अभिनेता, निर्माता व निर्देषक हैदर काजमी ने दिलीप कुमार साहब को याद करते हुए कहा- मुझे आज भी वह दिन याद है जब दिलीप साहब ने मेरी फिल्म ‘बॉबी‘ के नगेटिव को अपने सारे आशीर्वाद और प्यार से काटा था। मैं काफी तनाव में था! और मैं वास्तव में जल्दी में था, जिसे भांपकर दिलीप साहब ने मुझसे कहा- अरे इतनी जल्दी कयों कर रहे हो? नगेटिव कट रही है, दुआ तो पढने दो‘ उस दिन के बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।मैं उनके आषिर्वाद की वजह से निरंतर सफलता की ओर बढ़ता गया।
वह कहते हैं कि आप या तो एक ‘स्टार‘ या ‘एक्टर‘ हो सकते हैं। लेकिन दिलीप साहब दोनों हैं, वास्तव में ‘एक किंवदंती’! वह स्वयं एक संस्था है। एक और एकमात्र अभिनेता जिन्होंने दशकों तक भारतीय सिनेमा की कमान संभाली। ऐसे समय में जब अभिनय बेहद मेलोड्रामैटिक था, दिलीप साहब की भूमिका कम थी। कोई आश्चर्य नहीं, उन्हें ‘अंडरस्टेटमेंट का मास्टर’ और ‘ट्रेजेडी किंग’ के रूप में भी जाना जाता था।
दुःख की बात है कि अब मैं आपको फिर कभी नहीं देख सकता और आपका आशीर्वाद ले सकता हूं। पर आप हमेशा मेरे दिल में रहोगे। इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलाहे राजूं।