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आंखों ने बदल दी बिग बी की दुनिया, मोतियाबिंद का दूसरा ऑपरेशन भी रहा सफल

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By Mayapuri Desk
आंखों ने बदल दी बिग बी की दुनिया, मोतियाबिंद का दूसरा ऑपरेशन भी रहा सफल
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अमिताभ बच्चन को फिर दुनिया लगी इतनी खूबसूरत कि रच डाली कविता
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सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की दुनिया अब पहले से कहीं ज्यादा रौशन हो गई है। जी हां, यह खुशखबरी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर शेयर की है। बिग बी ने बताया है कि पंद्रह दिन बाद उनकी दूसरी आंख का मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी सफल रहा, जो उनके लिए बिल्कुल नया अनुभव है। अपने इस नए अनुभव की जानकारी देते हुए उन्होंने लिखा है, 'दूसरी सर्जरी भी ठीक हो गई है। रिकवर हो रहा हूं। आधुनिक मेडिकल तकनीक और डाॅक्टर के हाथों की निपुणता। जिंदगी बदल देने वाला शानदार अनुभव। सच में लाजवाब दुनिया!'
अपने इस लाजवाब अनुभव से प्रसन्न एवं उत्साहित बिग बी ने एक कविता भी रच डाली है। कविता की पंक्तियां इस प्रकार हैं:

'हूं दृष्टिहीन, पर दिशाहीन नहीं मैं।
हूं सुविधाहीन, असुविधाहीन नहीं मैं।
सहलाने वालों की मृदु है संगत।
बहलाने वाले सब यहां सुसज्जित।
स्वस्थ रहने का प्यार मिला। हृदय प्रफुल्लित आभार खिला।
कुछ क्षण के लिए हूं मैं समयबद्ध।
प्रार्थनाओं के लिए हूं मैं करबद्ध।
सदा मैं करबद्ध।'आंखों ने बदल दी बिग बी की दुनिया, मोतियाबिंद का दूसरा ऑपरेशन भी रहा सफल

अपने पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन की तरह लिखने-पढ़ने के शौकीन और इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी सक्रिय दिखने वाले अमिताभ बच्चन ने लोगों को अपनी सेहत और खासकर आंखों की देखभाल के प्रति जागरूक रहने की सलाह देते हुए लिखा है, 'इस काम में देरी करने से आप बहुत कुछ खो सकते हैं। आपको पता चलेगा कि आपने जो पहले नहीं देखा, वह कितना खूबसूरत था! मेरी उम्र के साथ जुड़ी नाजुक टिशूज के बावजूद कैटेरैक्ट (मोतियाबिंद) हटाया। इन सब चीजों को सुधारने में यदि थोड़ी सी भी देर हो जाती है तो आप अंधे हो सकते हैं।' गौरतलब है कि सिनेमा की दुनिया का यह त्रासद सच है कि घनघोर अंधेरे में देखी जाने वाली फिल्में चकाचौंध रोशनी में शूट की जाती हैं।
कड़ी धूप, रिफ्लेक्टर और लाइट्स की चौंधियाती रोशनी में लगातार शूटिंग करते-करते कलाकार कई बार आंखों की रोशनी गवां बैठते हैं। के.एन.सिंह, नानाभाई भट्ट और भगवान दादा इसके उदाहरण हैं। वैसे भी ज्यादातर कलाकारों को जल्दी चश्मा लग जाता है, हालांकि वे सार्वजनिक स्थानों पर काला चश्मा या लेंस पहन कर इसे छिपा लगा लेते है।

■ मिथिलेश सिन्हा

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