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आज की युवा, व्यस्त पीआरओ, धारा राजू कारिया (वेटेरन पीआरओ स्व. राजू कारिया की बेटी) बॉलीवुड के उन कलाकारों को गति दे रही है जो फ़िल्म, टीवी या मॉडलिंग की दुनिया में अग्रसर है। मायापुरी के लिए मुझसे संपर्क करते हुए वे बोली, 'नवांगतुक कलाकारों के लिए यदि कोई शहर इतना स्वप्निल और महत्वाकांक्षा से भरा है, तो वह है मुंबई।
लाखों लोग 'सपनों के शहर' में ऊंची आशाओं और आकांक्षाओं के साथ आते हैं। इसने शहर की संस्कृति को बहुत सकारात्मक तरीके से प्रभावित किया है। मैं आज आपको एक स्वप्निल आंखों वाले लड़के की कहानी बताती हूँ जो रग्ड गुड लुकिंग, मेहनती भारतीय युवक है। नाम है अर्पित नागर।
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10 साल पहले जब अर्पित नागर ने इंदौर से मुंबई का रुख किया था तो उनका एक ही लक्ष्य था- बॉलीवुड। अक्सर लोग ऐसी प्रतिभाओं के संघर्षों और प्रयासों के बारे में तब तक नहीं जान पाते जब तक कि वे बॉलीवुड में कुछ 'बड़ा' नहीं कर देते। 10 साल पश्चात, अर्पित 'धड़के दिल बार बार' के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह एक रातोंरात सफलता की कहानी नहीं है बल्कि इस एक्टर ने अपने बॉलीवुड सपने को साकार करने से पहले कई चैप्टर्स देखे।
जब वे नए नए मुंबई आए, तो उन्होंने हर बड़े प्रोडक्शन हाउस के ऑडिशन कॉल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का सामान्य तरीका नहीं अपनाया। इसके बजाय, उन्होंने उस कठिन राह को चुनने का फैसला किया जिस पर अक्सर यात्रा करने से लोग कतराते हैं। अर्पित ने शुरुआती दिनों में, अपने को कैमरे के सामने लाने योग्य बनाने और खुद को तैयार करने में पूरा वक्त लगाया। उन्होंने फ़िल्म उद्योग में ग्रूमिंग वेटरन्स की तलाश की और अपने को उनके सुपुर्द करते हुए खुद को एक आमूल परिवर्तन के लिए प्रस्तुत किया।
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ऐसा करते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था कि वे एनएसडी और एफटीआईआई के सीज़नल प्रोफेशनल्स को, ट्रेनिंग देने, उन्हें बेहतर बनाने और सबसे महत्वपूर्ण बात- उन्हें अपनी महत्वाकांक्षा के योग्य तैयार करके प्रशिक्षण देने के लिए मनाने में कामयाब हुए । इन विशेषज्ञों के तहत, अर्पित ने अभिनय के अलावा कई अन्य प्रमुख कौशल हासिल किए।
अगर आप सोच रहे हैं कि उसका अगला कदम भूमिकाओं की तलाश में निर्देशकों और प्रोडक्शन हाउस के दरवाजे खटखटाना होगा तो ऐसा अभी बिल्कुल नहीं। अर्पित का दृढ़ विश्वास था कि कैमरे के सामने जो किया जाता है उससे सिनेमा कहीं अधिक अलग है। वह कैमरे के पीछे के व्यापार को भी सीखना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि जब वह कैमरे का सामना करेगा तो वो जानकारी उसके काम आएगा।
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और फिर सचमुच उनकी मेहनत रंग लाई और भारत के प्रमुख प्रोडक्शन हाउस, यशराज फिल्म्स के दरवाजे उनके सामने खुल गए। और जल्द ही अर्पित ने खुद को देश के टॉप कलाकारों और टीम के साथ काम करते हुए पाया। उन्हें सुपर हिट फिल्म 'दम लगाके हइशा' के लिए सहायक निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कैमरे के पीछे, उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए एक असिस्टेंट डायरेक्टर की जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए फ़िल्म बनाने के मैजिक को सीखा।
फिल्म की अपार सफलता ने अर्पित को आत्मविश्वास के साथ साथ यह अहसास भी दिया कि दस साल पहले जिन सपनों के साथ वे मुंम्बई आये थे उसे पूरा करने का समय आ गया है। अर्पित ने खुद को बॉलीवुड में अभिनय का मौका देने के लिए संघर्ष शुरू किया। एक ओर, उन्होंने अपने समय का उपयोग अपने हुनर को धार देने में लगाया और दूसरी ओर फिल्म निर्माताओं से सम्पर्क करने लगे और अंतत: वह दिन आ गया - वह दिन जब उसकी लगन, महत्वाकांक्षा और वास्तविकता का मिलन हुआ।
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अर्पित को बॉलीवुड की एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'धड़के दिल बार बार' में हीरो के रूप में लिया गया था। उन्होंने अपनी प्रक्रिया को जारी रखा और पूरी फिल्म निर्माण यात्रा के दौरान कड़ी मेहनत की क्योंकि अर्पित के लिए अपना सौ प्रतिशत देना कोई नई बात नहीं थी।
आज, वह न केवल अपनी पहली फ़िल्म 'धड़के दिल बार बार' की रिलीज का इंतजार कर रहे हैं, बल्कि जल्द ही बॉलीवुड के एक जाने माने प्रोफेशनल डाइरेक्टर की फ़िल्म में मुख्य रोल शूट करने की तैयारी में है। अर्पित नागर की कहानी यहीं खत्म नहीं होती है। ये तो शुरुआत है इस प्रतिभाशाली, हैंडसम, स्ट्रेटेजिक और इम्पेकबली प्रोसेस ड्रिवेन एक्टर का।
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