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-
संगीता
टंडन
अनु
मलिक
संगीतकार
ने
अपनी
लड़ाई
स्वयं
लड़ी
है
।
अनु
मलिक
के
कैरियर
में
जितने
अधिक
उतार
-
चढ़ाव
आयें
हंसते
हुए
बिताएं
हैं
।
अपनी
चार
फिल्मों
की
हिट
संगीत
से
उनका
नाम
इंडस्ट्री
के
टॉप
के
संगीतकारों
में
आने
लगा
है
।
कैरियर
की
दोबारा
शुरूआत
करने
के
बाद
आपको
कैसा
प्रतीत
हो
रहा
है
?
एक
वक्त
जब
ऐसा
था
,
जब
अनुमलिक
को
लोग
भूल
चुके
थे
।
पार्टियों
और
समारोह
के
निमंत्रण
आने
बंद
हो
गए
थे
।
आज
वो
मौका
फिर
आया
है
,
पर
इसका
श्रेय
सलीम
अख्तर
को
जाता
है
।
दूध
का
कर्ज
फिल्म
में
मेरा
संगीत
था
।
जो
लोगों
को
बहुत
पसंद
आया
।
एक
फिल्म
‘
आपस
की
बात
की
थी
जो
पर्दे
पर
असफल
रही
।
लक्ष्मीकांत
प्यारेलाल
के
संगीत
से
फिल्म
‘
बंटवारा
’
बनाई
और
वह
फिल्म
भी
फ्लॉप
सिद्ध
हुई
और
सलीम
इस
तरह
मेरे
पास
आये
।
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फिल्म
  ‘
 जिगर
 ’
 में
 तो
 आंनद
 -
 मिलिद
 का
 संगीत
 था
 ।
 आपको
 रिपीट
 नहीं
 किया
 था
 ?
सलीम
जी
ने
अपनी
म्यूजिक
कम्पनी
खोली
है
।
और
म्यूजिक
कम्पनी
हर
संगीतकार
के
साथ
काम
करना
पसंद
करती
है
।
इसके
बाद
की
जितनी
फिल्में
हैं
।
उनमें
मेरा
ही
संगीत
है
।
जैसे
आ
गले
लग
जा
?
।
फिर
 कैरियर
 में
 इतने
 अप
 -
 डाउन
 आयें
 , 
 इसका
 श्रेय
 आप
 किसको
 मानते
 हैं
 ?
मन
मोहन
देसाई
को
जब
मुझे
उनकी
जरूरत
थी
।
तब
मुझे
निकाल
दिया
गया
था
।
‘
तूफान
’
का
बैक
ग्राउंड
मैंने
दिया
था
।
फिर
‘
तोहफा
’
मुझे
दिया
।
मैनें
जानना
चाहा
कि
आखिर
वजह
क्या
है
।
एक
तरफ
मन
जी
का
नाराज
होना
दूसरी
तरफ
कंवल
शर्मा
,
दीपक
शिवदासानी
,
बाबी
राज
निर्माता
भी
पीछे
हट
गए
।
एक
के
बाद
एक
झटका
मैंने
उस
बीच
कितने
हाथ
-
पैर
मारे
।
नतीजा
कुछ
नहीं
मिला
।
इधर
सलीम
जी
न
साथ
दिया
।
फिर
सुनने
में
आया
कि
नदीम
-
श्रवण
की
टी
.
सीरिज
में
अनबन
हो
गई
है
।
महेशजी
ने
मेरा
नाम
वहाँ
लिया
और
जानम
दिलाई
और
इस
प्रकार
महेश
भट्ट
मिले
।
इस
प्रकार
कैरियर
पर
ये
मुसीबत
का
पहाड़
टूटा
था
।
जिन्होंने
मेरी
मदद
की
।
मैं
उन
दोस्तों
को
अपना
मानता
हूँ
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‘
 फूल
 और
 अंगारे
 ’
 फिल्म
 का
 गाना
 दिल
 तेरा
 चुरायेगें
 ।
  ‘
 फूल
 और
 कांटे
 ’
 फिल्म
 के
 संगीतकार
 नदीम
 -
 श्रवण
 ने
 दिया
 था
 ।
 धीरे
 धीरे
 प्यार
 को
 बढ़ाना
 है
 ।
 से
 आपने
 चोरी
 करके
 बनाया
 है
 ?
आपने
वो
गाना
ध्यान
से
सुना
है
,
वो
गाना
भैरवी
में
है
,
नदीम
श्रवण
का
ये
गाना
धीरे
धीरे
स्वरों
में
,
संगीतबद्ध
किया
गया
है
।
जिनको
संगीत
को
ज्ञान
है
,
वह
इन
गानों
के
शब्दों
को
ध्यान
से
समझ
सकते
हैं
।
क्या
 आपे
 अच्छे
 गानों
 से
 प्रभावित
 होकर
 ये
 साईन
 नहीं
 करते
 ?
संगीत
का
दूसरा
नाम
है
,
प्रेरणा
कोई
कहे
कि
मैं
मौलिक
हूँ
तो
बिल्कुल
गलत
है
।
मैं
तो
यहीं
कहूँगा
कि
आपने
भी
कहीं
न
कहीं
से
प्रेरणा
लेकर
ये
लाइन
अपनाई
है
।
फिर
आप
कैसे
कह
सकती
हैं
मुझे
ऐसा
।
प्रेरणा
 और
 नकल
 में
 अन्तर
 है
 ?
