गुजरात में जन्मे निषाद वैद्य ने सबसे पहले 2012 में ‘स्टार प्लस’ के सीरियल ‘प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा प्यारा’ में छोटी सी भूमिका निभाकर करियर की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने 2013 में सोनी टीवी के सीरियल ‘अमिता का अमित’ में मुख्य भूमिका निभाने का अवसर मिला और एक पहचान मिली। फिर निषाद वैद्य बाद में ‘भाग रे मन’ में नजर आए थे। इसका प्रसारण 2016 में बंद हुआ था। पूरे चार वर्ष तक अभिनय से दूर रहने के बाद निषाद वैद्य इन दिनों सोनाली जफर के सीरियल ‘कुर्बान हुआ’ में आलेख नौटियाल का किरदार निभाते हुए नजर आ रहे हैं।
चार वर्ष तक अभिनय से दूर रहने की कोई खास वजह?
देखिए, मैंने जान बूझकर चार वर्ष तक अभिनय से दूरी नही बनायी। मेरे करियर की शुरूआत सीरियल ‘अमिता का अमित’ से हुई थी। इस सीरियल का प्रसारण समाप्त होने के बाद मैं ग्रे रंगों वाली भूमिकाएं करना चाहता था। इसी वजह के चलते मैने अपराध- आधारित सीरियल ‘रेड कोड’ के कुछ एपिसोड किए, जहां पहली बार मैंने एक नकारात्मक भूमिका निभाई और इसका पूरा आनंद लिया। हालाँकि मैंने कभी भी केवल नकारात्मक या सकारात्मक भूमिकाएँ करने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया, लेकिन मुझे कोई महत्वपूर्ण काम नहीं मिल रहा था और मैंने इसे पूरा करने का फैसला किया। एक तरफ मुझे मनचाहे किरदार निभाने के मौके नही मिल रहे थे,तो दूसरी तरफ मैं व्यक्तिगत मोर्चे पर, मैं कई मुद्दों से निपट रहा था, जिसे सुलझाने के लिए समय चाहिए था। जब कलाकार को अपने अंदर की अभिनय क्षमता का अहसास हो और उसे उसके अनुरूप किरदार निभाने के मौके न मिल रहे हों, तो वह निराश होकर डिप्रेशन की तरफ जाने लगता है, मुझे उससे भी निपटना पड़ा। मेरा मानना है कि उस दौर ने मुझे एक अंधेरी जगह पर धकेल दिया और सीरियल ‘कुर्बान हुआ’ में आलेख की भूमिका निभाने से मुझे इससे निपटने में मदद मिली। नकारात्मक किरदार निभाना मेरे लिए स्ट्रेस बस्टर जैसा रहा है।
आलेख को लेकर क्या कहेंगे?
आलेख हमेशा अपने बारे में सोचने वाला अभिमानी युवक है। उसे अपनी पोजीेशन के अलावा किसी की परवाह नहीं है। यह एक डार्क किरदार है। इससे मुझे अभिनय के एक नए पक्ष को अपने अंदर खोजने का अवसर मिला।
तो क्या ‘अमिता का अमित’ से करियर षुरु करना गलत था?
जी नहीं..मैं तो खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे सीरियल ‘अमिता का अमित’ में मुख्य भूमिका के रूप में शानदार किरदार निभाने का मौका मिला। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूँ कि मैंने केवल मुख्य भूमिकाएं करने के चक्कर में नहीं फंसा। जब मुझे पहला ब्रेक मिला, तभी मैं अभी-अभी मुंबई शिफ्ट हुआ था। इसलिए अपने करियर के शुरुआती वर्षों में, मैं केवल मुख्य भूमिका निभाना चाहता था। बाद में मुझे एहसास हुआ कि टीवी सीरियल केवल लीड किरदारों से नहीं बल्कि किरदारों से संचालित होते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म के अचानक लोकप्रिय होने के बाद बहुत कुछ बदल चुका है। अब सशक्त किरदारों का जमाना आ गया है। इसीलिए अब मैं मजबूत किरदार निभाने के लिए उत्सुक हूं।
चार वर्ष तक क्या करते रहे?
सीरियल ‘भाग रे मन’ के अलावा कुछ व्यावसायिक विज्ञापन फिल्मंे की। तो वहीं अच्छी भूमिकाएं पाने के लिए लगातार ऑडीशन दे रहा था और यह बहुत कठिन पैच रहा है। एक बार मुझे एक बड़े बैनर की फिल्म में लगभग एक भूमिका मिल गई थी। पर अंतिम समय में मुझे इस फिल्म से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, क्योंकि मैंने अपने पहले टीवी सीरियल के लिए वजन बढ़ाया था। तो ऐसे दिन आए हैं, जब मैं रोया और उदास महसूस किया। लेकिन मैं मानता हूँ कि यह बुरा समय भी बीत जाएगा। ऑडिशन देने के अलावा मैने खुद को मोटीवेशनल किताबें पढ़ने, दोस्तों और परिवार से मिलने में व्यस्त रखा।
आपके लिए सफलता के क्या मायने हैं?
मेरे लिए सफलता का मतलब है कि सफलता का नशा कलाकार पर न सवार हो, उसके व्यवहार में कोई बदलाव न आए। वह सदैव जमीन से जुड़ा रहे।
सोनाली जफर और आमिर जफर संग काम करने के अनुभव कैसे रहे?
प्रोडक्शन हाउस के साथ काम करना अच्छा है। अभिनेताओं का अच्छी तरह से ख्याल रखा जाता है।