birthday special: अनुराधा पौडवाल

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birthday special: अनुराधा पौडवाल

अनुराधा पौडवाल जिन्होंने भारत में ईश्वर भक्ति को दिए सुर और आवाज़

इंडियन फिल्‍म इंडस्‍ट्री की बेहतरीन सिंगर्स की लिस्‍ट में शामिल अनुराधा का बचपन मुंबई में बीता, जिस वजह से उनका रुझान शुरू से फिल्मों की तरफ रहा. आइए इस सुरीली शख्‍सियत की जिंदगी के बारे में जाने कुछ खास बातें:अनुराधा जी का जनम 27 अक्टूबर 1952 को महारास्ट्र के एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था बचपन से ही इनको संगीत में काफी रूचि थी,जब यह 4 बरस की थी तब पहला स्टेज प्रोग्राम दिया था, इनके पिता इनको प्रोफेसर बनाना चाहते थे, लेकिन इनकी रूचि संगीत की तरफ देख कर इनकी माँ ने इनको संगीत प्रशिक्षण दिलवाया, संगीत में इनके गुरु श्री पंडिज जसराज,पंडित राम नारायण जी थे, उन्होंने उसी वक़्त बता दिया था की अनुराधा भारत देश की महान कलाकार बनेगी जो की पूरे संसार में अपना लोहा मनवाएगी।

अनुराधा पौडवाल  की गायकी की शुरुआत 1973 में फिल्म 'अभिमान' से हुई। इस फिल्‍म में अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी लीड रोल में नजर आए थे। जिसमें उन्होंने जया के लिए एक श्लोक गीत गाया था । इसके बाद साल 1976 में फिल्म 'कालीचरण' में भी अनुराधा ने  गाना गाया, लेकिन सोलो गाने की शुरुआत उन्होंने फिल्म 'आप बीती' से की। इस फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया, जिनके साथ अनुराधा ने 2000 से भी ज़्यादा  मशहूर गाने गाए और बॉलीवुड को कई ह‍िट गाने दिए जैसे  'धक-धक करने लगा' (बेटा), 'तू मेरा हीरो' (हीरो), 'हम तेरे बिन' (सड़क), 'मैया यशोदा' (हम साथ साथ हैं), 'जिस दिन तेरी मेरी बात' (मुस्कान), 'चाहा है तुझको' (मन), 'एक मुलाकात जरूरी है सनम' (सिर्फ तुम) और 'दो लफ्जो में' (ढाई अक्षर प्रेम के) जैसे फेमस गाने आज भी लोगों की जुबां पर मौजूद है । फिल्मों में अपनी सफल गायकी के बाद उन्होंने सिर्फ टी-सीरीज कंपनी के लिए ही गाने का फैसला लिया और टी-सीरीज के साथ कॉन्‍ट्रैक्‍ट का नतीजा यह हुआ कि टी-सीरीज कंपनी के उस समय के सभी भक्ति गानों और ऑडियो कैसेट्स में अनुराधा की ही आवाज होने लगी, लेकिन इसका फायदा उनकी कंपीटीटर्स को हुआ, जिन्होंने उनकी गैर मौजूदगी में फिल्मों में अधिक गाने गाना शुरू कर दिया।

अनुराधा जी ने अपने जीवन में कई परेशानिया देखी लेकिन उनसे कभी हताश नहीं हुई न ही परेशान हुई अपने पति की मृत्यु के बाद तो जैसे उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पद लेकिन वो कभी नहीं टूटी और आज आलम ये है की उनके भजन सुन कर कई घरो में आज सुबह होती है, हरी की पोड़ी हरिद्वार में आज भी उनकी गाई गंगा आरती से ही आरती की जाती है, गायत्री मंत्र अनुराधा जी की ही देन है नहीं तो गायत्री मंत्र आज हम सुन नहीं पाते केवल पड़ पाते,संस्कृत में तमाम ग्रन्थ उन्होंने गए जैसे श्री मद भगवत गीता, सभी देबी देवताओ के स्त्रोत्र,भक्ताम्बर स्त्रोत्र, दुर्गा सप्तसती,सभी देवी देवताओ को अमृतबनिया, राम चरित मानस, हर जगह वो बेजोड़ है, सभी महान कबियो को उन्होंने गाया जैसे सूरदास, मीरा, तुलसी,रसखान को गाया, भजन के करीब 1000 अल्बम के ऊपर उन्होंने अपनी आवाज़ दी है, हिन्दू धर्म के अलाबा सभी सभुदाय को उन्होंने गाया जैसे सबद गायन,आदि, संस्कृत सुनकर ऐसा लागता है जैसे उनकी मात्रभासा हो, गजल गायकी में भी अनुराधा जी बेजोड़ है, जगजीत सिंह और गुलाम अली जी भी उनकी तारीफ किये बिना नहीं रह सके और कहा की अनुराधा जैसे कलाकार कई युगों में एक पैदा होता है।

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