मेंहंदी
हसन
की
गजलों
को
सुनने
के
बाद
वैसा
ही
उसे
रख
लो
तो
नकल
करना
है
।
उन
गानों
से
प्रेरणा
लेकर
अच्छी
धुनों
को
प्रस्तुत
करना
ही
प्रेरणा
है
।
नदीम
 श्रवण
 , 
 और
 आंनद
 मिलिन्द
 को
 लेकर
 ऐसा
 तो
 नहीं
 कह
 रहे
 हैं
 ?
मैं
तो
सिर्फ
सच्चाई
प्रस्तुत
कर
रहा
हूँ
।
किसी
के
बारे
में
कहने
वाला
मैं
कौन
होता
हूँ
।
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“
 पर
 आपको
 अक्सर
 पार्टियों
 में
 नदीम
 -
 श्रवण
 के
 गले
 में
 बाहें
 डाल
 कर
 देखा
 गया
 है
 फिर
 उनके
 पीठ
 पीछे
 दुराई
 कुछ
 खुलकर
 बताइये
 ?
पहले
मैं
नदीम
-
श्रवण
को
एक
अच्छा
इंसान
समझता
धा
,
पर
लोगों
ने
मुझे
कई
बार
बताया
कि
नदीम
-
श्रवण
अक्सर
अनु
की
बुराई
करते
देखें
गये
हैं
।
मुझे
इन
बातों
पर
विश्वास
नहीं
था।जब
अपने
कानों
से
सुनी
आंखों
से
देखी
तो
विश्वास
हुआ
।
पर
 ऐसी
 क्या
 बात
 हुई
 ?
कोई
खास
बात
नहीं
है
,
आप
उसे
राई
का
पहाड़
बनाकर
लिखा
देंगी
।
इंडस्ट्री
में
मुझे
रहना
है
।
फिर
एक
तालाब
में
रहकर
मगरमच्छ
से
दुश्मनी
करना
अच्छा
नहीं
है
।
टी
 . 
 सीरिज
 से
 भी
 आपको
 निकाला
 गया
 था
 ?
मैंने
‘
राधा
का
संगम
’
को
लेकर
गुलशन
जी
से
बात
की
थी
।
मेरा
इतना
पूछना
था
कि
गुलशन
जी
ने
मुझे
बाहर
निकाल
दिया
।
एक
वक्
त
था
,
कि
आप
आर
.
के
.
बैनर
में
फिल्म
‘
प्रेम
ग्रन्थ
’
में
संगीत
देने
वाले
थे
,
फिर
उस
फिल्म
का
क्या
हुआ
‘
प्रेम
ग्रन्थ
’
का
एक
गीत
तेरी
पलक
का
बाल
गिर
रहा
है
मैंने
स्वरबद्ध
करके
राज
साहंब
को
सुनाया
था
।
राज
साहब
को
गाना
पसंद
आया
।
उसी
बीच
‘
प्रेम
ग्रन्थ
’
शुरू
होती
पर
नहीं
हुई
।
मुझे
बीच
में
कीर्ति
कुमार
मिल
गये
।
उन्हें
‘
राधा
का
संगम
’
के
लिए
एक
अच्छे
पंगीतकार
की
जरूरत
थी
।
मैंने
कीर्ति
को
गाना
सुनाया
उन्हें
पसंद
इतना
आया
कि
मुझे
‘
राधाका
संगम
’
मिल
गई
।
मेरी
ये
बात
राजीव
कपूर
को
पसंद
नहीं
आई
।
इस
कारण
फिल्म
से
निकाल
दिया
।
अब
कोई
और
दे
रहा
है
संगीत
।
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फिल्म
  ‘
 बाजीगर
 ’
 में
 आपके
 द्वारा
 गाया
 गीत
 लोगों
 को
 अधिक
 पसंद
 आया
 ?
धन्यवाद
!
मैंने
तो
शुरू
किया
था
,
पर
पूरा
गाना
विनोद
राठौर
ने
गाया
है
संगीत
 की
 शिक्षा
 कहां
 से
 ली
 ?
पिताजी
से
संगीत
की
ट्रेनिंग
ली
।
गुरुशंकर
जय
किशन
थे
।
प्रभावित
लक्ष्मीकांत
प्यारे
लाल
से
हुआ
।
आपमें
 अहम
 की
 भावना
 झलकती
 है
 ?
ये
अहंकार
मुझे
जीवन
से
लड़ने
की
प्रेरणा
देता
है
।
किस्मत
 पर
 विश्वास
 करते
 हैं
 ?
मेहनत
के
साथ
किस्मत
पर
पूरा
विश्वास
है
।
मन
 पसंद
 शहर
 ?
‘
यहां
मुंबई
और
विदेश
में
लंदन
।
गायन
 के
 क्षेत्र
 में
 भी
 आपने
 गाने
 गाये
 हैं
 ?
‘
मर्द
’
‘
जीते
हैं
शान
से
’
और
‘
तहलका
’
में
गायन
किया
है
बेहतरीन
 गायिका
 ? 
अलका
याज्ञनिक
,
अनुराधा
पौंडवाल
।
वाजीगर
 की
 हिट
 से
 आपको
 कैसा
 लग
 रहा
 है
 ?
बहुत
अच्छा
,
इसमें
सारे
गाने
प्रभावशाली
है
।
जो
लोगों
को
अधिक
पंसद
आये
हैं
।
खास
कर
‘
बाजीगर
ओ
बाजीगर
’
वाला
गाना
मुझे
इतनी
खुशी
हो
रही
है
कि
शब्दों
में
प्रकट
कर
सकूंगा
भी
या
नहीं
।
‘
मैडम
एक्स
’
से
भी
काफी
उम्मीदें
हैं
।
देखते
हैं
आगे
क्या
होता
है
।
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