगीतमय श्रद्धांजलि के लिए ये कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण दो प्रसिद्ध कलाकारों, भजन सम्राट श्री अनूप जलोटा और कथक (कत्थक) किंवदंती श्रीमती गीतांजलि लाल द्वारा भजन और कथक की जुगलबंदी थी.
भारतीय शास्त्रीय गायक स्वारांश मिश्रा और तबला के राजकुमार, प्रांशु चतुर लाल द्वारा एक विशेष 'वंदे मातरम' का प्रदर्शन करते हुए शाम आगे बढ़ी, इसके बाद दीप प्रज्ज्वलित किया गया और उन सैनिकों को याद करते हुए तीस सेकंड का मौन रखा गया, जिनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज नहीं है. स्वारांश मिश्रा ने हमारे राष्ट्रीय गीत को नए बोल और गायन के साथ उसका नया रूप पेश किया, जबकि प्रांशु चतुर लाल ने गीत को लय दी और क्यूरेट किया.
गायन "देश ये मेरा राग बन सजा जब गूंजा मातरम,
एकता का संगीत जब बना वंदे मातरम,
धरती है ये विद्वानों की है महान ये मातरम,
मातृ भूमि के प्रेम की पहचान है मातरम"
ये लिरिक्स वंदे मातरम के आसपास की कहानी और इसके महत्व के बारे में बहुत कुछ दर्शाते हैं. इसके सार ने सभी दर्शकों के बीच एक सच्ची देशभक्ति की भावना जाग्रक की.
इसके बाद भजन सम्राट पद्मश्री श्री अनूप जलोटा और जयपुर घराने के कथक (कत्थक) कथाकार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता गुरु गीतांजलि लाल द्वारा भावपूर्ण जुगलबंदी की गई. अनूप जलोटा जी ने अपनी प्रसिद्ध रचनाएं प्रस्तुत कीं, जहां उनकी तीन लोकप्रिय प्रस्तुतियां जैसे 'ऐसी लागी लगन... मीरा हो गई मगन', 'जग में सुंदर है ये दो नाम' और 'श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया' जहां गीतांजलि जी ने अपने मनमोहक भावों, हाथों की हरकतों के माध्यम से प्रांशु चतुर लाल द्वारा तबला सुंदर ढंग से व्यक्त किया. इस जुगलबंदी को भूल पाना मुश्किल था क्योंकि गाने, कलाकार और प्रदर्शन ने एक दिव्य माहौल पैदा कर दिया था.
अमर ज्योति के सफल 25वें संस्करण पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए, पंडित चतुरलाल महोत्सव की कलात्मक निदेशक श्रुति चतुरलाल शर्मा ने कहा, “वर्षों से हम पंडित चतुर लाल की छत्रछाया में अमर ज्योति का आयोजन कर रहे हैं. इससे हमें इस बात का अहसास होता है कि हम एक कदम आगे बढ़ गए हैं. इससे हमें गर्व भी होता है. हमें कई प्रमुख कलाकारों के साथ जुड़ने का अवसर मिला, जो शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक साथ आए.
पंडित चतुर लाल के पोते प्रांशु चतुर लाल कहते हैं, अमर ज्योति संगीत कार्यक्रम हमेशा से ही एक अदभुत और ऑर्गेनिक प्रक्रिया रही है. मैं चतुर लाल परिवार की ओर से प्रस्तुतकर्ता वेदांत और सभी प्रायोजकों, टीम और दर्शकों के प्रति अपना विनम्र आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अमर ज्योति के 25वें साल को शानदार सफलता दिलाई है.