दिग्गज अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को बॉलीवुड में शॉटगन शत्रु के नाम से भी जाना जाता है। फिल्मों में हो या वास्तविक जीवन में, दिग्गज भारतीय सिनेमा के अभिनेता अपनी बेहतरीन डायलॉग दिलीवरी के लिए पहचाने जाते हैं। पर्सनल लाइफ की बात करें तो शत्रुघ्न सिन्हा काफी समय से सिनेमा में कम और राजनीति में अधिक समय बिता रहे हैं। वहीं, जब आप राजनीति में होते हैं, तो उग्र भाषण देने की गुंजाइश होती है और श्री सिन्हा उस पर आत्मकेंद्रित होते हैं! अगर आपने भी उनकी फिल्में देखी हैं, तो आपको भी ये बात जरूर पता होगी।
अपनी शुरूआती फिल्मों में शत्रुघ्न सिन्हा को उनकी कुछ चुनिंदा फिल्मों के लिए जाना जाता है। फिल्मों में अपना डेब्यू करने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा ने देव आनंद की फिल्म प्रेम पुजारी में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी, अपनी पहली ही फिल्म में उन्होंने नकारात्मक भूमिका निभाई थी। इसके अलावा उन्होंने फिल्म मेरे गाँव मेरा देश, ब्लैकमेल और बॉम्बे टू गोवा जैसी फिल्मों में भी नेगेटिव रोल किए। इसके बाद फिल्म नसीब, मेरे अपने, यार मेरी जिंदगी, शान और काला पत्थर जैसी फिल्मों में वो लीड के तौर पर दिखाई दिए, फिर सुभाष घई की 1976 में आई फिल्म कालीचरण में सिन्हा ने एक मुख्य अभिनेता के रूप में सफलता हासिल की। 90 के दशक में, उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया, और कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टी के सदस्य रहे। उनके दो बच्चे - सोनाक्षी और लव सिन्हा अभिनेता हैं, खासकर सोनाक्षी जिन्होंने खुद को एक लोकप्रिय स्टार के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
उनके 76वें जन्मदिन के मौके पर हम आपको बता रहे हैं उनके 10 पॉप्युलर डायलॉग्स, जो आज भी लोगों की जुबां पर आ जाते हैं...
- फिल्म- असली नकली
पहली गलती माफ कर देता हूं...दूसरी बर्दाश्त नहीं करता
- फिल्म- जीने नहीं दूंगा
मैं तेरी इतनी बोटियां करूंगा...कि आज गांव का कोई भी कुत्ता भूखा नहीं सोएगा...
- फिल्म- बेताज बादशाह
जब दो शेर आमने-सामने खड़े हों...तो भेड़िए उनके आसपास नहीं रहते...
- फिल्म- विश्वनाथ
जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं...जिस राख से बारूद बने, उसे विश्वनाथ कहते हैं...
- फिल्म- कालीचरण
आज के ज़माने में तो बेईमानी ही एक ऐसा धंधा रह गया है...जो पूरी ईमानदारी के साथ किया जाता है...
- फिल्म- नसीब
जिंदगी इंसान को लाती है, मौत ले जाती है...ये शराब बीच में कहां आती है ?....
- फिल्म- खुदगर्ज
आज हम इसका बोटी का टुकड़ा-टुकड़ा करके...इसका खून का एक-एक बूंद चूस लूंगा...
- फिल्म- आन (मेन एट वर्क)
बिल्ली के नाखून बढ़े जाने से...बिल्ली शेर नहीं बन जाती...
- फिल्म- रक्त-चरित्र
आज मैं सरकार नहीं...सुपर सरकार है...
- फिल्म- काला पत्थर
अबे ताश के तिरपनवें पत्ते...तीसरे बादशाह हम हैं...